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Tuesday, 12 August, 2025
होमदेशहरियाणा के गांव में 3,000 साल से भी पुराने मानव निवास के प्रमाण मिले: पुरातत्वविद

हरियाणा के गांव में 3,000 साल से भी पुराने मानव निवास के प्रमाण मिले: पुरातत्वविद

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चंडीगढ़, आठ अगस्त (भाषा) पुरातत्वविदों ने शुक्रवार को कहा कि हरियाणा में यमुनानगर जिले के एक गांव में हाल ही में किए गए अन्वेषण में प्राचीन अवशेष और सांस्कृतिक कलाकृतियां मिली हैं, जो लगभग 3,500 साल पुरानी मानव बस्तियों की मौजूदगी का संकेत देती हैं।

हरियाणा के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘टोपरा कलां गांव में अन्वेषण के दौरान हमें चित्रित धूसर मृदभांड (पीजीडब्ल्यू) और अन्य प्राचीन सांस्कृतिक सामग्रियों के अनेक टुकड़े मिले।’’

इन निष्कर्षों से पता चलता है कि इस क्षेत्र में मानव निवास लगभग 3,500 वर्ष पुराना हो सकता है, हालांकि यह एक अस्थायी तिथि सीमा है।

हरियाणा के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग की उपनिदेशक डॉ. बनानी भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘जब तक हम खुदाई नहीं करते और स्तरीकृत विश्लेषण के माध्यम से तिथि निर्धारित करने योग्य वस्तुएं प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक हम सटीक तिथि नहीं बता सकते।’’

स्तरीकरण के दौरान, पुरातत्वविद किसी पुरातात्विक स्थल के इतिहास और उसे आकार देने वाली घटनाओं के अनुक्रम को समझने के लिए उसकी परतों (स्तरों) का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करते हैं।

क्षेत्र में घनी आबादी के कारण, इस स्थल पर खुदाई करना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। विभाग ने पहले मौके पर अन्वेषण किया, उसके बाद ‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार’ (जीपीआर) सर्वेक्षण किया, जिसमें खोखली संरचनाओं, गोल संरचनाओं और दीवारों सहित कई अवशेष मिले।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हालांकि हम सटीक तारीख नहीं बता सकते, लेकिन ये निश्चित रूप से प्राचीन संरचनाएं हैं।’’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जीपीआर सर्वेक्षण यह निर्धारित करने के लिए आवश्यक है कि सतह के नीचे कोई संरचना मौजूद है या नहीं। भट्टाचार्य ने कहा कि इसके निष्कर्ष यमुनानगर क्षेत्र के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के बारे में बहुमूल्य जानकारी भी प्रदान करते हैं।

भट्टाचार्य ने कहा कि यमुनानगर जिला अधिकतम उल्लेखनीय बौद्ध स्थलों के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि प्राचीन स्थलों और स्मारकों की पहचान के लिए राज्य पुरातत्व विभाग लगभग दो वर्षों से टोपरा कलां के आसपास स्थल अन्वेषण कर रहा है, ताकि ताकि इन्हें संरक्षित किया जा सके।

भाषा नेत्रपाल रंजन

रंजन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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