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Sunday, 22 December, 2024
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जबरन वसूली रैकेट- शख्स को रेप केस में फंसाने की आरोपी महिला को पंजाब-हरियाणा HC का जमानत देने से इनकार

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को पुलिस ने बताया था कि आरोपी महिला अक्सर पुरुषों और उनके परिवार के सदस्यों को फंसाने के मकसद से 'आदतन' यौन उत्पीड़न के झूठे मामले दर्ज करवाती रहती है.

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नई दिल्ली: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सितंबर 2020 और नवंबर 2021 के बीच बलात्कार का आरोप लगाने वाली एक महिला जिसने जबरन वसूली के प्रकरण में अलग-अलग पुरुषों के खिलाफ नौ मामले दर्ज कराए थे, उसकी ज़मानत याचिका खारिज कर दी है.

आरोपी महिला को कथित तौर पर एक महिला और उसके बेटे को दुष्कर्म का झूठा मामला दर्ज कराने की धमकी देकर ब्लैकमेल करने और उनसे पैसे वसूलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

आरोपी महिला को ज़मानत देने से इनकार करते हुए, न्यायमूर्ति अशोक कुमार वर्मा की एकल न्यायाधीश पीठ ने सात दिसंबर के अपने आदेश में कहा, ‘इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों, कथित अपराधों की गंभीरता और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता की अलग-अलग व्यक्तियों के खिलाफ मामले दर्ज करने की आदत है, लेकिन वर्तमान मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी किए बिना, मेरा मानना है कि याचिकाकर्ता ज़मानत की रियायत के काबिल नहीं है.’

अदालत आरोपी महिला द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता (क्रिमिनल प्रोसीजर कोड) की धारा-439 (ज़मानत) के अलावा धारा-482 (उसके खिलाफ कार्यवाही को रद्द करने के लिए) के तहत दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

महिला को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-120बी (आपराधिक साजिश), 195 ए (किसी भी व्यक्ति को झूठे सबूत देने की धमकी), 34 (समान इरादा), 384 (जबरन वसूली) और 509 (किसी महिला के शील भंग करना या अपमान करने के इरादे से शब्द या इशारा का उपयोग) के प्रावधानों के तहत पिछले साल 29 दिसंबर को हरियाणा के गुरुग्राम में जबरन वसूली के मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद इस साल 27 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था.

यह प्राथमिकी गुरुग्राम के एक युवक की मां ने दर्ज कराई थी. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि आरोपी महिला उनके बेटे को हरियाणा के एक खेत के पास पहाड़ियों में ले गई और उसके साथ ‘अश्लील हरकतें’ करने लगी.

उन्होंने आरोप लगाया है कि जब उनके बेटे ने इसका विरोध किया तो आरोपी महिला ने उसके बेटे को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. आरोपी महिला ने कथित तौर पर शिकायतकर्ता के बेटे को बलात्कार के मामले में फंसाने की धमकी दी थी और मामले को ‘रफा-दफा करने के लिए पैसे’ की मांग कर रही थी.

इस मामले में अपना बचाव करते हुए आरोपी महिला ने अदालत को बताया कि उसकी शिकायतकर्ता के बेटे के साथ दोस्ती थी और उसने उनकी दोस्ती का ‘अनुचित लाभ’ उठाया था. महिला ने आरोप लगाया कि युवक ने शादी का झांसा देकर उसके साथ जबरदस्ती अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए. महिला ने कहा कि उसने पिछले साल 28 नवंबर को महिला पुलिस थाने, गुरुग्राम में उसके (युवक) खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी और युवक की मां की प्राथमिकी उसकी शिकायत की प्रतिक्रिया है.


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अलग-अलग लोगों पर 9 मुकदमे दर्ज

अदालत के समक्ष 8 अक्टूबर को दायर एक हलफनामे के माध्यम से पुलिस ने सूचित किया कि आरोपी महिला ने सितंबर 2020 और नवंबर 2021 के बीच ‘युवा लड़कों और उनके परिवार के सदस्यों’ के खिलाफ नौ प्राथमिकियां दर्ज कराई थीं.

अदालत को यह भी सूचित किया गया कि इन नौ मामलों में से कम-से-कम तीन मामलों में प्राथमिकी में लगाए गए आरोप के झूठे पाए जाने के बाद आरोपी महिला के खिलाफ आईपीसी की धारा 182 (किसी लोक सेवक को उसकी वैध शक्ति का उपयोग करने के इरादे से झूठी सूचना देने) के तहत कार्यवाही शुरू की गई थी.

अदालत ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि उस महिला के खिलाफ 23 दिसंबर 2021 को गुरुग्राम में फिरौती की एक और प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

इन्हीं वजहों से राज्य सरकार ने उसकी जमानत अर्जी को यह आरोप लगाते हुए चुनौती दी थी कि उसके साथ युवा लड़कों और उनके परिवार के सदस्यों को इस वजह से बलात्कार और किसी महिला की शील भंग करने जैसे अपराधों के लिए झूठे आरोपों में फंसाने का एक पैटर्न जुड़ा है ताकि उन्हें ब्लैकमेल किया जा सके.

इन सभी निवेदनों पर ध्यान देते हुए, अदालत ने कहा, ‘याचिकाकर्ता उन लोगों से धन की जबरन वसूली के लिए एक रैकेट चला रही है, जिनके खिलाफ उसके द्वारा आरोप लगाए गए हैं.’

(अनुवादः राम लाल खन्ना | संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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