नई दिल्ली: गत 2 नवंबर की रात मनोज कुमार अरोड़ा को उत्तर प्रदेश के गोविंद नगर स्थित उनके घर पर एक कॉल आया. फोन लाइन पर उनका 26 वर्षीय बेटा रोशन था.
अरोड़ा ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुझे याद है कि वह कह रहा था—पापा, प्लीज मां के साथ बैठिए ताकि वह भी सब कुछ सुन सके. चालक दल और मुझे नाइजीरिया में गिरफ्तार किया गया है. हमें कुछ बेहद गंभीर अपराधों में आरोपी बनाया गया है.’
इस साल अगस्त से, तेल टैंकर एमटी हीरोइक इदुन पर सवार 16 भारतीय नाविक अन्य आरोपों के अलावा कथित तौर पर तेल चोरी के आरोप में हिरासत में लिए जा चुके हैं. पहले इक्वेटोरियल गिनी में और अब नाइजीरिया में. वे इस केस में नाइजीरिया के पोर्ट हरकोर्ट में 10-11 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई तक जहाज पर ही रहेंगे.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को लोकसभा में यह मुद्दा उठाया, और कहा कि चालक दल पर तीन आरोप लगाए गए है. साथ ही यह भी बताया कि भारत सरकार ‘उन्हें कानूनी सहायता और कांउसलर सपोर्ट मुहैया करा रही है.’
नाविकों के परिवारों ने विदेश मंत्री की टिप्पणी का स्वागत किया है, लेकिन सरकार से यह गुहार भी लगाई है कि सुनवाई में तेजी लाने में मदद करे और यह सुनिश्चित करे कि परिवार चालक दल से अधिक बार संपर्क साधने में सक्षम हों.
जहाजरानी महानिदेशक अमिताभ कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम परिवारों के साथ लगातार संपर्क में हैं. निश्चित तौर पर कोई आदर्श स्थिति नहीं है, लेकिन जनवरी में सुनवाई तक वेट-एंड-वाच वाली स्थिति ही है.’
दिप्रिंट ने अपने सवालों के साथ नई दिल्ली स्थित नाइजीरियाई उच्चायोग से संपर्क साधा, लेकिन यह रिपोर्ट प्रकाशित होने तक उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी.
25 नवंबर को, नाविकों के परिवारों के साथ-साथ भारतीय नाविकों के राष्ट्रीय संघ (एनयूएसआई) के सदस्यों ने चालक दल की ‘अवैध हिरासत’ के खिलाफ नाइजीरियाई उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था.
संघ ने नाविकों की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए उच्चायोग में एक याचिका भी दी थी, लेकिन इस पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
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आउट-ऑफ-कोर्ट सेटलमेंट के ‘आसार नहीं’
नार्वे के तेल टैंकर एमटी हीरोइक इदुन पर नाइजीरिया के एकपो ऑयलफील्ड में कच्चे तेल की चोरी के प्रयास का आरोप लगाया गया है. जहाज के चालक दल को पहली बार 12 अगस्त को इक्वेटोरियल गिनी में अधिकारियों की तरफ से देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) से गुजरते समय पकड़ा गया था.
जहाज के कप्तान तनुज मेहता के एक बयान के मुताबिक, नाइजीरियाई नौसेना होने का दावा करने वाले एक निगरानी जहाज ने उस समय टैंकर से संपर्क किया था, लेकिन इस संदेह पर कि यह समुद्री डाकुओं का जहाज है, एमटी हीरोइक इदुन वहां से भाग निकला.
शिपिंग कंपनी के सूत्रों ने कहा कि ईईज़ेड से गुजरने को लेकर सितंबर में इक्वेटोरियल गिनी के अधिकारियों को 16 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा किया गया था. हालांकि, 11 नवंबर को इक्वेटोरियल गिनी ने एमटी वीर इदुन को नाइजीरियाई अधिकारियों को सौंप दिया.
शिप के चीफ ऑफिसर की पत्नी मेटिल्डा सानू के मुताबिक, एमटी हीरोइक इदुन के प्रबंधक ओएसएम ग्रुप की तरफ से परिवारों को सूचित किया गया है कि वे अदालत के बाहर समझौते की कोशिश कर रहे थे, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली.
सानू ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमें पहले बताया गया था कि शिपिंग कंपनी आउट ऑफ कोर्ट एक समझौते की कोशिश में हैं और क्रिसमस से पहले चालक दल को भारत वापस ले आएगी. लेकिन लगता है कुछ हो नहीं पाया. चालक दल मानसिक परेशानियों से गुजर रहा है. हमारा धैर्य जवाब देता जा रहा है.’
इस बीच, जहाज के कप्तान सपना त्रेहन मेहता की पत्नी ने भारत सरकार से मामले की सुनवाई और मुकदमे में तेजी लाने में मदद करने का आग्रह किया है, क्योंकि चालक दल चार महीने से अधिक समय से हिरासत में है.
उन्होंने कहा, ‘हम विदेश मंत्री की टिप्पणी के लिए आभारी हैं, लेकिन सरकार से इस मामले की सुनवाई में तेजी लाने के उपाय करने का अनुरोध करते हैं. हमने पूछा था कि दिसंबर में सुनवाई क्यों नहीं की गई, लेकिन हमें बताया गया कि नाइजीरियाई अदालतें छुट्टियों के कारण बंद हैं.’
अभी, चालक दल के सदस्यों को हर 15 दिन में पांच मिनट के लिए अपना मोबाइल फोन मिलता है और उन्हें अपने परिवार से केवल अंग्रेजी में बात करने की अनुमति होती है.
नाइजीरिया में समुद्री डाकुओं के हमले और तेल चोरी आम बात
एमटी हीरोइक इदुन के चालक दल को नाइजीरियाई नौसेना ने लाइसेंस या प्राधिकरण के बिना कच्चे तेल के सौदे का प्रयास करने और दो अन्य अपराधों मे आरोपी बनाया है.
सूत्रों ने कहा कि चालक दल के सदस्यों ने खुद को तीनों मामलों में निर्दोष बताया है.
15 नवंबर को जारी बयान में नाइजीरिया के रियर एडमिरल सैदु गरबा ने समुद्री डाकुओं को लेकर किए गए चालक दल के दावों को नाइजीरिया को ‘बदनाम करने के अभियान’ का हिस्सा बताया और कहा कि इसके लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति हासिल करने की कोशिश की है.
नाइजीरियाई फर्म ओलिसा अगबाकोबा लीगल में वकील कॉर्नेलियस गेब्रियल ने बताया कि हालिया वर्षों में समुद्री डाकुओं के हमलों और तेल चोरी की दोहरी समस्या पर को दूर करने के लिए नाइजीरिया ने ‘सख्त प्रयास’ किए हैं.
गेब्रियल ने एक ईमेल पर दिप्रिंट को बताया, ‘अफ्रीका में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते नाइजीरिया क्षेत्र में अधिकांश विशाल संसाधनों और शिपिंग यातायात के लिए जिम्मेदार है, और अधिकांश हमले उसके क्षेत्र में होते हैं और जिनसे निपटने के बेहद सख्त प्रयास किए जा रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘कच्चे तेल की चोरी नाइजीरिया की अर्थव्यवस्था पर भी बहुत ज्यादा प्रतिकूल असर डालती है, यही वजह है कि उसने इस मामले में सख्त तेवर अपना रखे हैं.’
इस साल अक्टूबर में पता चला था कि नाइजीरिया के प्रमुख तेल निर्यात टर्मिनलों में से एक से एक अवैध कनेक्शन लाइन नौ साल से चल रही थी.
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(अनुवाद : रावी द्विवेदी )
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