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Sunday, 17 November, 2024
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पूर्व मंत्री देशमुख ने पुलिस स्थानांतरणों पर ‘अनुचित प्रभाव’ डाला: अदालत

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मुंबई, 17 मार्च (भाषा) धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की एक विशेष अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की जमानत अर्जी पर दिये अपने विस्तृत आदेश में कहा कि इस बात के संकेत देने के लिए सबूत हैं कि राकांपा नेता देशमुख ने राज्य के गृह मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती पर ‘‘अनुचित प्रभाव’’ का प्रयोग किया था। अदालत का यह आदेश बृहस्पतिवार को मुहैया कराया गया।

धनशोधन के एक मामले में देशमुख को जमानत देने से इनकार करते हुए विशेष न्यायाधीश आर एन रोकड़े ने अपने आदेश में यह टिप्पणी की।

धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत पिछले साल नवंबर में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए गए राज्य के पूर्व मंत्री देशमुख्य (71) की जमानत याचिका 14 मार्च को खारिज कर दी गई थी। अदालत ने यह भी माना कि यह दिखाने के लिए सबूत हैं कि वह धनशोधन गतिविधियों में ‘सक्रिय रूप से शामिल’ थे।

पिछले साल अप्रैल में राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले देशमुख फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में हैं।

ईडी का मानना यह है कि राज्य के गृह मंत्री (दिसंबर 2019-अप्रैल 2021) के रूप में कार्य करते हुए, देशमुख ने कथित तौर पर अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और तत्कालीन पुलिस अधिकारी सचिन वाजे के जरिये मुंबई के विभिन्न बारों से 4.70 करोड़ रुपये एकत्रित किये थे। वाजे को उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास ‘एंटीलिया’ के बाहर एक वाहन में विस्फोटक मिलने और मनसुख हिरन की हत्या के मामले में पिछले साल गिरफ्तारी के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।

केंद्रीय एजेंसी ने दावा किया है कि यह पैसा नागपुर स्थित श्री साईं शिक्षण संस्थान को दिया गया था, जो देशमुख परिवार द्वारा नियंत्रित एक शैक्षिक ट्रस्ट है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, बयानों (ईडी द्वारा दर्ज) से एक बात स्पष्ट है कि तबादलों और तैनाती से संबंधित पुलिस अधिकारियों की एक ‘अनौपचारिक सूची’ अर्जीकर्ता (देशमुख) के कहने पर तैयार की जाती थी।

न्यायाधीश ने कहा कि यह सूची पुलिस प्रतिष्ठापन बोर्ड (पीईबी) को भेजी जाती थी, जो नियुक्तियों और नियुक्तियों को संभालने वाली इकाई है।

अदालत ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया, यह इंगित करने के लिए सामग्री है कि अर्जीकर्ता से प्राप्त सिफारिशों को पीईबी द्वारा तैयार अंतिम आदेश में शामिल किया जाता था।’’

उसने कहा, ‘‘इस बारे में कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं है कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री के रूप में अर्जीकर्ता के कार्यकाल के दौरान तबादलों और तैनाती को लेकर उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों से विचलन क्यों हुआ।’’

अदालत ने कहा, ‘‘प्रथमदृष्टया, यह संकेत करने के लिए साक्ष्य हैं कि अर्जीकर्ता ने पुलिस अधिकारियों के तबादलों और तैनाती पर अनुचित प्रभाव डाला था।’’

देशमुख के खिलाफ धनशोधन मामले पर, आदेश में उल्लेखित किया गया है कि ईडी ने विभिन्न गवाहों के बयान दर्ज किए हैं जिससे यह संकेत मिले है कि अर्जीकर्ता ने ऑर्केस्ट्रा बार मालिकों से वाजे के जरिये एकत्र किए गए अपराध की आय को उत्पन्न करने और शोधन में ‘गंभीर भूमिका’ निभाई थी।’’

आदेश में ईडी द्वारा अब तक की गई जांच का हवाला देते हुए कहा गया है कि गवाहों के बयानों के अलावा, धन कहां से आया कहां गया इसे दिखाने वाले चार्ट से संकेत मिलता है कि अर्जीकर्ता ने 2011 से 13.25 करोड़ रुपये का शोधन किया। उसने कहा कि इसमें से 2.83 करोड़ रुपये महाराष्ट्र के गृह मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान शोधित किये गए थे।

आदेश में आगे कहा गया है कि फरवरी-मार्च 2021 के दौरान 1.71 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए।

न्यायाधीश ने राकांपा नेता को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया यह दिखाने के लिए सबूत हैं कि अर्जीकर्ता (देशमुख) धन एकत्रित करने और धनशोधन गतिविधियों में ‘सक्रिय रूप से शामिल’ थे।

भाषा अमित पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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