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मंगलवार, 13 मई, 2025
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रणथंभौर में बाघिन व शावकों को जिंदा शिकार परोसने की प्रथा पर विशेषज्ञों ने चिंता जताई

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जयपुर, 13 मई (भाषा) वन्यजीव विशेषज्ञों ने रणथंभौर बाघ अभयारण्य में एक बाघिन और उसके शावकों के लिए शिकार के रूप में जीवित पशु छोड़ने की प्रथा पर चिंता जताई है।

उनका कहना है कि इस प्रथा के कारण शावकों को इंसानों की आदत हो गई है। इसके चलते हाल ही में कई घातक घटनाएं हुई हैं।

अभयारण्य के जोन-3 गेट के निकट जोगी महल के आसपास लोग बाघिन व उसके शावकों के लिए जीवित पशु आदि छोड़ देते हैं ताकि वे उसका शिकार कर सकें।

एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने बताया कि शिकार करने में असमर्थ मादा बाघ एरोहेड की मदद के लिए वाहनों में लाकर भोजन रखा जाता है जो उसके और उसके तीन शावकों के लिए होता है।

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि वाहनों से बार-बार भोजन लाकर वहां रखे जाने के कारण शावकों में इंसानों के प्रति स्वाभाविक सतर्कता खत्म हो गई होगी।

ऐसा संदेह है कि रविवार को जोगी महल के पास वन रेंजर देवेंद्र चौधरी पर जानलेवा हमला करने वाला बाघ वही है जिसने 16 अप्रैल को रिजर्व के भीतर त्रिनेत्र गणेश मंदिर के पास सात वर्षीय लड़के का शिकार किया था।

रणथंभौर के अधिकारियों ने वन विभाग को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है और स्थिति से निपटने के लिए आगे के निर्देशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

रणथंभौर बाघ अभयारण्य के ऐतिहासिक जोगी महल इलाके में ड्यूटी पर तैनात रेंजर देवेंद्र चौधरी पर रविवार को एक बाघ ने हमला कर दिया। शुरुआती आकलन से पता चलता है कि दोनों घटनाओं में शामिल बाघ, बाघिन ऐरोहेड के शावकों में से एक हो सकता है, जो अब लगभग 20 महीने का है और लोगों ने उसका ‘साहसिक’ व्यवहार देखा है।

अप्रैल में बच्चे के शिकार की घटना के बाद रिजर्व के अधिकारियों ने शावकों को गैर-पर्यटन क्षेत्र में स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी। हालांकि इस बारे में अभी कोई निर्णय नहीं किया गया है।

वन्यजीव विशेषज्ञ दिनेश वर्मा दुरानी ने कहा कि ‘भोजन’ डालने का काम इसलिए किया गया क्योंकि बाघिन ऐरोहेड शिकार करने में असमर्थ है।

उन्होंने कहा, ‘इस दिनचर्या के कारण शावकों को इंसानों की उपस्थिति की आदत हो गई होगी। रेंजर वाहन से उतर गए और पैदल चलने लगे। संभव है कि हमलावर बाघ पहले से ही वहां मौजूद था।’

दुरानी ने कहा कि बाघ को अन्यत्र भेजे जाने के उपाय करने से पहले हालिया शिकार के लिए जिम्मेदार बाघ की पहचान सुनिश्चित करने पर जोर दिया। उन्होंने चेताया, ‘यदि स्थानांतरण आवश्यक समझा जाता है तो केवल उसी बाघ को दूसरी जगह भेजा जाना चाहिए जिसके बारे में यह साबित हुआ हो कि वही हमलावर है।’’

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि दोनों हमलों में संदिग्ध एरोहेड की बेटी बाघिन ‘कनकटी’ है। सवाई माधोपुर के पूर्व मानद वन्यजीव वार्डन बालेंदु सिंह ने कहा कि इलाके में मानवीय हस्तक्षेप कम से कम होना चाहिए।

उन्होंने बताया, ‘बाघ को चलता फिरता इंसान भालू जैसा लग सकता है और उसके लिए वह शिकार जैसा होता है।’’

उन्होंने कहा कि वाहनों में बैठे लोग आमतौर पर सुरक्षित होते हैं, लेकिन बाहर निकलने पर वे असुरक्षित हो जाते हैं।

सिंह ने वन्यजीव प्रबंधन और नियोजन में स्थानीय विशेषज्ञों को शामिल करने की भी वकालत की।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बाघ हमेशा से ही कृत्रिम जलकुंडों या मानव द्वारा उपलब्ध करवाए गए भोजन के बिना जिंदा रहे हैं।

इस बीच पार्क के दस में से दो जोन में सफारी को निलंबित कर दिया गया है और त्रिनेत्र गणेश मंदिर में सार्वजनिक प्रवेश को भी एहतियात के तौर पर रोक दिया गया है।

बाघ द्वारा शिकार की हालिया घटनाओं ने पर्यटन को प्रभावित किया है, कई होटल बुकिंग रद्द कर दी गई हैं।

वर्तमान में, जोगी महल के आसपास के 5-7 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में लगभग 15 वयस्क बाघ और शावक रहते हैं। रणथंभौर बाघ अभयारण्य में वयस्क और शावकों को मिलाकर कुल 72 बाघ हैं।

उल्लेखनीय है कि कभी जयपुर राजघराने की निजी संपत्ति रहा रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान और बाघ अभयारण्य दुनिया के सबसे प्रसिद्ध जंगली इलाकों में से एक है। सवाई माधोपुर से 14 किलोमीटर दूर और भूगर्भीय रूप से सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला- अरावली और विंध्य – के संगम पर स्थित रणथंभौर जंगल बाघों को निहारने का बेहतरीन अवसर देता है।

ढलावदार पहाड़ियों-चट्टानों, घास के मैदानों, झीलों और नालों वाला रणथंभौर का यह इलाका विभिन्न वनस्पतियों और जीवों का घर है। यहां बाघ के अलावा भालू, तेंदुआ, कैरकल, सियार, लोमड़ी, लकड़बग्घा और नेवले भी मिलते हैं।

यहां बाघ सफारी प्रसिद्ध पर्यटन गतिविधि है जो अक्टूबर से जून तक चलती है।

भाषा पृथ्वी संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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