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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशTMC की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा ने दिल्ली HC में बेदखली के खिलाफ अपील हारने के बाद सरकारी बंगला छोड़ा

TMC की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा ने दिल्ली HC में बेदखली के खिलाफ अपील हारने के बाद सरकारी बंगला छोड़ा

संपदा निदेशालय की एक टीम मोइत्रा को बंगले से बेदखल करने के लिए शुक्रवार को उनके यहां पहुंची, लेकिन उनके वकील का दावा है कि वह गुरुवार शाम तक ही जगह खाली कर चुकी थीं.

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नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा, जिन्हें दिसंबर में लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था, ने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा निष्कासन पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज होने के एक दिन बाद शुक्रवार सुबह अपना सरकारी आवास खाली कर दिया.

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत संपदा निदेशालय (डीओई) के अधिकारियों की एक टीम उन्हें बेदखल करने के लिए शुक्रवार को 9बी, टेलीग्राफ लेन स्थित मोइत्रा के आवास पर पहुंचीं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस नेता ने गुरुवार शाम को सरकारी आवास छोड़ दिया था.

मोइत्रा के वकील शादान फरासत ने दिप्रिंट को बताया, “महुआ मोइत्रा ने गुरुवार शाम को घर खाली कर दिया था और संपत्ति शुक्रवार सुबह संपदा निदेशालय के अधिकारियों को सौंप दी गई थी. अधिकारियों के आने से बहुत पहले ही जगह खाली कर दी गई थी और कोई बेदखली नहीं हुई.”

दिप्रिंट ने व्हाट्सएप पर टिप्पणी के लिए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से संपर्क किया है. जवाब आने के बाद खबर को अपडेट कर दिया जाएगा.

पिछले साल दिसंबर में एथिक्स कमेटी द्वारा उनके आचरण को “अनैतिक” करार दिए जाने के बाद मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था. उन पर कथित तौर पर अरबपति गौतम अडाणी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए दुबई स्थित व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी की ओर से संसद में सवाल पूछने के लिए “रिश्वत” लेने का आरोप लगाया गया था. हालांकि, मोइत्रा ने आरोप से इनकार किया है और निष्कासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

16 जनवरी को DoE ने मोइत्रा को आवास से बेदखली का नोटिस दिया था. डीओई के एक अधिकारी ने कहा, “नियमों के मुताबिक, एक सांसद को संसद से निष्कासित होने के एक महीने के भीतर सरकारी आवास खाली करना होता है. पूर्व सांसद को दूसरा नोटिस जारी होने के बाद बेदखली की कार्रवाई शुरू की गई. महुआ मोइत्रा के मामले में दूसरा नोटिस 16 जनवरी को दिया गया था.”

पिछले दिनों सांसदों को निकाला गया

मोइत्रा पहली सांसद नहीं हैं जिनके खिलाफ डीओई द्वारा बेदखली की कार्रवाई की गई है, जो सांसदों और सरकारी अधिकारियों को सरकारी आवास आवंटित करता है.

2022 में पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) नेता दिवंगत राम विलास पासवान को उनके 12, जनपथ बंगले से बेदखल कर दिया गया, जो तीन दशकों से अधिक समय से परिवार के पास था.

डीओई ने कई भाजपा नेताओं जैसे रमेश पोखरियाल निशंक, राम शंकर कठेरिया और पी.सी. सारंगी को भी निष्कासन आदेश जारी किए थे, क्योंकि वे केंद्रीय मंत्री नहीं रहने के बाद भी सरकार द्वारा आवंटित आवासों में रह रहे थे.

पिछले साल मार्च में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद लोकसभा से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद उन्हें अपना 12, तुगलक लेन बंगला खाली करने के लिए कहा गया था.

2014 में राष्ट्रीय लोक दल के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत अजीत सिंह को निष्कासन नोटिस दिया गया था, जब वह लोकसभा चुनाव में अपनी हार के बाद अपना आवंटित स्थान खाली करने में विफल रहे थे.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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