बेंगलुरु: धर्मस्थल में अगवा कर हत्या की गई किशोरी पद्मलता के परिवार ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) से मामला फिर से खोलने की अपील की है. यह केस 38 साल से अनसुलझा है.
पद्मलता की बहन इंद्रावती ने SIT को लिखित आवेदन दिया, जो इस समय धर्मस्थल में कथित सामूहिक दफन के मामलों की जांच कर रही है. उन्होंने मांग की कि उनकी बहन के शव को कब्र से निकालकर जांच की जाए, जिससे यह साबित हो सके कि 17 साल की पद्मलता के साथ हत्या से पहले यौन उत्पीड़न हुआ था.
शिकायत में उन्होंने लिखा, “38 साल पहले मेरी बहन पद्मलता, जो एस.डी.एम. कॉलेज (उजिरे) में सेकंड पीयूसी की पढ़ाई कर रही थी, 22 दिसंबर 1986 को कॉलेज गई थी. वापस धर्मस्थल लौटी और उसी शाम लापता हो गई. 17 फरवरी 1987 को उनका सड़ा-गला शव एक नाले के किनारे मिला.”
उस समय पद्मलता की उम्र 17 साल थी.
परिवार ने दिप्रिंट को बताया कि उनके पिता, देवानंद, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता थे और 1986 में धर्मस्थल मंडल पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया था.
उनका नामांकन एक अमीर और प्रभावशाली स्थानीय परिवार की मंजूरी के बिना दाखिल हुआ था, जिस पर आपत्ति जताई गई और उन पर नाम वापस लेने का दबाव डाला गया.
इंद्रावती ने बताया, “उन्हें कहा गया कि अगर वह नाम वापस ले लें तो बेटी को छोड़ देंगे…यहां तक कि पैसे भी ऑफर किए गए, लेकिन हमारे पिता के लिए उनके सिद्धांत पैसों से ज्यादा अहम थे. उन्होंने चुनाव लड़ा और बहुत कम अंतर से हार गए.”
नवीन शिकायत से इलाके के एक प्रभावशाली परिवार पर आरोपों की लिस्ट और लंबी हो गई है. इनमें वेदावली (1979), पद्मावती (1986), अनन्या भट्ट (2003), नारायण सापले और उनकी बहन यमुना की 2012 में हुई दोहरी हत्या, और सौजन्या का मामला शामिल हैं.
जुलाई की शुरुआत में धर्मस्थल मंदिर के एक पूर्व सफाईकर्मी ने आरोप लगाया था कि 1995 से 2014 के बीच उसे ‘सैकड़ों’ शव दफनाने पर मजबूर किया गया, इनमें ज़्यादातर महिलाएं थीं और कई पर यौन उत्पीड़न व यातना के निशान थे.
पुलिस के मुताबिक, उस सफाईकर्मी ने 13 जगहें बताईं जहां उसने शव दफनाए थे. सभी जगहों पर खुदाई की गई. अब तक SIT ने साइट नंबर 6 से एक मानव कंकाल बरामद किया है. साइट नंबर 11 के पास ज़मीन के ऊपर से एक खोपड़ी और 81 हड्डियां भी मिलीं, लेकिन ये खुदाई के दौरान नहीं बल्कि सतह पर पाई गईं.
4 जुलाई को दक्षिण कन्नड़ पुलिस ने उस पूर्व सफाईकर्मी के बयान के आधार पर FIR दर्ज की, जिसमें उसने कहा कि उसे “धर्मस्थल मंदिर प्रशासन से जुड़े लोग और अन्य स्टाफ” शव दफनाने या निपटाने के लिए मजबूर करते थे.
‘पता नहीं हमें इंसाफ मिलेगा या नहीं’
जब पद्मलता लापता हुईं, तो उनके पिता और पार्टी के अन्य कार्यकर्ता पुलिस में शिकायत दर्ज कराने गए. उस समय पुलिस ने कथित तौर पर कहा कि लड़की शायद ‘भाग गई होगी’. कॉलेज में पूछताछ करने पर भी कोई जवाब नहीं मिला.
बाद में, एक रिश्तेदार ने बताया कि उन्होंने पद्मलता को धर्मस्थल बस स्टैंड पर उतरते और फिर कॉलेज के प्रिंसिपल व एक प्रभावशाली परिवार के सदस्य की कार में बैठते देखा था. इसके बाद वह कभी नहीं दिखीं.

इंद्रावती के अनुसार, जब परिवार ने शिकायत में प्रिंसिपल और प्रभावशाली परिवार के सदस्य का नाम जोड़ने की कोशिश की, तो पुलिस ने ऐसा करने से मना कर दिया और शिकायत में ‘अज्ञात व्यक्ति’ लिख दिया.
बहन ने बताया, पद्मलता के लापता होने के समय, तत्कालीन राज्य मंत्री रचैया उनके घर आए थे, जो धर्मस्थल मंदिर से लगभग 2 किमी दूर है. मामला सीओडी (कोर्प्स ऑफ डिटेक्टिव्स) को सौंपा गया और विधानसभा में भी चर्चा हुई.
पद्मलता की दूसरी बहन अचलावती ने कहा, “एक व्यक्ति वसंत, जो जीप कंडक्टर था, उसे भी गिरफ्तार किया गया. पुलिस और प्रभावशाली परिवार के लोग यह कहानी बनाने लगे कि वह मेरी बहन का दोस्त था और उसे फँसाने की कोशिश की. बाद में उसे छोड़ दिया गया.”
पिता और उनके पार्टी कार्यकर्ता लगभग दो महीने तक हर दिन बेल्थंगडी थाने जाते रहे, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली.
अचलावती ने बताया, “56 दिन बाद, कुछ मछुआरों ने हमारे घर से लगभग 1 किमी दूर एक नाले के किनारे उसका शव पाया. शरीर सड़ चुका था, लेकिन उसे उसकी कलाई की घड़ी और कपड़ों से पहचाना गया.”
परिवार, कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों के अनुसार, पिछले कई दशकों में कई महिलाओं के शव इसी तरह मिले, लेकिन शायद ही कभी गिरफ्तारी हुई हो और ज़्यादातर मामले आज तक अनसुलझे हैं.
इंद्रावती ने कहा कि उनकी बहन और ऐसी कई पीड़िताओं को इंसाफ मिलना चाहिए. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “हमें इंसाफ चाहिए, सिर्फ मेरी बहन के लिए नहीं, बल्कि उन सभी हत्याओं के लिए जो अब तक अनसुलझी हैं. हालांकि, हमें उम्मीद नहीं है कि हमें यह मिलेगा.”
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