लखनऊ: संसद सुरक्षा उल्लंघन के आरोपी 26 वर्षीय सागर शर्मा अपने इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर खुद को “लेखक, कवि और दार्शनिक” बताते हैं, लेकिन पुलिस द्वारा बरामद की गई और दिप्रिंट द्वारा देखी गई एक डायरी में उनके कथित लेख उनके विचारों की अधिक विस्तृत झलक देते हैं.
“मैं अपनी जिंदगी वतन के नाम कर चुका हूं… अब बढ़ाया कदम जिंदगी की ओर मैंने… अब आ गई बारी वतन पर मरने की. पहले ही मैं बहुत आराम कर चुका हूं, गुलामी से करने आजाद अपने वतन को, मैं कई खौफनाक काम कर चुका हूं मेरे देश.”
ये पंक्तियां कथित तौर पर एक ई-रिक्शा चालक सागर द्वारा जून 2015 में लिखी गई थी, जो लखनऊ पुलिस द्वारा शहर में उसके किराए के आवास से बरामद की गई डायरी में लिखी गई थीं.
दिप्रिंट के पास मौजूद डायरी के कम से कम तीन अन्य पन्नों से पता चलता है कि वह क्रांतिकारी भगत सिंह से गहराई से प्रेरित थे और अपने देश के लिए कुछ करने के विचार से प्रेरित थे.
डायरी का शीर्षक ‘इंकलाब जिंदाबाद (क्रांति लंबे समय तक जीवित रहें)’ है, जो भगत सिंह और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा लोकप्रिय नारा है.
लखनऊ पुलिस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि शर्मा के घर से भगत सिंह पर किताबें भी बरामद की गईं.
पुलिस सूत्रों के अनुसार कर्नाटक निवासी शर्मा और डी. मनोरंजन को दिल्ली पुलिस ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया, जब दोनों पीले धुएं के कनस्तरों के साथ नई संसद में आगंतुक गैलरी से लोकसभा कक्ष में कूद गए थे.
ऐसा कहा जाता है कि ये दोनों एक सोशल मीडिया ग्रुप का हिस्सा थे, जिसने “महीनों तक इस घटना की योजना बनाई थी”, जैसा कि दिप्रिंट ने रिपोर्ट किया है. जबकि शर्मा और मनोरंजन सहित छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, एक से अभी भी पूछताछ की जा रही है.
दिप्रिंट से बात करते हुए, शर्मा के माता-पिता ने उन्हें स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का कट्टर प्रशंसक बताया, साथ ही कहा कि वह उनकी रोजगार स्थिति से परेशान थे.
पुलिस सूत्रों ने पहले दिप्रिंट को बताया था कि संसद मामले के आरोपियों ने पूछताछ के दौरान दावा किया था कि उन्होंने “बेरोजगारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और नीति निर्माताओं को अपनी चिंताओं को स्वीकार करने के लिए मजबूर करने” के लिए इस उल्लंघन की योजना बनाई थी.
कथित तौर पर शर्मा द्वारा लिखी गई डायरी की अन्य कविताओं से पता चलता है कि वह भगत सिंह के नक्शेकदम पर चलना चाहते थे.
2015 की एक कविता में लिखा है: “रंग भरा है वतन की हवाओं में मेरे खून का, सरफरोश सी है हिम्मत-ए-दिल इस जवान की… देश पे मरने का एक जज़्बा है, वो कफ़न क्या जो अर्थी पर मेरी न शहादत करे.”
शर्मा के पिता रोशन ने कहा कि उनका बेटा भगत सिंह का प्रशंसक था और उन्हें भगवान की तरह पूजता था. रोशन ने कहा, “वह बचपन से ही भगत सिंह के प्रशंसक थे.”
दिल्ली में परिवार के बारे में बोलते हुए, जहां वे शर्मा के 12 साल के होने तक रहे, रोशन ने कहा, “जब तक हम दिल्ली में रहे, सागर ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए प्रवेश नीति के तहत वसंत विहार में दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की. एक बार उसने अपने कमरे में भगत सिंह का पोस्टर लगाया था. जब मैंने उसे डांटा और उसे फाड़ दिया, तो वह बहुत गुस्सा हो गया था.”
पिता ने कहा, “उसकी बहन ने हमें बताया कि दो-तीन साल पहले उसने अपनी उंगली काट ली थी और उसके खून से अपने माथे पर तिलक लगाया था.”
जबकि शर्मा के परिवार ने मीडिया के सामने दावा किया है कि उन्होंने नौवीं कक्षा तक पढ़ाई की है, लखनऊ पुलिस ने निष्कर्ष निकाला है कि उन्होंने बारहवीं कक्षा तक पढ़ाई की है और लखनऊ के भूपति सिंह मेमोरियल इंटर कॉलेज स्कूल से स्नातक की पढ़ाई पूरी की है.
सागर की कथित डायरी के बारे में पूछे जाने पर पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) राहुल राज ने दिप्रिंट को बताया, “उसने बारहवीं कक्षा तक पढ़ाई की है. ऐसा लगता है कि उनका रुझान वैचारिक है. वह 12 साल की उम्र तक दिल्ली में रहे हैं. अगर दिल्ली पुलिस पूछेगी तो हम उनके साथ कोई भी इनपुट साझा करेंगे.”
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‘अपनी नौकरी से था परेशान’
शर्मा के परिवार के अनुसार, वह स्कूल में एक अच्छे छात्र माने जाते थे और एक अच्छे कलाकार थे जो अक्सर मेलों में लोगों के लिए टैटू बनाकर पैसे कमाते थे.
उनकी मां रानी ने दिप्रिंट को बताया, “वह आजीविका के लिए लखनऊ में ई-रिक्शा चलाता था. हम जानते थे कि उसके लिए नौकरी पाना आसान नहीं होगा क्योंकि वह ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था. मैंने उससे कहा था कि आजीविका के लिए ई-रिक्शा चलाना ठीक है क्योंकि वह ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं है.”
शर्मा के माता-पिता ने कहा कि ई-रिक्शा चालक के रूप में काम शुरू करने से पहले, वह लखनऊ में आरटीओ कार्यालय में दलाल के रूप में कार्यरत थे. उनके माता-पिता के अनुसार, उनकी अल्प आय एक ऐसी चीज़ थी जिससे वह चिंतित थे.
रोशन ने कहा, “हम नहीं बता सकते कि उसके अंदर क्या था. उसके दोस्त हमेशा अच्छे लोग रहे. माता-पिता सिर्फ अपने बच्चों को समझा सकते हैं, और क्या कर सकते हैं?”
उन्होंने कहा कि, भगत सिंह की तरह “सागर हमेशा देश के लिए कुछ करना चाहता था.”
सागर की कथित डायरी और सोशल मीडिया प्रोफाइल से पता चलता है कि “कर्तव्य के आह्वान” का पालन करने की इच्छा उसके अंदर गहरी थी.
उनकी इंस्टाग्राम प्रोफ़ाइल रेखाचित्रों और कविताओं से भरी हुई है जिनके बारे में वह दावा करते हैं कि यह उनकी हैं. उन्होंने महाराष्ट्र, अमृतसर के स्वर्ण मंदिर और मैसूरु की यात्रा की तस्वीरें भी साझा की हैं.
फरवरी 2021 में, उन्होंने लिखा कि घर से अलविदा कहने का समय नजदीक आ रहा है और मार्च 2021 में, उन्होंने मैसूर के चामुंडी हिल्स में एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें एक दोस्त को एक टिप्पणी में जवाब दिया कि “वह जो करना चाहते थे उसके करीब आ गए है.”
डायरी में एक जगह यह भी लिखा है: “घर को अलविदा कहने का समय करीब आ रहा है. एक तरफ डर है तो दूसरी तरफ कुछ कर गुजरने की आग. काश मैं अपने माता-पिता को अपनी स्थिति के बारे में समझा पाता और ऐसा नहीं है कि मेरे लिए संघर्ष का रास्ता चुनना आसान था. मैंने अपने कर्तव्य की ओर बढ़ने के लिए पांच साल तक इंतजार किया. शक्तिशाली व्यक्ति वह नहीं है जो छीनना जानता है, शक्तिशाली व्यक्ति वह है जो हर सुख-सुविधा को त्यागने की ताकत रखता है.”
‘सोशल मीडिया पर मनोरंजन से हुई दोस्ती’
शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए, शर्मा की मां ने कहा कि वह भगत सिंह को अपने परिवार से भी ज्यादा मानते हैं और उन्होंने पंजाब में क्रांतिकारी के पैतृक घर का दौरा किया था.
रानी ने कहा, “वह उनके बारे में और देशभक्ति के बारे में किताबें पढ़ता था. जब हम पूछते कि क्या उसके पास पढ़ने के लिए और कुछ नहीं है, तो वह कहता कि वह और कुछ नहीं पढ़ना चाहता. जब हम उससे पूछते थे कि वह (भगत सिंह के) पोस्टर आदि क्यों लगाता है और कहते थे कि पागल हो गया है, तो वह कहता था कि उसके मन में भगत सिंह के लिए हमसे ज्यादा सम्मान है.”
उनकी मां के अनुसार, संसद सुरक्षा उल्लंघन के लिए शर्मा को प्रेरणा भी भगत सिंह के बारे में पढ़ने से मिली.
1929 में, भगत सिंह और साथी क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त ने विरोध स्वरूप दिल्ली की सेंट्रल असेंबली के अंदर बम और पर्चे फेंके.
दिप्रिंट से बात करते हुए, रानी ने दावा किया कि शर्मा के सह-आरोपी मनोरंजन से दोस्ती थी और उसने अपने परिवार के सदस्यों को बताया था कि वह काम के लिए बेंगलुरु जा रहा था.
रानी ने कहा, “वह काम के लिए बेंगलुरु जाना चाहता था. अगर बच्चे काम पर जाने की इजाजत मांगते हैं तो माता-पिता को उन्हें मौका देना पड़ता है. वह वहां एक आटा फैक्ट्री में काम कर रहा था और उसका एक वीडियो भी मीडिया के साथ साझा किया गया है.”
‘मैं अपने देश का दर्द नहीं देख सकता’
हालांकि उसके माता-पिता यह नहीं बता सके कि उसके दिमाग में क्या चल रहा था, कथित निजी डायरी के पन्नों से पता चलता है कि सागर बहुत सारा जुनून छिपा रहा था.
डायरी में लिखा हैं: “दर्द अपने वतन का मुझे देखा जाता नहीं, दुश्मन के आगे झुकना मैं किसी को सिखाता नहीं… कर दूंगा आवाज को मैं अपनी इतना बुलंद, फिर सुनेगी कातिलों की ये महफ़िल और सुनेगा आसमान… भिगो कर लहू से मैं अपने, इस ज़मीन को दिखा दूंगा एक दिन, कि इस कदर वतन को अपने कोई आशिक चाहता नहीं…”
एक कविता में कहा गया है कि जो लोग देश प्रेम के लिए खुद को बलिदान कर देते हैं वे अमर हो जाते हैं, जबकि दूसरी कविता देश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के बारे में बताती है.
इसमें लिखा है, “वतन की उल्फत पर जो होते हैं कुर्बान वो अमर हो जाते हैं… वही क्रांतिकारी और वही शहीद कहलाते हैं… हर जुबान पर नाम हो जिसका, जो खबर हो जाते हैं.”
(संपादन: अलमिना खातून)
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