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Sunday, 5 May, 2024
होमदेशविश्वास और दृढ़ निश्चय— उत्तरकाशी सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों के बचाव अभियान को तस्वीरों में देखें

विश्वास और दृढ़ निश्चय— उत्तरकाशी सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों के बचाव अभियान को तस्वीरों में देखें

निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए 13 सरकारी एजेंसियां ​​युद्धस्तर पर काम कर रही हैं. सुरंग का एक हिंसा 12 नवंबर को ढह गया था.

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उत्तरकाशी: उत्तराखंड के सीमांत जिले उत्तरकाशी में केंद्र सरकार द्वारा बनाई जा रही ‘चार धाम ऑल वेदर कनेक्टिविटी परियोजना’ के तहत यमुनोत्री मार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को अचानक ढह गया, जिसके कारण 41 मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए. इसका मलबा 60 मीटर तक फैल गया. अंदर फंसे मजदूरों को बचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की करीब 13 एजेंसियां ​​और दुनिया के कई विशेषज्ञ युद्ध स्तर पर पर काम कर रहे हैं.

दिप्रिंट द्वारा एक इंटरव्यू में यह पूछे जाने पर कि सुरंग का हिस्सा ढहने का कारण क्या हो सकता है, उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक रुहेला ने बताया कि राज्य मशीनरी फिलहाल केवल बचाव अभियान पर केंद्रित है.

उन्होंने कहा, “बचाव अभियान पूरा होने के बाद जब तक हम दुर्घटना के कारण पर गौर नहीं करेंगे, कुछ भी कहना मुश्किल होगा.”

Rescue operations underway at the under-construction Silkyara tunnel | Suraj Singh Bisht | ThePrint
निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग में बचाव अभियान जारी | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
A general view of an entrance of the under construction road tunnel is seen, days after it collapsed in the Uttarkashi district of India's Uttarakhand state on November 21, 2023 | ThePrint photo by Suraj Sigh Bisht
21 नवंबर, 2023 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सड़क सुरंग के ढहने के कुछ दिनों बाद, उसके प्रवेश द्वार का एक सामान्य दृश्य | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
Security personnel deployed at entrance of tunnel | Suraj Singh Bisht | ThePrint
सुरंग के प्रवेश द्वार पर तैनात सुरक्षाकर्मी | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
Workers preparing grounds for vertical drilling | Suraj Singh Bisht | ThePrint
ड्रिलिंग के लिए जगह तैयार करते मजदूर | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

बचाव अभियान में शुक्रवार दोपहर को उस समय दिक्कत आ गई जब ‘एस्केप पैसेज’ के लिए रास्ता बनाने के लिए दिल्ली से एयरलिफ्ट की गई एक अमेरिकी ऑगर मशीन एक सख्त सतह से टकरा गई. अधिकारी अब कह रहे हैं कि वे सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को बचाने के लिए पांच अलग-अलग तरीकों पर एक साथ काम कर रहे हैं. ड्रिलिंग भी इसमें एक है, जिसके लिए अधिकारियों ने सेना और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) से सहायता मांगी है.

Sunita (L) Rajni (R), both family members of workers trapped inside Silkyara tunnel | Suraj Singh Bisht | ThePrint
सुनीता (बाएं) रजनी (दाएं)- सिल्क्यारा सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों के परिवार के दोनों सदस्य | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
Bottles filled with khichdi meant for trapped workers being emptied | Suraj Singh Bisht | ThePrint
फंसे हुए मजदूरों के लिए रखी गई खिचड़ी से भरी बोतलें खाली की जा रही हैं | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
Food being sent to trapped workers through pipeline | Suraj Singh Bisht | ThePrint
फंसे हुए मजदूरों को पाइपलाइन के जरिए भेजा जा रहा खाना | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
Union Minister Gadkari and Uttarakhand CM Dhami at site of collapse | Suraj Singh Bisht | ThePrint
ढहने वाली जगह पर केंद्रीय मंत्री गडकरी और उत्तराखंड के सीएम धामी | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
Team of experts arrives in Uttarkashi to review rescue ops | Suraj Singh Bisht | ThePrint
बचाव कार्यों की समीक्षा के लिए विशेषज्ञों की टीम उत्तरकाशी पहुंची | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

सिल्क्यारा के देवता बोखनाग का एक मंदिर सुरंग के प्रवेश द्वार के पास फिर से स्थापित किया गया था. स्थानीय लोगों का मानना ​​​​है कि राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) द्वारा इस मंदिर को हटाने के कारण ही यह हादसा  हुआ.

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Temple re-established near entrance of tunnel | Suraj Singh Bisht | ThePrint
सुरंग के प्रवेश द्वार के पास पुनः स्थापित हुआ मंदिर | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
A priest applies ‘tilak’ on forehead of police personnel part of rescue ops | Suraj Singh Bisht | ThePrint
बचाव अभियान के दौरान एक पुजारी पुलिस कर्मियों के माथे पर ‘तिलक’ लगाते हुए | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
Workers witness rescue ops | Suraj Singh Bisht | ThePrint
बचाव अभियान को देखते लोग | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

बचाव अभियान से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को कहा कि अधिकारियों ने निर्माणाधीन सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर ऊपर से ड्रिलिंग करने के लिए जगह की पहचान कर ली है. अधिकारी ने कहा कि उस जगह तक जाने के लिए सड़क बनाने का काम लगभग पूरा हो चुका है और बीआरओ पहाड़ी पर सुरंग के दोनों ओर से उस स्थान तक सड़क बना रहा है.

NDRF personnel on way to location identified for vertical drilling | Suraj Singh Bisht | ThePrint
एनडीआरएफ के जवान ड्रिलिंग वाले स्थान पर जाते हुए | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
NDRF personnel on hill above tunnel | Suraj Singh Bisht | ThePrint
सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर एनडीआरएफ के जवाव | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
A high-performance drilling machine brought to expedite rescue ops | Suraj Singh Bisht | ThePrint
बचाव कार्य में तेजी लाने के लिए एक बड़ी ड्रिलिंग मशीन लाई गई | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
Construction of road underway on hill above tunnel | Suraj Singh Bisht | ThePrint
सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर चल रहा सड़क निर्माण | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
Machine being used to cut through rocks on hill above tunnel | Suraj Singh Bisht | ThePrint
सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर चट्टानों को काटने के लिए मशीन का उपयोग किया जा रहा है | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
An engineer using geodetic measuring devices to survey geographical features of hill above tunnel | Suraj Singh Bisht | ThePrint
सुरंग के ऊपर पहाड़ी की भौगोलिक विशेषताओं का सर्वेक्षण करने के लिए जियोडेटिक माप उपकरणों का उपयोग करने वाला एक इंजीनियर | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
A worker part of crew constructing road on hill above tunnel | Suraj Singh Bisht | ThePrint
सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर सड़क निर्माण कर रहा मजदूर | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
Hard hats hanging inside workers' accommodation | Suraj Singh Bisht | ThePrint
मजदूर के रहने वाले जगह पर लटकी उनकी हार्ड हैट | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
A worker part of rescue ops using his phone after finishing his shift | Suraj Singh Bisht | ThePrint
बचाव अभियान में शामिल एक कर्मचारी अपनी शिफ्ट ख़त्म करने के बाद अपने फ़ोन इस्तेमाल करते हुए | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

(संपादन: ऋषभ राज)


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