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दिवंगत भारतीय लेखिका सुष्मिता बंद्योपाध्याय की किताब ‘‘द तालिबान एंड आई’’ का अंग्रेजी अनुवाद जारी

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नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर (भाषा) प्रकाशक ‘वेस्टलैंड बुक्स’ ने बुधवार को घोषणा की कि दिवंगत भारतीय लेखिका सुष्मिता बंद्योपाध्याय के बांग्ला में लिखे संस्मरण ‘‘मुल्ला उमर, तालिबान ओ अमी’’ का अंग्रेजी अनुवाद बाजार में आ गया है।

मूल रूप से वर्ष 2000 में प्रकाशित किताब के अंग्रेजी संस्करण ‘‘द तालिबान एंड आई’’ का अनुवाद पुरस्कार विजेता अनुवादक अरुणव सिन्हा ने किया है। 1980 के दशक के अंत में अफगानिस्तान में तालिबान के साथ बंद्योपाध्याय का जो आमना-सामना हुआ, इस किताब में उसका जिक्र है।

बंद्योपाध्याय की शादी 1988 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में एक अफगान व्यवसायी जांबाज खान से हुई थी और इसके ठीक बाद वे अफगानिस्तान चले गए, जहां 2013 में तालिबानी आतंकवादियों ने बंद्योपाध्याय की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बंद्योपाध्याय उस वक्त 49 वर्ष की थीं।

सिन्हा ने कहा, ‘‘मैं सुष्मिता बंद्योपाध्याय की किताब में उनके जीवन के बारे में जानकर स्तब्ध और दुखी हुआ। यह याद दिलाती है कि एक महिला उत्पीड़न के सामने कितनी साहसी हो सकती है।’’

तालिबान ने उन्हें अफगान महिलाओं के लिए निर्धारित दमनकारी नियमों के तहत बांधने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं झुकीं और 1990 के दशक में उनके चंगुल से बचने और कोलकाता लौटने का खतरा उठाया।

बंद्योपाध्याय 1994 में अपने पति के साथ भारत लौट आईं लेकिन मई 2013 में उन्होंने अफगानिस्तान वापस जाने का फैसला किया। उसी वर्ष, चार सितंबर को तालिबान ने बंद्योपाध्याय को उनके घर से बाहर खींचकर निकाला और उनके परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में गोली मारकर हत्या कर दी।

बंद्योपाध्याय की पहली किताब ‘काबुलीवालार बंगाली बोउ’ (काबुलीवाला की बंगाली पत्नी), 1997 में प्रकाशित हुई। इस पर बॉलीवुड फिल्म ‘‘एस्केप फ्रॉम तालिबान’’ (2003) बनाई गई, जिसमें मनीषा कोइराला ने अभिनय किया था। प्रकाशकों के अनुसार ‘‘द तालिबान एंड आई’’ बेहद रोचक, दिल दहला देने वाली और गहराई से मन को छूने वाली किताब है।

‘वेस्टलैंड बुक्स’ की प्रकाशक मीनाक्षी ठाकुर ने कहा, ‘‘यह एक ऐसी महिला की दर्दनाक कहानी है जिसने ऐसे देश में अपनी पहचान फिर से कायम की, जहां महिलाएं बिना किसी साथी के अपने घर से बाहर नहीं निकल सकतीं। प्रतिकूल माहौल में उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर काम किया, अपने आसपास की महिलाओं की मदद की, वहीं तालिबान उन पर जुल्म ढाता रहा।’’

भाषा आशीष वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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