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Saturday, 16 November, 2024
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चीनी राजदूत सन विडॉन्ग ने कहा- भारत और चीन को आपसी मतभेदों को सुलझाकर, स्थिरता की ओर बढ़ना चाहिए

भारत में बीजिंग के राजदूत सन विडॉन्ग का कहना है कि भारत और चीन को एक दूसरे से आधे रास्ते में मिलना चाहिए, और विवादों के तात्कालिक निपटारे की जगह, नियमित प्रबंधन पर ध्यान लगाना चाहिए.

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नई दिल्ली: नई दिल्ली में बीजिंग के राजदूत सन विडॉन्ग ने कहा है कि भारत और चीन को एक दूसरे से आधे रास्ते में मिलना चाहिए और मतभेदों को सही से संभालना चाहिए.

बृहस्पतिवार को चीन की स्थापना की 72वीं वर्षगांठ के अवसर पर सन ने कहा, ‘चीन और भारत को आपसी मतभेदों को अच्छे से संभालना चाहिए. हमें सीमा विवाद को द्विपक्षीय संबंधों के बीच, एक उचित स्थिति में रखना चाहिए, और आपसी बातचीत तथा विचार विमर्श के ज़रिए एक उचित, तर्कसंगत और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की बात करनी चाहिए’.

सन ने आगे कहा, ‘ज़रूरत इस बात की है कि दोनों पक्ष एक दूसरे से आधे रास्ते में मिलें, हालात को स्थिरता की ओर बढ़ाएं, और साथ ही विवादों के तात्कालिक निपटारे की जगह, नियमित प्रबंधन पर ध्यान लगाएं, जिससे कि संयुक्त रूप से सीमावर्त्ती इलाक़े की शांति और व्यवस्था सुरक्षित की जा सके’.

सन की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब पिछले साल से पूर्वी लद्दाख़ में भारत और चीन के बीच सीमा पर गतिरोध चल रहा है, जिसके दौरान गलवान घाटी में एक हिंसक झड़प भी देखने को मिली, जहां 20 भारतीय सैनिक अपनी जान से हाथ धो बैठे. वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध के लिए, बीजिंग पहले भी कई बार भारत को दोषी ठहरा चुका है.

चीनी राजदूत ने ये भी कहा कि चीन और भारत दोनों को ‘द्विपक्षीय संबंधों की सही दिशा में बने रहना चाहिए’.

उन्होंने कहा, ‘हमें आपसी रिश्तों को एक ऐतिहासिक और सामरिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए, और इस सामरिक सहमति को बनाए रखना चाहिए, कि चीन और भारत एक दूसरे के लिए ख़तरा, और प्रतिस्पर्धी प्रतिद्वंद्वी बनने की बजाय, विकास और सहयोग के अवसर बनें’.

अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, और जापान के साथ मिलकर भारत के क्वॉड का हिस्सा बनने पर, सन ने कहा कि बीजिंग और नई दिल्ली दोनों को, ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों का पालन करना चाहिए, एक दूसरे के मूल हितों और प्रमुख चिंताओं का आदर करना चाहिए, सामरिक स्वायत्तता क़ायम रखनी चाहिए, और एक दूसरे के आंतरिक मामलों में दख़लअंदाज़ी, या एक दूसरे के हितों को निशाना बनाने वाले, किसी भी ‘गठबंधन’ या ‘अर्ध-गठबंधन’ में शामिल होने से बचना चाहिए’.

राजदूत ने ये भी कहा कि कोविड-19 महामारी के बावजूद, आर्थिक क्षेत्र में दोनों देशों के बीच व्यापार सहयोग ने ‘आम रुझान को रोका’ है,

उन्होंने कहा, ‘साल के पहले आठ महीनों में, द्विपक्षीय व्यापार साल दर साल 52 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, 78.5 अरब डॉलर पहुंच गया. दोनों देशों की कंपनियों पर भेदभावपूर्ण और प्रतिबंधात्मक उपाय करने की बजाय, हमें उन्हें एक उचित और निष्पक्ष व्यावसायिक पर्यावरण मुहैया कराना चाहिए’.


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‘चीन अभी भी भारी संख्या में सैनिक तैनात कर रहा है’

इस बीच बृहस्पतिवार को भारत ने कहा, कि चीन अभी भी सीमावर्त्ती क्षेत्रों में, भारी संख्या में सैनिक और युद्ध सामग्री तैनात कर रहा है.

बृहस्पतिवार को चीनी विदेश मंत्रालय की टिप्पणी के जवाब में, विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘चीन अभी भी सीमावर्त्ती क्षेत्रों में, भारी तादाद में सैनिक और युद्ध सामग्री तैनात कर रहा है. चीनी कार्रवाई के जवाब में ही हमारे रक्षा बलों को, इन क्षेत्रों में उचित जवाबी तैनातियां करनी पड़ीं, ताकि भारत के सुरक्षा हितों की पूरी तरह रक्षा हो सके’.

बागची चीनी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता हुआ चुनयिंग के, बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जहां उन्होंने कहा था, ‘भारतीय पक्ष लंबे समय से ‘आगे की नीति’ अपनाए हुए है, और चीन के इलाक़े में अतिक्रमण करने के लिए, उसने अवैध तरीक़े से एलएसी को पार किया है, जो चीन-भारत सीमा की स्थिति में तनाव का असली कारण है’.

सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाणे ने कहा, कि भारत और चीन के बीच ऐसे सीमा विवाद तब तक उठते रहेंगे, जब तक दोनों पक्ष सीमा समझौते पर सहमत नहीं हो जाते.

पीएचडी चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के वार्षिक सत्र के दौरान उन्होंने कहा, ‘हमारे पास एक बक़ाया सीमा विवाद है. हम फिर से किसी भी संभावित मिसएडवेंचर से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, जैसा कि हम अतीत में दिखा चुके हैं…इस तरह की घटनाएं तब तक होती रहेंगी, जब तक किसी दीर्घ-कालिक समाधान पर नहीं पहुंचा जाता, और वो समाधान है एक सीमा समझौता. और हमारे तमाम प्रयासों का ज़ोर उसी पर होना चाहिए, जिससे कि हमें उत्तरी (चीनी) सीमा पर स्थायी शांति हासिल हो सके.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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