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Wednesday, 9 July, 2025
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उत्तर प्रदेश सरकार की आबकारी नीति पारदर्शीः नितिन अग्रवाल

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(अरुणव सिन्हा)

लखनऊ, 12 नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार में आबकारी एवं मद्य निषेध राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) नितिन अग्रवाल ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर शराब माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए ‘भ्रष्ट आचरण’ अपनाने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार की आबकारी नीति पारदर्शी है।

अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली के विपरीत उत्तर प्रदेश में एक व्यक्ति को शराब की दो से अधिक दुकानें नहीं आवंटित की जा सकतीं।

‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में अग्रवाल ने दावा किया कि योगी सरकार के मौजूदा कार्यकाल में जहरीली शराब के सेवन से कोई भी मौत नहीं हुई।

‘आप’ पर निशाना साधते हुए उन्होंने सवाल किया, ‘करोड़ों रुपये की अनियमितता वाली दिल्ली आबकारी नीति काफी चर्चित मामला रही है। इससे किसे फायदा हुआ? पैसा किसके पास गया? आम आदमी पार्टी को इसका जवाब देना चाहिए।’

दिल्ली आबकारी नीति-2021-22 तब सवालों के घेरे में आ गई थी, जब उपराज्यपाल ने इसके कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की सिफारिश की थी। इस नीति को बाद में समाप्त कर दिया गया था।

अग्रवाल ने ‘आप’ पर तंज कसते हुए कहा, “पार्टी नेता क्यों चिंतित हैं? अब जब केंद्रीय एजेंसियां जांच कर रही हैं, तो वे घबरा रहे हैं और भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) पर आरोप लगा रहे हैं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि जो नेता जिम्मेदार थे, उनकी आबकारी घोटाले में कुछ संलिप्तता थी और उन्हें शराब माफियाओं से फायदा मिला था।”

कथित आबकारी नीति घोटाला मामले की जांच सीबीआई और ईडी दोनों कर रहे हैं। दोनों केंद्रीय जांच एजेंसियों का आरोप है कि आबकारी नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं बरती गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।

इस मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी आरोपी हैं। ‘आप’ ने भाजपा पर विपक्षी दलों को धमकाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।

अग्रवाल ने कहा, ‘शराब माफियाओं को जिस तरह दिल्ली में प्रवेश दिया गया, जिस तरह जोन बनाए गए और फिर इच्छानुसार बेचे गए, मुझे लगता है कि दिल्ली के इतिहास में कभी भी इससे भ्रष्ट सरकार नहीं रही होगी।’

यह पूछे जाने पर कि उत्तर प्रदेश का आबकारी विभाग दिल्ली से कैसे अलग है, अग्रवाल ने कहा, ‘दिल्ली में जोन बनाए गए थे, जो उनके विशेष व्यक्तियों को आवंटित किए गए। हमने प्रतिबंध लगाया है कि पूरे राज्‍य में एक व्यक्ति को (शराब की) दो से अधिक दुकानें नहीं मिल सकती हैं।’

मंत्री ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश की आबकारी नीति उद्योग समर्थक है और सभी को समान अवसर प्रदान करती है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि छह साल पहले राज्य में 20 डिस्टिलरी थीं, जो अब बढ़कर लगभग 100 हो गई हैं।’

उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों की पूर्ववर्ती सरकारों पर आरोप लगाते हुए अग्रवाल ने कहा, ‘पहले राज्य सरकार की नीतियां पारदर्शी नहीं होती थीं। नीतियां इसलिए बनाई जाती थीं, ताकि कुछ शराब माफियाओं को फायदा पहुंचाया जा सके। समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सरकारों में आबकारी विभाग की छवि अच्छी नहीं थी।’

उन्होंने दावा किया, ‘उत्तर प्रदेश की (मौजूदा) सरकार किसी व्यक्ति विशेष का पक्ष नहीं लेती और सभी को समान अवसर प्रदान करती है। जो कोई भी राज्य में आकर व्यापार करना चाहता है, उसका स्वागत है।’

आबकारी मंत्री ने कहा, “2017 में जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी, तब राज्य को उत्पाद शुल्क विभाग से 14,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता था। आज वही राजस्व बढ़कर 42,000 करोड़ रुपये हो गया है। चालू वित्त वर्ष में हमारा लक्ष्य इस आंकड़े को 50,000 करोड़ रुपये तक ले जाना है।’

उन्होंने कहा कि अगर जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) और वैट (मूल्य वर्धित कर) हटा दें, तो उत्पाद शुल्क विभाग राज्य को सबसे ज्यादा राजस्व देता है।

अग्रवाल ने कहा, ”हम 10-12 फीसदी की विकास दर के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हमारा लक्ष्य इसे साल-दर-साल आधार पर 18-19 प्रतिशत तक ले जाना है। हमारी योजना 2027 तक अपना राजस्व 80,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने की है।’

अग्रवाल ने दावा किया कि मुख्यमंत्री योगी के दूसरे कार्यकाल में राज्य में जहरीली शराब से कोई मौत नहीं हुई है।

उन्होंने कहा, “अतीत में कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं, जैसे कि अलीगढ़ में (2021 में जहरीली शराब त्रासदी में 36 लोगों की मौत)। लेकिन योगी के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद से उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब के सेवन से एक भी मौत नहीं हुई है। यह विभाग की एक बड़ी उपलब्धि है।”

अग्रवाल ने बताया कि सामान्य प्रवर्तन कार्रवाई के अलावा अवैध शराब के खिलाफ विशेष अभियान भी चलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहरीली शराब पीने से मौतें तब होती हैं, जब स्थानीय स्तर पर गुड़ में यूरिया मिलाकर शराब बनाई जाती है। अग्रवाल ने बताया कि अगर मिथाइल अल्कोहल मिला दिया जाए, तो शराब जहरीली हो जाती है।

भाषा

अरुणव आनन्‍द

पारुल

पारुल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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