मुंबई, 31 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले की बृहस्पतिवार को सराहना करते हुए कहा ‘‘आतंकवाद न कभी भगवा था और न कभी होगा।’’
वहीं, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि इस फैसले ने हिंदू समुदाय पर लगे कलंक को मिटा दिया है।
शिंदे ने दावा किया कि हिंदू कभी भी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में संलिप्त नहीं हो सकते और उन्होंने ‘‘हिंदू आतंकवाद के बेतुके शब्द’’ गढ़ने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधा।
इस बीच, विपक्षी दल कांग्रेस ने फडणवीस पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को विस्फोट में निर्दोष लोगों की जान जाने पर ‘‘कोई पछतावा’’ नहीं है और अदालत के फैसले पर उनकी प्रतिक्रिया ने उनकी ‘‘राजनीतिक मानसिकता’’ दिखाई है।
कांग्रेस ने यह भी पूछा कि क्या सरकार उच्च न्यायालय में अदालत के फैसले को चुनौती देगी, जैसा कि 7/11 विस्फोट के मामले में आरोपी को बरी किए जाने के बाद उसने किया था।
मालेगांव विस्फोट में छह लोगों की मौत होने के करीब 17 साल बाद एक विशेष अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सातों आरोपियों को बृहस्पतिवार को बरी करते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई ‘‘विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं हैं।’’
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘आतंकवाद भगवा न कभी था, न है और न कभी होगा।’’
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, ‘‘सत्य कभी नहीं हराया जा सकता। 17 साल की लंबी लड़ाई के बाद, एक विशेष अदालत ने मालेगांव बम विस्फोट के मामले में सात कथित अभियुक्तों को बरी कर दिया है। यह सच है कि न्याय में देरी हुई, लेकिन यह एक बार फिर साबित हो गया है कि सत्य को कभी हराया नहीं जा सकता।’’
उन्होंने कहा कि शिवसेना ने उन देशभक्तों का स्पष्ट रूप से समर्थन किया है, जिन्हें मालेगांव विस्फोट मामले में झूठा फंसाया गया था।
उन्होंने कहा कि हिंदू कभी भी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में संलिप्त नहीं हो सकते, क्योंकि देशभक्ति उन लोगों के लिए एक पवित्र कर्तव्य है जो हिंदू धर्म का पालन करते हैं।
शिंदे ने पूछा, ‘‘कांग्रेस के षडयंत्रकारी नेताओं ने ‘हिंदू आतंकवाद’ जैसा बेतुका शब्द गढ़ा था। इस तरह के झूठ के लिए अब उनके पास क्या जवाब है?’’
राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि मालेगांव बम विस्फोट मामले में एनआईए अदालत का फैसला केवल एक न्यायिक निर्णय नहीं है बल्कि बदनाम करने के लिए लंबे समय से की जा रही राजनीतिक साजिश का पर्दाफाश है।
इस बीच, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस ने हमेशा आतंकवाद की निंदा की है और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। मालेगांव विस्फोट मामले की जाँच (तत्कालीन एटीएस प्रमुख) स्वर्गीय हेमंत करकरे ने की थी, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर वह और राज्य के गृह मंत्री रहे दिवंगत आर.आर. पाटिल आज जीवित होते, तो अदालत का फैसला क्या होता। लोग यही सोच रहे हैं।’’
सपकाल ने कहा कि इस मामले से जुड़े कई सवाल उठाए गए हैं।
उन्होंने पूछा, ‘‘आरोपी कौन हैं? मुंबई ट्रेन विस्फोट और मालेगांव विस्फोट आतंकी कृत्य हैं। 7/11 विस्फोट मामले के आरोपियों को बरी किए जाने के तुरंत बाद सरकार ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। क्या सरकार अब भी इसी तरह कार्रवाई करेगी?’’
मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा, ‘‘मालेगांव विस्फोट में निर्दोष लोग मारे गए और सरकार उन्हें न्याय नहीं दिला सकी, फिर भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को कोई पछतावा नहीं है। उनके ट्वीट (एक्स पर पोस्ट) से उनकी राजनीतिक मानसिकता का पता चलता है।’’
उन्होंने कहा कि यही वजह है कि जांच एजेंसियों के रवैये पर सवाल उठ रहे हैं।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने फैसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
भाषा गोला नरेश
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