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Wednesday, 18 December, 2024
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‘तेरी बात तो लड़की भी नहीं सुनती’, जांच अधिकारी को याद आया वो ‘ताना’ जिसकी वजह से गई थी सौम्या की जान

सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड की जांच में सीसीटीवी कैमरों की कमी बड़ी बाधा थी. लेकिन पुलिस ने अपराध स्थल के आसपास के इलाकों में गिरोह के सदस्यों और अन्य अपराधियों से पूछताछ शुरू की.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार मसूदपुर का एक ‘बेड कैरेक्टर’ (किसी क्षेत्र का गुंडा या बदमाश) जांच टीम की पूछताछ से इतना तंग आ गया था कि उसने स्वीकार कर लिया कि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या की है.

लेकिन यह राहत कुछ ही पलों में निराशा में बदल गई जब दिल्ली पुलिस की टीम को एहसास हुआ कि यह वह ‘सफलता’ नहीं है जिसकी वे इस हत्या मामले की जांच में तलाश कर रहे थे.

इन्वेस्टीगेशन टीम इस गिरफ्तारी को औपचारिक रूप देने ही वाले थे कि उस व्यक्ति ने उन्हें बताया कि उसने झूठ बोला था क्योंकि वह इस पूछताछ से परेशान हो गया था. उसने कहा, “मैंने इसे टीवी पर देखा. इसलिए मैं उतना ही जानता हूं जितना कि आप लोग जानते हैं.”

इंडिया टुडे की पत्रकार सौम्या 30 सितंबर 2008 को नेल्सन मंडेला मार्ग के पास अपनी कार के अंदर मृत पाई गईं थी, जब वह तड़के झंडेवालान स्थित स्टूडियो से वसंत कुंज स्थित अपने घर के लिए निकली थीं.

‘बेड कैरेक्टर’ (किसी क्षेत्र का गुंडा या बदमाश) को पुलिस ने छोड़ दिया लेकिन अपराधियों की तलाश मार्च 2009 तक जारी रही. संदिग्ध सौम्या हत्याकांड की जांच में पूछताछ के लिए दक्षिण, दक्षिण पश्चिम और दक्षिण पूर्वी दिल्ली जिलों के गिरोह के कई सदस्यों और अपराधियों को जांच में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था. लेकिन पुलिस एक भी संदिग्ध को हत्याकांड से नहीं जोड़ सकी.

इन बीच के महीनों में, उसी गिरोह ने – जिसने सौम्या को निशाना बनाया था, एक ऑटो चालक को लूट लिया लेकिन उसकी हत्या नहीं की थी.

सौम्या की हत्या के सात महीने बाद, एक अन्य महिला, आईटी पेशेवर जिगिशा घोष, सूरजकुंड में मृत पाई गईं. इस मामले की जांच के दौरान सरोजिनी नगर में एक एटीएम और एक दुकान से मिले सीसीटीवी फुटेज सहित सुरागों ने पुलिस को सौम्या के हत्यारे तक पहुंचा दिया.

बुधवार को एक अदालत ने टीवी पत्रकार की हत्या के लिए रवि कपूर, अमित शुक्ला, अजय कुमार और बलजीत मलिक को दोषी ठहराया. पांचवें आरोपी अजय सेठी को चोरी की संपत्ति लेने के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया. लेकिन उसकी सजा अभी तय नहीं हुई है.


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‘गाना सुन रही थी’

सौम्या की हत्या के दिन पुलिस अधिकारी भीष्म सिंह को सरिता विहार पोस्टिंग से एसीपी महरौली के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया था. जिसके बाद उन्होंने जांच अधिकारी के तौर पर मामले की जिम्मेदारी संभाली थी.

सिंह, जो अब एसपी (क्राइम ब्रांच) आइजोल के पद पर तैनात हैं, ने दिप्रिंट को फोन पर बताया कि 25 साल की सौम्या गाड़ी चलाते हुए गाना सुन रही थी और यही कारण है कि उन्होंने आरोपी को कार रोकने के लिए कहते हुए नहीं देखा.

सिंह ने कहा, “उन्होंने पहले ही उसे लूटने का फैसला कर लिया था. हालांकि क्योंकि वह गाना सुन रही थी और उनकी आंखें सड़क पर थीं इसलिए उन्होंने आरोपियों को नहीं देखा. फिर उनमें से एक रवि कपूर ने कहा, “देख तेरी बात तो कोई लड़की भी नहीं सुनती.” तभी उन्होंने उसे सबक सिखाने का फैसला किया और 1-2 किमी तक उनका पीछा किया. उन्होंने उसे धमकाने के लिए गोली चलाई और गोली जाकर सौम्या के सिर में लगी और उनकी मौत हो गई. जिसके बाद आरोपी उन्हें लूटे बिना ही मौके से भाग गए.”

मार्च 2009 में आरोपी ने जिगिशा का अपहरण कर लिया. जांच से पता चला कि जिगिशा एक कैब से उतरने के बाद अपने फोन पर बात कर रही थी, और तभी उन्होंने उसे कार में खींच लिया. आरोपियों ने उनका सामान ले लिया और उनके एटीएम कार्ड का उपयोग करके खरीदारी की.

पकड़े जाने के डर से गिरोह के सदस्यों ने उनकी हत्या कर दी और बाद में शव को सूरजकुंड में फेंक दिया. शव परीक्षण से पता चला कि हत्या गला दबाकर की गई थी. बाद में जिगिशा की हत्या के लिए रवि कपूर, अमित शुक्ला और बलजीत सिंह मलिक को दोषी ठहराया गया.

सड़क पर कोई सीसीटीवी नहीं

सौम्या की हत्या के बाद, अगले कुछ महीनों में, तत्कालीन एसीपी सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीमों ने आपराधिक रिकॉर्ड वाले और जो हाल ही में जेल से बाहर आए थे, ऐसे संदिग्धों को उठाना शुरू कर दिया.

सफलता तब मिली जब दिल्ली पुलिस के स्पेशल स्टाफ ने मार्च 2009 में जिगिशा हत्या मामले में तीन आरोपियों – कपूर, मलिक और शुक्ला को पकड़ लिया. लगातार पूछताछ के बाद आखिर मलिक टूट गया और उसने पुलिस को बताया कि उन्होंने सौम्या और जिगिशा की हत्या कैसे की और उनकी पूरी कार्यप्रणाली क्या थी.

पुलिस के पास पहले से ही आरोपियों के दस्तावेज़ थे और उन सभी को गिरफ्तार कर लिया गया था.

सौम्या केस में जब पीसीआर कॉल आई तो सभी को लगा कि ये एक्सीडेंट है. सिंह ने कहा, “शव परीक्षण रिपोर्ट में सौम्या के माथे के दाहिने तरफ गोली का घाव दिखाई देने के बाद ही हत्या का मामला दर्ज किया गया था. हमने उन क्षेत्रों में सभी किसी ने किसी अपराध से जुड़े लोगों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया. साफ था कि यह मामला हत्या और लूट के प्रयास का था. हालांकि, मार्च 2009 तक कुछ भी ठोस सामने नहीं आया.”

लेकिन पुलिस के लिए बड़ी बाधा यह थी कि नेल्सन मंडेला मार्ग के पास कोई सीसीटीवी कैमरे नहीं थे. जिगिशा के मामले में, पुलिस को सरोजिनी नगर में एक स्टोर के अंदर के फुटेज मिले थे, जहां आरोपी पीड़ित के एटीएम कार्ड से खरीदारी करने गया था. एटीएम की फुटेज भी खंगाली गई तो हत्यारों की पहचान हो गई.

सिंह ने कहा, “हमने कपूर से सौम्या के मामले में इस्तेमाल की गई पिस्तौल बरामद की. फाॅरेंसिक रिपोर्ट ने साबित कर दिया कि यह हत्या में उपयोग किया गया हथियार था. एफएसएल टीम ने भी पुरे क्राइम सीन को फिर से रेक्रिएट किया.”

सिंह ने बताया कि एक समय कार चोर रहे कपूर ने हिरासत से बचने के लिए मेडिकल जांच के लिए ले जाते समय पुलिस टीमों पर मिर्च पाउडर फेंक दिया था. पुलिस अधिकारी ने कहा, तिहाड़ जेल के अंदर रहते हुए शुक्ला ने 10 लाख रुपये की जबरन वसूली के लिए कॉल किया था. सेठी पर हत्या का आरोप नहीं लगाया गया है, लेकिन वह अन्य लोगों के साथ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत आरोपी है.

सिंह ने कहा, “मकोका मामले में दिल्ली में यह तीसरी सजा है.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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