नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) स्कूलों को फिर से खोलने का समर्थन कर रहे विशेषज्ञों ने पहली से 12वीं कक्षा तक के छात्रों को पूरक शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री ई विद्या के ‘वन क्लास, वन टीवी चैनल’ कार्यक्रम को 12 से 200 टीवी चैनल तक बढ़ाये जाने की घोषणा पर सवाल उठाया है। उन्होंने दावा किया कि यह कोविड-19 महामारी के दौरान पढ़ाई को हुए नुकसान की भरपाई नहीं करेगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 का केंद्रीय बजट प्रस्तुत करते हुए स्वीकार किया कि महामारी के चलते स्कूलों को बंद करना पड़ा, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों के और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य कमजोर तबकों के बच्चे करीब दो साल की औपचारिक शिक्षा से वंचित हो गये।
सीतारमण ने कहा कि पीएम ई विद्या के ‘एक कक्षा एक टीवी चैनल’ कार्यक्रम को 12 टीवी चैनलों से बढ़ाकर 200 टीवी चैनल तक किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इससे सभी राज्य 1-12 तक की कक्षा के छात्रों के लिये अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में पूरक शिक्षा प्रदान कर सकेंगे।
लंबे समय तक स्कूलों के बंद रहने के खिलाफ मुखर रहे महामारी विज्ञानी एवं लोक नीति विशेषज्ञ चंद्रकांत लहरिया ने ट्वीट किया, ‘‘दो साल तक पढ़ाई को हुए नुकसान की भरपाई टीवी चैनल स्थापित कर की जाएगी, सचमुच? स्कूलों को खोला जाए और बच्चों को पढ़ाई के लिए वापस लाया जाए। स्कूली शिक्षा में निवेश किया जाए। ’’
सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च प्रमुख यामिनी अय्यर ने ट्वीट किया, ‘‘…हम सभी जमीनी हकीकत के प्रति आंखें मूंदे हुए हैं। ’’
केआईआईटी इंटरनेशनल स्कूल की अध्यक्ष मोनालिसा बल ने कहा, ‘‘सरकार की यह घोषणा एक स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन पर्याप्त नहीं है। ’’
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों के समूह एकेडमिक्स फॉर एक्शन डेवलपमेंट ने कहा, ‘‘डिजिटल विश्वविद्यालय और पीएम ई विद्या योजना की घोषणा सकल नामांकन अनुपात को महज सांख्यिकीय रूप से बढ़ाएगी।’’
इसने एक बयान में कहा, ‘‘डिजिटल विश्वविद्यालय में मानव शिक्षकों को हटा कर डिजिटल शिक्षक रखना भारत के लिए उपयुक्त नहीं है, जहां छात्रों के बीच काफी विविधता है। ’’
भाषा
सुभाष दिलीप
दिलीप
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