गुवाहाटी, 11 सितंबर (भाषा) चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा है कि असम में कोर्निया प्रतिरोपण सुविधा को छोड़कर ‘केडावेरिक ट्रांसप्लांट’ की कोई सुविधा नहीं है, जिसके कारण लोगों के अंगदान के वास्ते आगे आने के बावजूद ज्यादा लोगों का जीवन बचा पाने में कोई मदद नहीं मिलेगी।
‘केडावेरिक ट्रांसप्लांट’ किसी ‘ब्रेन डेड’ व्यक्ति के अंगों को दूसरे व्यक्ति में प्रतिरोपण को कहते हैं।
हालांकि, राज्य में अंगदान के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के अभियानों ने गति पकड़ी है, जहां फिलहाल अंगदान करने वाले जीवित व्यक्ति से केवल गुर्दा प्रतिरोपण की सुविधा ही उपलब्ध है।
गौहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) के प्राचार्य डॉ. अच्युत चंद्र वैश्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘यह सच है कि अभी तक कोई ‘केडावेरिक ट्रांसप्लांट’ सुविधा नहीं है, लेकिन यहां एक ऐसी सुविधा स्थापित करने का काम अंतिम चरण में है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने इस संबंध में एक पत्र भेजा है और हम जल्द ही एक आधिकारिक अधिसूचना की उम्मीद कर सकते हैं।’’
एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि क्षेत्रीय अंग और ऊतक प्रतिरोपण संगठन (आरओटीटीओ), गुवाहाटी की सभी गतिविधियों को कुछ साल पहले रोकना पड़ा था, क्योंकि इसके संविदा कर्मचारियों को ‘कुछ अनियमितताओं’ का पता लगने के बाद हटा दिया गया था।
सूत्र ने बताया, ‘‘इन मुद्दों को अब सुलझा लिया गया है और जीएमसीएच नयी भर्तियों के लिए सरकार से ‘हरी झंडी’ की प्रतीक्षा कर रहा है।’’
आरओटीटीओ राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रतिरोपण संगठन (एनओटीटीओ) के तहत एक क्षेत्रीय कार्यालय है। एनओटीटीओ देश में अंगदान से संबंधित सभी गतिविधियों का समन्वय करने वाला शीर्ष निकाय है।
गुवाहाटी स्थित आरओटीटीओ पूर्वोत्तर राज्यों के लिए इससे संबंधित सभी मामलों को देखता है।
डॉ वैश्य ने हालांकि कहा कि आरओटीटीओ में उत्पन्न होने वाले मुद्दों के कारण रोगी सेवाएं प्रभावित नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आरओटीटीओ के काम न करने के कारण राज्य के किसी भी अस्पताल में प्रतिरोपण या राज्य के बाहर प्रतिरोपण के लिए अनापत्तिपत्र (एनओसी) जारी करने या रोगियों से संबंधित ऐसे किसी भी दस्तावेज को लेकर कोई बाधा नहीं आयी है।’’
उन्होंने ने कहा, ‘‘हमारे कर्मचारियों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा निदेशालय ने यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी मरीज को कोई समस्या न हो।’’
वर्ष 2004 से अंगदान के क्षेत्र में काम कर रहे गुवाहाटी स्थित गैर-सरकारी संगठन एलोरा विज्ञान मंच (ईवीएम) के इस्फाकुर रहमान ने कहा कि उनका संगठन स्थापना के बाद से राज्य में पर्याप्त ‘केडावेरिक ट्रांसप्लांट’ सुविधाओं की मांग कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें न केवल प्रतिरोपण सुविधाएं, बल्कि अंग और ऊतक संरक्षण के लिए बुनियादी ढांचे की भी आवश्यकता है।’’
भाषा अमित सुरेश
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