हाथरस (उप्र), दो जुलाई (भाषा) हाथरस में ठीक एक साल पहले सत्संग के दौरन मची भगदड़ में अपनी मां, पत्नी और बेटी को खोने वाले विनोद के मन में आज भी उस त्रासदी की यादें ताजा हैं और उनका कहना है कि ‘अगर बाबा के पास वास्तव में कोई शक्ति होती, तो वह उस दिन कोई चमत्कार दिखाते।’
विनोद (46) हाथरस के सोखना गांव में एक दुकान चलाते हैं और तीन बच्चों की देखभाल के साथ-साथ दैनिक कामकाज भी संभालते हैं। लेकिन उनका दुख कम नहीं हो रहा है। वह कहते हैं,‘‘कुछ नहीं, बस मिट्टी खराब हो रही है।’’
दो जुलाई 2024 को सिकंदराराऊ क्षेत्र के मुगल गढ़ी गांव में स्वयंभू बाबा सूरज पाल उर्फ भोले बाबा के सत्संग में लाखों अनुयायी जुटे थे। अनुमति केवल 80,000 लोगों के लिए थी, लेकिन कथित तौर पर 2.5 लाख से अधिक लोग इसमें शामिल हुए।
घटना के बाद उस समय अफरा-तफरी मच गई जब श्रद्धालु कथित तौर पर भोले बाबा के पैर और जिस जमीन पर वह चले थे उसे छूने के लिए उनके वाहन की ओर उमड़ पड़े।
फिसलन भरे मैदान में अनियंत्रित भीड़ की चपेट में आकर 121 लोग मारे गए, जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे। इनमें विनोद की मां जयवती, पत्नी राजकुमारी और बेटी भूमि भी शामिल थीं।
अपनी मां मुन्नी देवी को खोने वाले नवीपुर के जुगनू कहते हैं कि यह दुख उन्हें हमेशा सताता रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘उनकी इस तरह मौत नहीं होनी चाहिए थी।’
भगदड़ की जांच के दौरान पता चला कि योजना और भीड़ नियंत्रण में भारी खामियां थीं, निकास के लिए रास्ते अपर्याप्त थे और कोई प्रभावी सुरक्षा योजना नहीं थी।
एक वर्ष बीत जाने के बाद भी, पीड़ितों के परिवार सदमे में हैं, यह त्रासदी लोगों की यादों में आज भी ताजा है, अदालती सुनवाई जारी है, तथा आज भी जवाबदेही तय नहीं हो पाई है।
लखनऊ में एक बार जांच समिति ने भोले बाबा से पूछताछ की थी, लेकिन उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया।
पुलिस ने कार्यक्रम आयोजक देवप्रकाश मधुकर समेत उनके 11 सहयोगियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। फिलहाल सभी को जमानत मिली हुई है।
सरकार ने एक न्यायिक आयोग का गठन किया। आयोग ने 21 फरवरी, 2025 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें भोले बाबा को क्लीन चिट दी गई और कहा गया कि भगदड़ से उनका कोई सीधा संबंध नहीं है।
मामले की सुनवाई हाथरस के अतिरिक्त सत्र न्यायालय-1 में हो रही है, जहां उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता ए पी सिंह भोले बाबा के अनुयायियों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा से’ कहा, ‘दो जुलाई 2024 की घटना एक साजिश थी। पुलिस ने जल्दबाजी में झूठा आरोपपत्र दाखिल किया।’
उन्होंने यह भी कहा कि अब तक 31 बार सुनवाई हो चुकी है, अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी और आरोप तय करने को लेकर बहस जारी रहेगी।
गौरतलब है कि इन सुनवाई के दौरान चार न्यायाधीश बदल चुके हैं।
सिंह ने कहा कि पुलिस ने 676 गवाहों के बयानों के समर्थन से 3,200 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया है। भोले बाबा के सेवादारों में शामिल दो महिलाओं समेत 11 आरोपियों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी है। ये सभी आरोपी इस बड़े आयोजन के प्रबंधन में लगे थे।
न्यायिक पैनल की जांच के बाद लापरवाही के आरोप में तत्कालीन उप जिलाधिकारी और पुलिस क्षेत्राधिकारी समेत छह सरकारी अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। इस त्रासदी के बाद जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक का भी तबादला कर दिया गया।
घटना के बाद राज्य सरकार ने मृतकों के परिवारों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की मदद की घोषणा की थी।
हालांकि, मारे गए लोगों के परिवारों के लिए इस नुकसान से पैदा हुए भावनात्मक खालीपन की कोई सीमा है।
अपनी सास को इस हादसे में गंवाने वाली सोखना गांव की रेखा कहती है, ‘‘ मैं हर दिन उन्हें याद करती हूं।’’
भाषा सं सलीम
जोहेब नरेश
नरेश
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