नई दिल्ली: भारत में अंतरराष्ट्रीय यात्रा के मौजूदा सीजन में यूरोप खासकर ग्रीस जैसे देशों के लिए पर्यटक वीजा के लिए इंतजार काफी लंबा हो गया है. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.
शेंगन वीजा के लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने में आमतौर पर करीब 15 दिन लगते हैं, या व्यस्त अवधि में 30 दिन का समय लग सकता है. लेकिन पर्यटन उद्योग से जुड़े प्रमुख लोगों का कहना है कि वीजा आवेदनों की संख्या अधिक होने और अप्वाइंटमेंट सीमित हो जाने के कारण अभी यह प्रक्रिया चार सप्ताह से अधिक समय तक खिंचने लगी है.
उनके मुताबिक, इसकी एक बड़ी वजह यह है कि कोविड संबंधी पाबंदियां हट चुकी हैं और गंतव्य देशों के दूतावासों में फिलहाल कर्मचारियों की कमी बनी हुई है.
ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (टीएएआई) की अध्यक्ष ज्योति मयाल ने दिप्रिंट को बताया, ‘शेंगन देशों खासकर ग्रीस, डेनमार्क, फ्रांस और स्विट्जरलैंड का वीजा हासिल करने के लिए इंतजार लंबा है. कुछ यात्री तो ग्रीस का वीजा पाने के लिए 2-3 महीने से इंतजार कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘मांग बढ़ने के अलावा एक वजह यह भी है कि दूतावास में पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों नहीं हैं. महामारी के दौरान मैनपॉवर में कटौती कर दी गई थी और अब उन्हें फिर कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने में परेशानी हो रही है क्योंकि सभी को स्थानीय तौर पर भर्ती नहीं किया जा सकता.’
टीएएआई के मुताबिक, पर्यटन, बिजनेस ट्रिप, छात्र वीजा और दीर्घकालिक प्रवास के लिए यूरोप और यूके के लिए वीजा आवेदनों की संख्या 2019 की तुलना में ‘कम से कम 20 प्रतिशत’ अधिक है. भारत ने अपनी अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानों पर दो साल से जारी प्रतिबंध इसी साल 27 मार्च को हटाया था. महामारी के मद्देनजर ये प्रतिबंध पहली बार 23 मार्च 2020 को लगाए गए थे, हालांकि कुछ देशों के साथ एयर बबल अरेंजमेंट किया गया था.
इंटरनेशनल ट्रैवल एजेंसी यूनिग्लोब ले ट्रैवलवर्ल्ड के प्रबंध निदेशक संजय डांग ने बताय कि उनके मौजूदा क्लाइंट में से 75 प्रतिशत पर्यटन और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए यूरोप यात्रा की योजना बना रहे हैं. उनके मुताबिक, मांग में इस वृद्धि की वजह संभवत: कई यूरोपीय देशों द्वारा पिछले साल नवंबर से कोवैक्सीन टीकाकरण वाले यात्रियों को प्रवेश की अनुमति देना हो सकती है.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘पिछले नवंबर में यूरोपीय संघ के करीब 10-12 देशों ने यात्रा के लिए कोवैक्सीन को वैक्सीन प्रमाण के तौर पर मान्य करार दिया था. तभी तमाम भारतीय यात्रा के इच्छुक थे, लेकिन फिर ओमिक्रोन लहर शुरू हो गई. यही कारण है कि अब हम मांग में वृद्धि देख रहे हैं क्योंकि ओमिक्रोन लहर खत्म हो गई है और गर्मी का मौसम शुरू हो गया है.’
‘भारत से एक दिन में 20,000 वीजा आवेदन’
यद्यपि दूतावासों के पास वीजा को स्वीकारने या अस्वीकार करने और वीजा अप्वाइंटमेंट के लिए समयसीमा तय करने का अधिकार होता है, वे वीजा प्रोसेसिंग से जुड़े प्रशासनिक कार्यों—जैसे बायोमेट्रिक स्कैनिंग और दस्तावेजों के मिलान आदि—को वीएफएस ग्लोबल जैसी थर्ट-पार्टी कंपनियों को आउटसोर्स कर देते हैं.
वीएफएस का मुख्यालय दुबई में है, और इसकी मौजूदगी 17 भारतीय शहरों में है. मौजूदा समय में देश में इसके दस वीजा सुविधा केंद्र काम कर रहे हैं.
कंपनी ने दिप्रिंट को एक ईमेल पर बताया कि उसे अभी एक दिन में भारत से लगभग 20,000 आवेदन मिल रहे हैं जो महामारी के पहले वाले स्तर के करीब हैं. हालांकि उसकी तरफ से यह स्पष्ट नहीं किया गया कि इसमें से कितने प्रतिशत विशेष रूप से यूरोप के लिए हैं.
कंपनी ने स्पष्ट किया कि वह केवल वीजा आवेदन प्रक्रिया के ‘प्रशासनिक’ और ‘गैर-निर्णयात्मक पहलुओं’ का प्रबंधन करती है.
ईमेल में आगे बताया गया कि वीएफएस ग्लोबल ‘एक वर्किंग डे में आवेदनों को प्रोसेस करने की मानक संचालन प्रक्रिया का पालन करता है.’
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स्टाफ की कमी झेल रहे दूतावास
इस बीच, कुछ दूतावासों ने कर्मचारियों की कमी के कारण वीजा संबंधी सभी अप्वाइंटमेंट अस्थायी रूप से निलंबित कर दिए हैं.
उदाहरण के तौर पर, डेनमार्क दूतावास के एक ऑटोमैटिक मेल रिप्लाई में बताया गया—‘कर्मचारियों की कमी, गैर-हाजिरी और आवेदनों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण नई दिल्ली स्थित डेनमार्क दूतावास ने वीएफएस में सभी नए अप्वाइंटमेंट अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिए हैं. 1 जुलाई से अगली सूचना तक, वीएफएस में कोई अप्वाइंटमेंट स्लॉट उपलब्ध नहीं होगा. रेड कार्पेट प्रोग्राम वॉक-इन तत्काल प्रभाव से निलंबित है.’
रेड कार्पेट प्रोग्राम उन आवेदकों के लिए आसान वीजा प्रक्रिया की सुविधा देता है जो व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए नियमित तौर पर डेनमार्क की यात्रा करते हैं.
उद्योग जगत के लोगों ने दिप्रिंट को बताया कि फ्रांस और स्विटजरलैंड जैसे अन्य दूतावास केवल जुलाई में ही वीजा अप्वाइंटमेंट की तारीखें दे रहे हैं.
‘2021 के बराबर’ आवेदन अकेले मार्च-जून में आए
इटली के दूतावास के एक प्रवक्ता ने दिप्रिंट को ईमेल पर बताया कि उन्हें इस साल 1 मार्च से 7 जून के बीच 11,500 नए आवेदन मिले हैं, जो पूरे 2021 में मिले आवेदनों की तुलना में 37 प्रतिशत अधिक हैं.
ईमेल में आगे बताया गया है, ‘2021 में पूरे साल दूतावास की तरफ से प्रोसेस वीजा की संख्या लगभग 8,400 रही थी. इसका मतलब है कि दूतावास ने तीन महीने में पूरे 2021 की तुलना में 37 प्रतिशत अधिक वीजा आवेदनों को प्रोसेस किया है.
मार्च-जून में आए 11,500 नए आवेदनों में से 4,000 शेंगन वीजा के लिए और 7,500 दीर्घकालिक प्रवास से संबंधित हैं.
दूतावास ने अपने ई-मेल में बताया, ‘2019 में, इसी अवधि (1 मार्च से 7 जून) के दौरान, दूतावास ने लगभग 20,000 आवेदनों को प्रोसेस किया था. हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि उनमें से 17,000 से अधिक शेंगन वीजा थे, जिनकी प्रक्रिया जल्दी पूरी होती है. केवल 2,800 (बनाम 2022 में 7,500) नेशनल वीजा थे, जिनकी मंजूरी की प्रक्रिया अधिक जटिल होती है. इसके अलावा, दूतावास में 2019 में कर्मचारियों की संख्या भी थोड़ी ज्यादा थी.’
इसमें आगे बताया गया है कि इतालवी दूतावास में मौजूदा समय में 15 पूर्णकालिक कर्मचारी हैं.
भारत से आवेदनों में वृद्धि को देखते हुए ग्रीस जैसे कुछ देशों ने घोषणा की है कि वे नई दिल्ली में अधिक दूतावास कर्मचारियों की भर्ती करना शुरू करेंगे. इस बीच, कई भारतीय यात्रियों को वीजा में देरी के कारण यात्राएं रद्द करने या फ्लाइट रिशेड्यूल कराने के कारण वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है.
तीन यूरोपीय देशों की यात्रा की योजना बना रहे चेन्नई के एक बिजनेस एक्जीक्यूटिव राहुल हिरानी का कहना है कि नई दिल्ली स्थित ग्रीक दूतावास की प्रतिक्रिया का इंतजार करते हुए वह 11 मई से दो बार अपनी फ्लाइट को रिशेड्यूल करा चुके हैं.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने 11 मई को शेंगन वीजा के लिए आवेदन किया था, वह भी वीएफएस प्रीमियम सेवा के साथ. मैं 5 जून को ग्रीस पहुंचने की योजना बना रहा था, फिर स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड रवाना होना था. लेकिन वीजा में देरी के कारण मुझे अपनी फ्लाइट दो बार रिशेड्यूल करानी पड़ी है.’
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