नयी दिल्ली/पेरिस, आठ जुलाई (भाषा) यूनेस्को की महानिदेशक ऑद्रे अजूले ने कहा है कि ‘‘स्थायी शांति के साधन के रूप में’’ विरासत में दृढ़ विश्वास मौजूदा संघर्ष क्षेत्रों में यूनेस्को के प्रयासों का मार्गदर्शन करता है।
ऑद्रे अजूले ने कहा कि यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) के इस संदेश को और अधिक प्रचारित करने की आवश्यकता है क्योंकि विशेष रूप से पश्चिम एशिया में कई विश्व धरोहर स्थल ‘‘अंधाधुंध हमलों के कारण खतरे में हैं’’।
यूनेस्को द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, पेरिस में सोमवार को विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 47वें सत्र के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व धरोहर स्थलों की संख्या 1979 में 12 थी जो आज बढ़कर 1,200 से अधिक हो गई है।
अजूले ने कहा, ‘‘अपने 196 राष्ट्र दलों के साथ हमारा सम्मेलन सार्वभौमिक रूप से सबसे अधिक स्वीकृत, एक सच्चा जनमत संग्रह है जिसे दुनिया के हर कोने में मजबूत लोकप्रियता हासिल है।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विरासत लोगों और समाजों के बीच एक ‘‘आवश्यक बंधन’’ बनाती है तथा संघर्ष एवं संघर्ष के बाद की स्थितियों में यह ‘‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को फिर से स्थापित करने और सामाजिक ताने-बाने को बहाल करने में मदद करने वाली एक महत्वपूर्ण साधन बन जाती है’’।
यूनेस्को की महानिदेशक ने कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि यूनेस्को सीरिया में अपना वह काम फिर से शुरू कर रहा है जिसका उद्देश्य दमिश्क के राष्ट्रीय संग्रहालय की सुरक्षा करना है क्योंकि यह शहर खतरे में पड़ी विश्व धरोहरों की सूची में शामिल है।’’
उन्होंने कहा कि अलेप्पो में भी यूनेस्को प्रतिष्ठित स्मारकों को संरक्षित करने तथा इसके राष्ट्रीय संग्रहालय के पुनरुद्धार के लिए एक कार्यक्रम लागू करने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने बताया कि अलेप्पो ‘‘यूनेस्को की सूची में शामिल है’’।
भाषा सुरभि सिम्मी
सिम्मी
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