(दूर्बा घोष)
गुवाहाटी, एक जून (भाषा) असम के बारपेटा में 58 वर्षीय महिला को नागरिकता संबंधी दस्तावेजों के साथ पुलिस के सामने पेश होने का समन उनकी चार बेटियों के लिए दुःस्वप्न बन गया है। लड़कियों का दावा है कि उन्हें उनकी मां के बारे में कोई जानकारी नहीं है और यह भी हो सकता है कि उन्हें बांग्लादेश भेज दिया गया हो।
लड़कियों के मामा अशरफ अली अपनी बहन शोना बानो के साथ 24 मई को पुलिस स्टेशन गए थे। उन्होंने कहा कि उनकी बहन को 2017 में विदेशी न्यायाधिकरण ने ‘विदेशी’ घोषित किया था और उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद 2020 में रिहा होने से पहले वह तीन साल से अधिक समय तक हिरासत केंद्र में रह चुकी थीं।
अली ने जिले के बुरीखामार गांव स्थित अपने घर से फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘शोना बानू हर सोमवार को अधिकारियों के समक्ष पेश होती थी और जब उसे अपने दस्तावेजों के साथ पुलिस के समक्ष पेश होने के लिए दोबारा फोन आया तो हमने सोचा कि यह एक सामान्य मामला बात है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि उसे पूरे दिन पुलिस थाने में हिरासत में रखा गया और हमें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई।’’
महिला के भाई ने दावा किया कि उसके बाद से उसकी कोई खबर नहीं है ‘‘लेकिन हमें बताया गया कि कुछ वीडियो सामने आए हैं जिनमें वह बांग्लादेश में देखी गई है। हमने भी एक वीडियो में उसे देखा है।’’
अली ने कहा, ‘‘हम बहुत चिंतित हैं। उसकी बेटियां रो रही हैं और अपनी मां को घर वापस लाने की लगातार मांग कर रही हैं। हम अधिकारियों से अपील करते हैं कि वे हमें उसके बारे में जानकारी दें और अगर उसे बांग्लादेश भेजा गया है तो उसे वापस लाएं।’’
उनके अनुसार शोना बानू का मामला अभी भी उच्चतम न्यायालय में लंबित है।
ऐसा ही दावा 42 वर्षीय मानिकजान बेगम के परिवार का भी है। मानिकजान बेगम को नागरिकता दस्तावेजों के साथ दरांग जिले के धुला पुलिस थाने बुलाया गया था।
महिला के सबसे बड़े बेटे बरेक अली (22) ने बताया, ‘‘उन्हें सबसे पहले 23 मई को धुला पुलिस थाने बुलाया गया था और अगले दिन मंगलदोई में पुलिस अधीक्षक कार्यालय में बुलाया गया था। हमें अंदर नहीं जाने दिया गया, उसके बाद से हमें उनकी कोई खबर नहीं है।’’
अली ने दावा किया, ‘‘हम इधर-उधर भटक रहे हैं, लेकिन अधिकारी हमें उनके बारे में कुछ नहीं बता रहे हैं… हमने उन्हें बांग्लादेश के एक ऑनलाइन वीडियो में अपनी आठ महीने की बहन के साथ देखा है।’’
मानिकजान बेगम को 2018 में न्यायाधिकरण ने ‘विदेशी’ घोषित किया था और उन्हें ग्वालपाड़ा स्थित हिरासत केंद्र से दो साल बाद रिहा किया गया था।
एक अन्य व्यक्ति अब्दुल हामिद शेख को 2018 में न्यायाधिकरण ने ‘विदेशी’ घोषित किया था, हालांकि उसे पहले हिरासत में नहीं लिया गया था लेकिन इस बार उसे हिरासत केंद्र में भेज दिया गया है।
उस0के वकील हमीदुल इस्लाम ने कहा, ‘‘हम शेख के मामले में उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने की प्रक्रिया में हैं।’’
राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शुक्रवार को कहा था कि राज्य में विदेशियों का पता लगाने में तेजी लाई जाएगी और ‘घोषित विदेशी नागरिकों’ (डीएफएन) के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है जिन्होंने कहा है कि उनकी अपील उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय में लंबित है। जिन लोगों ने उच्च न्यायपालिका में अपील नहीं की है, उन्हें वापस भेजा जाएगा।’’
भाषा
शोभना वैभव
वैभव
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