scorecardresearch
Sunday, 23 June, 2024
होमदेशप्रदूषण की मार झेल रही दिल्ली में पानी की गुणवत्ता को लेकर हो रही गंदी राजनीति

प्रदूषण की मार झेल रही दिल्ली में पानी की गुणवत्ता को लेकर हो रही गंदी राजनीति

पासावन भले ही कह रहे हों कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए लेकिन दिल्ली की हवा से पानी तक यहां कुछ भी राजनीति से अछूता नहीं रहा. मामला संसद तक में उठ चुका है.

Text Size:

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दिल्ली जल बोर्ड द्वारा पानी पर लगाए जाने वाला डिवेलपमेंट चार्ज माफ़ कर दिया. उन्होंने ये फ़ैसला दिल्ली के पानी पर मचे घमासान के बीच लिया.

इस घोषणा के बाद एक ट्वीट में उपभोक्ता मामलों के मंत्री पासवान ने ट्वीट कर लिखा, ‘केजरीवाल जी ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अपने पहले के दावे से पलटते हुए कबूल किया कि दिल्ली में गंदे पानी की समस्या है. हम भी शुरू से यही कहते आ रहे हैं कि इसपर राजनीति नहीं होनी चाहिए.’

पासावन भले ही कह रहे हों कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए लेकिन दिल्ली की हवा से पानी तक यहां कुछ भी राजनीति से अछूता नहीं रहा. मामला संसद तक में उठ चुका है.

दरअसल, पासवान ने 2024 तक ‘जल जीवन मिशन’ के तहत हर घर पाइप से पानी पहुंचाने की पीएम नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना पर बात करते हुए 16 नवंबर को कहा, ‘देश की 20 राजधानियों में पाइप से पहुंचाए जाने वाले पानी का सैंपल लिया गया और इनकी विस्तृत जांच की गई. इसमें मुंबई का पानी सबसे अच्छा और दिल्ली का पानी सबसे ख़राब निकाल है.’

उनके द्वारा ऐसी जानकारी दी जाने के बाद दिल्ली की राजनीति में तहलका मच गया. दरअसल, दिल्ली में पानी देने का काम दिल्ली जल बोर्ड के पास है और इसके मुखिया कोई और नहीं बल्कि सीधे सीएम केजरीवाल हैं. 2015 के विधानसभा चुनाव में 67 सीटें जीतने के पीछे की एक बड़ी वजह विश्लेषक आम आदमी पार्टी के मुफ़्त पानी के वादे को मानते हैं.

ऐसी जानकारी सामने आने के बाद से ही इस मामले पर आरोप-प्रत्यारोप जारी है. आप आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बयान का हवाला देकर पासवान को घेरा. उन्होंने कहा कि शेखावत का कहना है कि दिल्ली का पानी यूरोप के स्टैंडर्ड से बेहतर है. लेकिन पासवान इसे सबसे ख़राब बता रहे हैं.

सिंह ने ये भी कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के द्वारा पिछले साढ़े नौ महीनों में लगभग डेढ़ लाख़ से ज़्यादा सैंपल की जांच की गई जिसमें 98.5% सैंपल सही पाए गए. उन्होंने सवाल किया, ‘आखिर आपने पानी की जांच कहां से की? क्या नाले का पानी उठाकर जांच की?’ सिंह ने पासवान को ओछी राजनीति से बचना की भी सलाह दी.

2019 के आम चुनाव में आप की करारी शिकस्त के बाद से सीएम केजरीवाल ने केंद्र सरकार से जुड़े मामलों पर चुप्पी साध रखी है. ये ज़िम्मा संजय सिंह और राघव चड्ढा जैसे नेताओं ने संभाल रखा है. लेकिन इस मामले पर अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय स्वास्थ्य और विज्ञान मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को गंदी राजनीति से दूर रहने को कहा.

स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने 17 अक्टूबर को एक ट्वीट में दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि फ़्री पानी के नाम पर दिल्ली के सीएम जनता को ज़हर पिला रहे हैं. इसके जवाब में सीएम केजरीवाल ने लिखा, ‘सर, आप तो डॉक्टर हैं. आप जानते हैं कि ये रिपोर्ट झूठी है, राजनीति से प्रेरित है. आप जैसे व्यक्ति को ऐसी गंदी राजनीति का हिस्सा नहीं बनना चाहिए.’

मामले पर तीख़ी राजनीति के बीच बीआईएस की रिपोर्ट भी सवालिया घेरे में है. दरअसल, पासवान ने उस 10 ठिकानों की लिस्ट जारी की थी जहां से दिल्ली के पानी के सैंपल उठाए गए थे. मीडिया रिपोर्ट में जब उन जगहों पर जाकर लोगों से बात की गई तो मामला ने नया मोड़ ले लिया.

मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसी जानकारी निकलकर सामने आई कि कुछ पतों से सैंपल लिया ही नहीं गया. वहीं, एक पते पर ख़ुद पासवान की लोक जनतांत्रिक पार्टी (लोजपा) का कार्यकर्ता सैंपल लेने पहुंचा था. ऐसे सवाल खड़े होने के बाद पासवान ने जवाब में कहा कि ऐसा बयान लोग आप के दबाव में दे रहे हैं. उन्होंने ये सवाल भी खड़ा किया कि क्या दिल्ली में रह रहा लोजपा का कार्यकर्ता साफ़ पानी की उम्मीद नहीं कर सकता.

इन आरोप प्रत्यारोपों के बीच दिल्ली जल बोर्ड ने 32 कमेटियां बनाईं जो बड़े स्तर पर सैंपल लेंगी और उनकी जांच करवाकर ये तय करेंगी कि दिल्ली का पानी साफ़ है या नहीं. 32 कमेटी में दिल्ली जल बोर्ड के उप प्रमुख दिनेश मोहनिया भी शामिल हैं. हालांकि, पासवान ने इनके नाम का विरोध किया है और कहा है कि कमेटी में सिर्फ वैसे ही लोगों को शामिल किया जाए जो गैर-राजनीतिक हों.

मोहनिया दिल्ली के संगम विहार से आप के विधायक है. पासवान की ऐसी मांग के बाद भी ऐसा लगता नहीं है कि मोहनिया दिल्ली के पानी की नई जांच की इस प्रक्रिया से पूरी तरह से दूर रह पाएंगे. बृहस्पतिवार को किए गए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने पसावान और बीआईएस की रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं.

मोहनिया ने कहा, ‘हम विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों के हिसाब से नई जांच करेंगे. इसके मुताबिक 10,000 लोगों की आबादी पर एक सैंपल लिया जाना चाहिए. इसके लिए हम मीडिया को भी आमंत्रित करते हैं. पानी का सैंपल लिए जाने के दौरान जो लोग मौजूद होंगे, वो जहां से कहेंगे वहां से पानी लिया जाएगा और उसे वहीं सील करके जांच के लिए भेज दिया जाएगा.’

इस मामले पर मोहनिया ने भी राजनीति नहीं करने की अपील की है. ऐसे अपील के बीच दिल्ली की हवा एक बार फ़िर से ज़हरीली होने की कगार पर है और राजनीति नहीं करने की चौतरफ़ा अपील के बावजूद दिल्ली की हवा से पानी तक या तो ज़हरीली है या ज़हरीली होने का आरोप है और इन पर जमकर राजनीति हो रही है.

share & View comments