पटना, 11 फरवरी(भाषा) साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में अपने अतुलनीय योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ हिंदी लेखिका उषा किरण खान का रविवार को यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।
परिवार के करीबी सूत्रों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि खान पिछले कुछ समय से बीमार थीं और करीब 20 दिनों से शहर के निजी अस्पताल में भर्ती थीं जहां रविवार को दोपहर बाद करीब तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार कल सुबह 11 बजे किया जाएगा।
उनके परिवार में तीन बेटियां और एक बेटा है।
भारत भारती पुरस्कार से सम्मानित उषा किरण खान का जन्म 24 अक्टूबर, 1945 को बिहार के दरभंगा जिले के लहेरियासराय में हुआ था। उषा किरण खान ने ‘भामती : एक अविस्मरणीय प्रेमकथा’, ‘सृजनहार’, ‘पानी पर लकीर’, ‘फागुन के बाद’, ‘सीमांत कथा’ और ‘हसीना मंजिल’ समेत कई उपन्यासों की रचना की।
उषा किरण खान को 2011 में उनके मैथिली भाषा में लिखे गए उपन्यास ‘भामती : एक अविस्मरणीय प्रेमकथा’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2012 में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्वारा उनके उपन्यास ‘सृजनहार’ के लिए कुसुमांजलि साहित्य सम्मान और 2015 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. उषा किरण खान के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।
मुख्यमंत्री ने एक शोक संदेश में कहा, ”डॉ. उषा किरण खान के निधन से हिन्दी एवं मैथिली साहित्य जगत् को अपूरणीय क्षति हुयी है।…ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को चिरशांति व उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करे।”
प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा ने उषा किरण खान के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया मंच फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा कि साहित्य जगत की इस क्षति को कभी पूर्ण नहीं किया जा सकता।
भाषा नरेश पवनेश
पवनेश
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