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सोमवार, 21 अप्रैल, 2025
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एम्स दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़ के संकाय सदस्यों की ‘रोटेटरी हेडशिप’ नीति तत्काल लागू करने की मांग

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नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली और पीजीआई चंडीगढ़ के फैकल्टी एसोसिएशन ने इन प्रमुख संस्थानों में ‘रोटेटरी हेडशिप’ की नीति लागू करने में ‘निरंतर देरी’ पर चिंता जतायी।

‘रोटेटरी हेडशिप’ से तात्पर्य एक ऐसी प्रणाली से है, जिसमें किसी विभाग या संगठन में नेतृत्व का पद एक व्यक्ति द्वारा स्थायी रूप से धारण किए जाने के बजाय, पात्र व्यक्तियों को बारी-बारी से प्रदान किया जाता है।

‘फैकल्टी एसोसिएशन ऑफ एम्स (एफएआईएमएस), दिल्ली ने 16 अप्रैल को एक आम बैठक आयोजित की, जिसके बाद पीजीआई,चंडीगढ़ के फैकल्टी एसोसिएशन ने 17 अप्रैल को अपनी आम बैठक की।

दोनों निकायों ने शुक्रवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘दोनों निकायों ने सर्वसम्मति से कहा कि कोलेजियम प्रणाली के साथ-साथ ‘रोटेटरी हेडशिप’ प्रणाली, उनके संस्थानों के भीतर निष्पक्ष, पारदर्शी और लोकतांत्रिक शासन संरचना को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।’’

वर्ष 2023 में, भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने औपचारिक रूप से सूचित किया कि जून 2024 से एम्स दिल्ली और पीजीआई चंडीगढ़ में ‘रोटेटरी हेडशिप’ नीति लागू की जाएगी।

बयान के अनुसार, इसके बावजूद, लगभग एक वर्ष बीत जाने तथा फैकल्टी निकायों द्वारा बार-बार अनुरोध किए जाने के बाद भी, इसके प्रवर्तन की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

बयान में कहा गया है कि इसके अलावा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है। बयान में कहा गया है कि हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने किसी भी एसोसिएशन से बात नहीं की है और मामले को बिना किसी औचित्य के बार-बार टाला जा रहा है।

बयान में कहा गया है कि इसके मद्देनजर दोनों एसोसिएशन ने नीति को लागू करने के लिए 17 अप्रैल से 14 दिन की समयसीमा जारी करने का संकल्प लिया है। इसमें कहा गया है कि यदि कोई प्रगति नहीं हुई, तो एक मई से चरणबद्ध विरोध शुरू होगा।

बयान में कहा गया है कि पहले महीने में, डॉक्टर ‘काली पट्टी बांधकर’ विरोध प्रदर्शन करेंगे, उसके बाद दूसरे महीने में क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे। बयान में उल्लेख किया गया है कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो विरोध प्रदर्शन को और बढ़ाया जाएगा।

बयान में कहा गया है, ‘‘हम मंत्रालय से अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करने और ऐसी स्थिति से बचने का आग्रह करते हैं जिसमें संकाय को पहले से वादा की गई नीति को प्राप्त करने के लिए विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया जाता है।’’

भाषा अमित धीरज

धीरज

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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