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Monday, 21 July, 2025
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विवाह के समय दी जाने वाली हर चीज स्त्रीधन नहीं : अदालत

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नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि विवाह के समय दी गई हर वस्तु को स्त्रीधन नहीं कहा जा सकता। अदालत ने साथ ही एक कार समेत अन्य वस्तुएं वापस मांगने वाली महिला की याचिका खारिज कर दी।

न्यायिक मजिस्ट्रेट सोनिका घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम के तहत महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थीं।

स्त्रीधन चल या अचल संपत्ति होती है, जो किसी महिला को उसके जीवनकाल में, विवाह से पहले, विवाह के समय या बच्चे के जन्म के समय प्राप्त होती है।

बारह जुलाई को दिए आदेश में अदालत ने कहा, ‘‘वर्तमान याचिका के साथ संलग्न दस्तावेजों सहित रिकार्ड के अवलोकन के बाद, इस स्तर पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि वर्तमान याचिका के साथ संलग्न दहेज सामग्री की सूची में उल्लिखित कार सहित सभी वस्तुएं याचिकाकर्ता को स्त्रीधन सामग्री के रूप में दी गई थीं।’

अदालत ने कहा कि स्वामित्व साबित करने के लिए कोई प्रथम दृष्टया सबूत, जैसे बिल, तस्वीरें या गवाहों के हलफनामे, उपलब्ध नहीं हैं।

आदेश में कहा गया, ‘इसके अलावा, विवाह के समय दी गई प्रत्येक वस्तु को याचिकाकर्ता का स्त्रीधन नहीं कहा जा सकता, क्योंकि कुछ वस्तुएं उपहार की श्रेणी में आती हैं।’’

अदालत ने कहा कि जब मामले में मुकदमा अभी शुरू होना बाकी है, तो स्त्रीधन की वस्तुओं को वापस करने का आदेश एक असत्यापित सूची के आधार पर पारित नहीं किया जा सकता, खासकर स्वामित्व को लेकर लंबित विवाद के दौरान।

महिला की याचिका खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि वह अपने दावों के समर्थन में उचित साक्ष्य प्रस्तुत करने के अधीन, अंतिम निर्णय के समय राहत का अनुरोध कर सकती है।

भाषा अमित दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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