बेंगलुरु, 13 फरवरी (भाषा) पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ लोक गायिका सुकरी बोम्मागौड़ा का बृहस्पतिवार तड़के करीब चार बजे उनके आवास पर निधन हो गया। वह 91 साल की थीं।
सूत्रों ने बताया कि कर्नाटक में अंकोला की हलाक्की वोक्कालिगा जनजाति से संबंधित बोम्मागौड़ा पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थीं और हाल में उन्हें मंगलुरु के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
बोम्मागौड़ा को 5,000 से अधिक लोकगीतों के विशाल संग्रह तथा जनजातीय संगीत परंपराओं के संरक्षण में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है।
उन्हें 2006 में हम्पी विश्वविद्यालय के नादोजा पुरस्कार, 2017 में पद्मश्री पुरस्कार और जनपद श्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
शराब विरोधी कार्यकर्ता बोम्मागौड़ा ने दशकों पहले अपने गांव में शराब की बड़े पैमाने पर बिक्री के खिलाफ एक सार्वजनिक आंदोलन का भी नेतृत्व किया था।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बोम्मागौड़ा के निधन पर शोक व्यक्त किया।
सिद्धरमैया ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर बृहस्पतिवार सुबह लिखा, ‘‘प्रसिद्ध लोक गायिका सुकरी बोम्मागौड़ा के निधन से सांस्कृतिक जगत को जो क्षति हुई है, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती। वह जन्मजात कलाकार थीं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि हलाक्की लोकगीतों के माध्यम से विश्व प्रसिद्ध हुईं ‘सुकरी जी’ का जीवन संगीत ही था।
मुख्यमंत्री ने लिखा, ‘‘संगीत के साथ-साथ शराब विरोधी आंदोलन में भी सक्रिय रहीं सुकरी बोम्मागौड़ा का जीवन और उपलब्धियां अनुकरणीय हैं। ’’
उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने भी ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में गायिका के निधन पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। शिवकुमार ने उन्हें ‘लोक संगीत की कोकिला’ करार दिया।
केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने भी एक्स पर अपना शोक संदेश पोस्ट किया।
कुमारस्वामी ने लिखा, ‘‘हलाक्की गीतों की कोयल और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित सुकरी बोम्मागौड़ा के निधन की खबर सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ। मैंने सुना है कि उन्होंने हलाक्की गीतों के पांच हजार से अधिक गीत गाए थे, जिनसे शराबबंदी समेत कई लोकप्रिय मुद्दों पर लोगों में जागरूकता फैली। उनका निधन राज्य की सांस्कृतिक और लोक संगीत जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है।’’
भाषा संतोष नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.