कोलकाता, 13 जनवरी (भाषा) पश्चिम बंगाल के एक अस्पताल में प्रसव के बाद एक महिला की मौत होने और तीन अन्य महिलाओं के गंभीर रूप से बीमार पड़ने के मामले में जांच के लिये बनायी गयी विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रस्तुत प्रारंभिक रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि “मानवीय चूक” और “अन्य दवाओं” के दुष्प्रभावों के कारण हुआ। स्वास्थ्य विभाग के एक सूत्र ने सोमवार को यह जानकारी दी।
ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं कि यह घटना कथित तौर पर उपयोग की समयावधि बीत जाने के बाद इस्तेमाल किये गये ‘इंट्रावेनस फ्लूइड’ के कारण हुई।
उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने यह भी संकेत दिया है कि चारों महिलाओं को कथित तौर पर दिए गए ‘इंट्रावेनस फ्लूइड’ में मौजूद रिंगर लैक्टेट (आरएल) की महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति को बिगाड़ने में “थोड़ी भूमिका” हो सकती है।
आरएल शरीर में जलयोजन और तरल पदार्थ के संतुलन को बहाल करने के लिए शिराओं के जरिये शरीर में पहुंचाया जाता है।
हाल ही में राज्य द्वारा संचालित मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एमएमसीजी) में हुई घटना पर प्रारंभिक रिपोर्ट की एक प्रति सोमवार को मुख्य सचिव मनोज पंत को सौंपी गई।
सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “प्रारंभिक निष्कर्षों से मानवीय चूक का संकेत मिलता है। अन्य चूकें भी थीं, जिनके कारण यह दुर्घटना हुई। आरएल दिये जाने की इसमें थोड़ी भूमिका हो सकती है। इन रोगियों को ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन देने में कुछ प्रक्रियागत खामियां प्रतीत होती हैं।”
ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का उपयोग आमतौर पर प्रसव पीड़ा के दौरान संकुचन को बेहतर बनाने के अलावा प्रसव के बाद रक्तस्राव को कम करने के लिए किया जाता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एमएमसीएच में उस समय ड्यूटी पर मौजूद वरिष्ठ चिकित्सक मौजूद नहीं थे और प्रसव के मामलों को केवल प्रशिक्षु चिकित्सकों द्वारा ही संभाला गया था।
उन्होंने कहा, “इसी बैच का आरएल अन्य मरीजों को भी दिया गया था, लेकिन केवल ये चार महिलाएं ही बीमार हुईं। इसलिए, उस तरल से संदूषण की संभावना से इनकार किया जा सकता है। हालांकि, हम औषधि नियंत्रण इकाई की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।”
भाषा प्रशांत माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.