नई दिल्ली: मेडिकल जर्नल बीएमजे ने अमरीकी फार्मा दिग्गज फाइजर और उसके जर्मन सहयोगी संस्था बायोएनटेक द्वारा निर्मित कोविड वैक्सीन के नैदानिक परीक्षणों से प्राप्त कथित डेटा की सत्यता से जुड़े कई सवालों के बारे में जानकारी दी है. एक व्हिसलब्लोअर (मामले का भंडाफोड़ करने वाला शख्स), जो इस वैक्सीन के परीक्षण कार्य के संचालन हेतु नियोजित फर्मों में से एक का बर्खास्त किया गया कर्मचारी है- का हवाला देते हुए इस पत्रिका ने मंगलवार को लिखा कि, कंपनी ने फर्जी डेटा पेश किये, रोगियों को परीक्षण के दौरान उन्हें दिए जा रहे उपचार की पहले से सूचना दी, अपर्याप्त रूप से प्रशिक्षित टीककर्मियों को नियुक्त किया, और फाइजर के निर्णायक तीसरे चरण के परीक्षण में रिपोर्ट की गई प्रतिकूल घटनाओं पर आगे फॉलो आप कार्रवाई करने में ढिलाई की.
पत्रिका में दी गयी खबर के अनुसार, इस तथ्य के बावजूद कि इस परीक्षण का प्राथमिक परिणाम कोविड संक्रमण था, कार्यक्रम का संचालन इतना ‘गंदे तरीके’ से किया गया था कि कभी-कभी कंपनी के पास कथित तौर पर परीक्षण में शामिल उन प्रतिभागियों के स्वैब लेने के लिए पर्याप्त कर्मचारी भी नहीं थे, जिनमें कोविड जैसे लक्षण विकसित हो रहे थे.
ये अनियमिततायें सम्भाव्य रूप से इस डबल ब्लाइंड ट्रायल में निष्कर्ष तक पहुंचने के तरीके को प्रभावित कर सकते हैं.
डबल ब्लाइंड ट्रायल के तहत, न तो प्रतिभागियों और न ही शोधकर्ताओं को यह पता होता है कि किसे टीका दिया गया है और किसे प्लेसीबो मिला है. जैसे-जैसे प्रतिभगियों में संक्रमण विकसित होती हैं, उनकी स्थिति को नोट किया जाता है, और अंतिम विश्लेषण में ही ‘अनब्लाइंडिंग’ की प्रक्रिया तब पूरी होती है जब बायोस्टैटिस्टिक्स के तरीकों का उपयोग करके संक्रमण तथा वैक्सीन और इसकी प्रभाविकता के बीच के संबंध की गणना की जाती है.
3 नवंबर तक दुनिया भर में फाइजर वैक्सीन की अनुमानित 418.41 मिलियन खुराक दी जा चुकी है.
भारत ने अभी तक इस वैक्सीन को लगाए जाने की मंजूरी नहीं दी है. कंपनी ने पिछले साल नियामक मंजूरी के लिए आवेदन किया था लेकिन इस साल की शुरुआत में इसने अपना आवेदन वापस ले लिया. इस मामले में रूकावट वाले बिंदुओं में से एक यह भी था भारत सरकार इस वैक्सीन को लगवाने वाले के साथ होने वाली किसी अप्रिय घटना की फाइजर द्वारा क्षतिपूर्ति से सम्बंधित कानूनी दायित्व में किसी तरह की माफ़ी देने को अनिच्छुक थी.
बीएमजे में इन आरोपों को अनुसंधान संगठन वेंटाविया रिसर्च ग्रुप के एक कर्मचारी के ईमेल और अन्य पत्राचार के हवाले से लगाया गया है, जिसके बारे में पत्रिका ने यह दावा किया है कि परीक्षण सम्बन्घित प्रोटोकॉल और बेस्ट प्रैक्टिसेस के उल्लंघन के बारे में सूचित करने के लिए उसने अमेरिकी फ़ूड ऐंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) से संपर्क किया था.
इस पत्रिका ने वेंटाविया के दो अन्य कर्मचारियों से भी बात की, जिन्होंने इस व्हिसलब्लोअर द्वारा दिए गए वृतांत की पुष्टि की.
इस मामले पर टिप्पणी के लिए दिप्रिंट ने फाइजर के साथ ईमेल पर संपर्क किया. कंपनी ने इस बात पुष्टि की कि उसे हमारे सवाल प्राप्त हो गए है और यह भी कहा कि इसका शीघ्र ही उत्तर दिया जाएगा. हालांकि, इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं प्राप्त हुई थी. प्रतिक्रिया मिलने पर इस खबर को अपडेट किया जाएगा.
एफडीए द्वारा वेंटाविया के परिक्षण स्थलों का कोई निरीक्षण नहीं किया गया था
वेंटाविया कर्मचारी, ब्रुक जैक्सन – जिसने कंपनी में अपने 15 दिनों के कार्यकाल के दौरान देखे गए कई सारे उल्लंघनों को चिह्नित किया था – को उनके द्वारा एफडीए से संपर्क करने के बाद नौकरी से निकाल दिया गया था. इस महिला ने अमेरिकी दवा नियामक द्वारा संभावित निरीक्षण के बारे में कंपनी के भीतर व्याप्त कथित भय के बारे में भी बीएमजे से बात की थी.
यह भी पढ़ें : एफडीए ने बच्चों के वैक्सीन को दी हरी झंडी, कहा- फाइजर का कोविड रोधी टीका भी है कारगर
हालांकि, अंत में, वेंटाविया द्वारा प्रबंधित किसी भी परिक्षण स्थल का कोई निरीक्षण नहीं किया गया.
पत्रिका ने लिखा है, ‘इस साल अगस्त में, फाइजर के टीके की पूर्ण मंजूरी दिए जाने के बाद, एफडीए ने इस कंपनी के महत्वपूर्ण परीक्षण के अपने द्वारा किये गए निरीक्षणों का सारांश प्रकाशित किया.परीक्षण के 153 स्थलों में से सिर्फ नौ का निरीक्षण किया गया था. वेंटाविया की साइटों को इन नौ में सूचीबद्ध नहीं किया गया था, और दिसंबर 2020 में आपातकालीन मंजूरी के बाद के आठ महीनों में उन साइटों का कोई भी निरीक्षण नहीं किया गया जहां वयस्कों की भर्ती की गई थी.‘
जैक्सन ने जिन उल्लंघनों के बारे में उल्लेख किया है, उनमें परीक्षण के प्रतिभागियों की निगरानी की कमी और टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाओं की सूचना देने वालों के मामले समय पर फॉलो-अप कार्रवाई न किया जाना, प्रोटोकॉल से इतर किये जाने वाले कार्यों की सूचना न दिया जाना, टीकों को उचित तापमान पर संग्रहीत नहीं किया जाना, प्रयोगशाला के नमूनों की गलत लेबलिंग और इन समस्याओं की सूचना देने वाले कर्मचारियों को लक्षित किया जाना शामिल था.
जर्नल में आगे लिखा गया है कि, ‘एक दूसरे कर्मचारी ने भी वेंटाविया में काम-काज के ऐसे वातावरण का वर्णन किया, जो उसने अपने 20 वर्षों के शोध कार्य के अनुभव के दौरान पहले कभी नहीं देखा था.’ उसने बीएमजे को बताया कि, ‘वेंटाविया द्वारा जैक्सन को निकाल जाने के तुरंत बाद, फाइजर को वैक्सीन परीक्षण के काम में वेंटाविया में आ रही समस्याओं के बारे में सूचित किया गया था और इसका एक ऑडिट भी हुआ था.’
जैक्सन द्वारा सितंबर 2020 में एफडीए को वेंटाविया के साथ जुडी समस्याओं के बारे में दी गयी सूचना के बाद से फाइजर ने वेंटाविया को चार अन्य वैक्सीन क्लिनिकल परीक्षणों (बच्चों और युवा वयस्कों, गर्भवती महिलाओं के लिए कोविड -19 वैक्सीन, एक बूस्टर खुराक, साथ ही एक आर.एस.वी. वैक्सीन परीक्षण) के लिए रिसर्च सबकॉन्ट्रक्टर (शोध उपठेकेदार) के रूप में नियुक्त किया है.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )