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Friday, 22 November, 2024
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बंगाल SSC मामले में ईडी की चार्जशीट, ‘टीचर की पोस्ट के लिए 7-8 लाख रुपये का रेट’

ईडी ने दावा किया कि जब पार्थ चटर्जी बंगाल के शिक्षा मंत्री थे, तो 'आम लोगों' को स्कूलों में नौकरियों पाने के लिए लाखों रुपए रिश्वत के तौर पर देने पड़ रहे थे. आरोप है कि मंत्री ने 'काले धन' को सफेद करने के लिए शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया.

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कोलकाता: 7 सा 8 लाख रुपये – यह वह रेट था जो पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग के बिचौलियों और कर्मचारियों ने कथित तौर पर सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में प्राथमिक शिक्षक पदों के लिए नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए तय किया हुआ था. लेकिन इतना पैसा देने के बाद भी वादा की गई नौकरी मिल जाए, ये जरूरी नहीं था.

पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ सोमवार को एक न्यायाधीश के समक्ष दायर की गई प्रवर्तन निदेशालय की 172 पन्नों की चार्जशीट में ‘साधारण’ और ‘असफल’ लोगों के साथ कथित रूप से किए गए ‘धोखे’ और ‘जबरन वसूली’ के बारे में बताया गया है.

कभी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भरोसेमंद सहयोगी, निलंबित तृणमूल कांग्रेस के दिग्गज तथाकथित स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) भर्ती घोटाले के एक आरोपी के रूप में जुलाई से जेल में हैं. उनकी करीबी सहयोगी और सह-आरोपी अर्पिता मुखर्जी के परिसरों से दसियों करोड़ रुपये और आभूषण जब्त किए जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था. अब तक ईडी ने इस जोड़ी से कथित तौर पर जुड़ी करीब 103 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है.

कोलकाता में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की एक विशेष अदालत में प्रस्तुत चार्जशीट को दिप्रिंट ने पढ़ा है. चार्जशीट में कुछ चौंकाने वाले गवाहों के बयान शामिल हैं जो यह दिखाते हैं कि कैसे नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को 2014 से इस साल पद से हटाए जाने तक चटर्जी के कार्यकाल के दौरान पैसे के बदले पदों की पेशकश की गई थी.

कथित घोटाले की एक शिकार मालदा के बल्लवपुर प्राइमरी स्कूल की सहायक शिक्षिका शेफाली मंडल थी, जो विधवा हैं.

उन्होंने बताया कि जब उसने 2017 में अपनी पोस्टिंग और वेतन के बारे में शिकायत दर्ज करने के लिए शिक्षा विभाग से संपर्क किया, तो चटर्जी के स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) के तहत एक अधिकारी ने उसे एक ऑफर दिया, जिसे वह मना नहीं कर सकती थी: 8 लाख रुपये में अपनी जुड़वां बेटियों के लिए नौकरी. मंडल के अनुसार, ‘पार्थ चटर्जी के करीबी’ शिक्षा विभाग के एक अधिकारी रात को उनके घर पर रुके और उनसे यह रकम ले ली. लेकिन उनकी बेटियों को कभी नौकरी नहीं मिली.

ईडी की चार्जशीट में कहा गया, ‘शेफाली मंडल से की गई ठगी इस बात का जीता जागता नमूना है कि किस तरह शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने नौकरी दिलाने के नाम पर आम लोगों से पैसे लूटे और जबरन वसूली की.

कथित जॉब फॉर कैश रैकेट के संबंध में दायर चार्जशीट में टीएमसी विधायक माणिक भट्टाचार्य को फंसाने वाली व्हाट्सएप चैट भी शामिल हैं. इसके अलावा इसमें यह भी बताया गया है कि कथित घोटाले से लूटे गए ‘काले धन’ को सफेद करने के लिए कथित तौर पर शेल कंपनियों का कैसे निर्माण किया गया था.

उधर चटर्जी का कहना है है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं.

इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की सुनवाई के दौरान जब उन्हें 16 सितंबर को एक विशेष अदालत में पेश किया गया, तो वह टूट गए और कहा कि वह एक साजिश का शिकार थे.

उन्होंने कहा, ‘मैं एक एमबीए हूं, मेरे पास एक लोक सेवक के रूप में एक बेदाग करियर के साथ डॉक्टरेट की डिग्री भी है. यह मुझे सलाखों के पीछे रखने की साजिश है. मैं बहुत बीमार हूं और ढेरों दवाइयां लेता हूं. कौन मेरी मदद करेगा.’

जब दिप्रिंट ने उनकी वकील सुकन्या भट्टाचार्य से ईडी की चार्जशीट में ताजा विवरण के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि चटर्जी के खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं थे.

वकील ने बताया, ‘ कैश बरामदगी के अलावा चार्जशीट में कुछ भी चिंताजनक नहीं है. ईडी की ओर से लगाए गए आरोप बहुत बचकाने हैं.

इसी कथित घोटाले से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के एक मामले में बुधवार को चटर्जी को 5 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.


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प्राइमरी टीचर के पदों की ‘खरीद’

ईडी की चार्जशीट में दिए गए गवाहों के बयानों में विस्तार से बताया गया है कि कैसे नौकरी चाहने वालों ने कथित तौर पर अपनी सारी बचत का इस्तेमाल किया और पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में नौकरियों को ‘खरीदने’ के लिए भारी उधार भी लिया.

लेकिन इसके बावजूद भी कुछ लोगों को नौकरियां नहीं मिली- जैसा कि शेफाली मंडल के मामले में हुआ था. जाहिर तौर पर कुछ लोगों को वह मिल गया था, जो उन्होंने मांगा था.

ऐसा ही एक मामला नोर्थ 24 परगना जिले के बगदा के बैटरी शॉप के मालिक जयंत विश्वास और उनकी पत्नी पपया मुखर्जी का था.

बिस्वास ने जांच अधिकारियों को बताया कि उसने अपनी रिटायरमेंट की सेविंग निकाल ली और 2017 में अपनी पत्नी को सहायक प्राइमरी टीचर की नौकरी दिलाने के लिए 7.5 लाख रुपये खर्च किए.

उन्होंने कहा कि उन्होंने चंदन मोहन नाम के एक व्यक्ति को पैसे दिए थे. चार्जशीट के अनुसार, वह ‘एक एजेंट था, जिसका प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी दिलाने के लिए प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ उच्च संपर्क था.’

बिचौलिए ने साफतौर पर पपया को प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए टिप्स दिए: उसने उससे केवल उन सवालों के जवाब देने के लिए कहा जिन्हें वह पूरी तरह से जानती थी. बाकी सवालों के लिए खाली ओएमआर शीट जमा करने के लिए कहा. उसने परीक्षा पास की और नौकरी पा ली.

एक अन्य नौकरी के इच्छुक समर कुमार हलदर ने कहा कि उन्होंने कोलकाता के एजेसी बोस रोड पर नगर सेवा आयोग में काम करने वाले अबानी मंडल नाम के एक बिचौलिए को दो किस्तों में 7 लाख रुपये का भुगतान किया था. मंडल ने कथित तौर पर हलदर को आश्वासन दिया कि 2018 में एक नया पैनल बनने पर उन्हें नौकरी मिल जाएगी.

इसी बिचौलिए का नाम मछली के एक छोटे व्यवसाय से जुड़े मालिक सुजॉय विश्वास ने ईडी को दिए अपने बयान में भी लिया था. बिस्वास 2016 में भर्ती परीक्षा में विफल रहे थे और इसलिए उन्होंने एक शिक्षक की नौकरी के लिए एक अलग रास्ता आजमाने का फैसला किया. उन्होंने दावा किया कि उसने अपने परिवार से दो किस्तों में अबानी मंडल को 7 लाख रुपये का भुगतान करने के लिए पैसे उधार लिए थे.

‘सिस्टम में गहराई से जड़ जमा चुके भ्रष्टाचार’ को दिखाती व्हाट्सएप चैट

कथित एसएससी घोटाले ने टीएमसी विधायक माणिक भट्टाचार्य सहित बंगाल के कई अन्य नेताओं पर ईडी ने हाथ डाला था, जिन्हें इस साल की शुरुआत में राज्य के प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष के पद से निलंबित कर दिया गया.

चार्जशीट में चटर्जी के जब्त किए गए फोन से कथित रूप से रिकवर की गई व्हाट्सएप चैट शामिल हैं जो इशारा करती है कि वह भट्टाचार्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों से अवगत थे. ईडी के अनुसार, यह चैट सिस्टम में गहराई से जड़ जमा चुके भ्रष्टाचार’ का संकेत देती है.

एक लंबा व्हाट्सएप मैसेज चटर्जी (उन्हें दादा, या बड़े भाई के रूप में संबोधित करते हुए) को सचेत करता है कि भट्टाचार्य कथित तौर पर कॉलेजों और छात्रों से ‘पैसे ले रहे हैं’.

मैसेज में लिखा था, ‘दादा, माणिक भट्टाचार्य हर तरीके से पैसे ले रहे हैं. उन्होंने कोविड के दौरान हर प्राइवेट बीएड कॉलेज से 500 रुपये प्रति छात्र लिए हैं जबकि कॉलेज बंद थे. जब बहुत से छात्र भुगतान नहीं कर सके तो कॉलेजों ने खुद से भुगतान किया था. वह उनसे फिर से 500 प्रति छात्र मांग रहे हैं. वह कॉलेजों को परेशान करता है और धमकी देता है कि वे भुगतान करें.’

मैसेज में आग्रह किया गया था, ‘नादिया में प्राइमरी टीईटी (शिक्षक प्रवेश परीक्षा) साक्षात्कार पूरा हो चुका है, लेकिन वह अध्यक्ष को इंटरव्यू के अंक डाले बिना खाली हस्ताक्षरित मास्टर शीट देने के लिए कह रहा है. वह पैसे लेकर दोबारा काम करेगा. मामला फिर से शुरू होगा और पार्टी को नुकसान होगा. कृपया मामले को देखें.’

चार्जशीट में कहा गया है कि यह मैसेज पार्थ चटर्जी ने माणिक भट्टाचार्य को भेजा था.

ईडी ने मैसेज के लेकर जब सवाल किया तो , चटर्जी ने कथित तौर पर कहा कि ‘मामिक भट्टाचार्य को मामला भेजा गया था और उनका बोर्ड तदनुसार कार्य करने की स्थिति में था’.

‘काले धन को सफेद करने के लिए लोगों का किया शोषण’

ईडी की चार्जशीट में चार ‘शैल कंपनियों’ का विवरण दिया गया है, जो कथित तौर पर चटर्जी के निर्देशों के तहत संचालित होती थीं. इनके नाम थे- व्यूमोर हाईराइज प्राइवेट लिमिटेड, एपीए सर्विसेज, सेंट्री इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड और सिम्बायोसिस मर्चेंट प्राइवेट लिमिटेड.

ईडी का दावा है कि इन कंपनियों को ‘पैसे के बदले नौकरी देने की आपराधिक गतिविधि से मिले काले धन को सफेद करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था.

चार्जशीट में लिखा है: ‘ असफल लोगों का शोषण किया गया और इन कंपनियों का उन्हें निदेशक बनाया गया. उसके बाद उनकी सहमति या जानकारी के बिना कंपनी के कागजात पर हस्ताक्षर लिए गए.’

एक कंपनी के डायरेक्टर माली थे और दूसरे अर्पिता मुखर्जी के ड्राइवर कल्याण धर थे. (वह उसका ब्रदर इन लॉ भी है.)

ईडी ने यह भी दावा किया है कि उसके पास सबूत हैं कि चटर्जी ने ‘आपराधिक गतिविधियों’ से प्राप्त अवैध धन को छुपाया. एजेंसी का दावा है कि उसने एक कैबिनेट मंत्री के रूप में अपनी आधिकारिक स्थिति और सामाजिक प्रतिष्ठा का दुरुपयोग करके ‘डमी कंपनियां’ बनाईं.

एजेंसी ने दावा किया है कि वसूली के मामले में चटर्जी ‘असहयोगी और जानबूझकर तथ्यों को छुपा रहे थे’.


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अर्पिता मुखर्जी की क्या भूमिका थी?
Arrested TMC leader Partha Chatterjee with his aide Arpita Mukherjee | ANI file image
टीएमसी नेता पार्थ चटर्जी को उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के साथ गिरफ्तार | एएनआई

जब से ईडी ने कोलकाता और उसके आसपास की संपत्तियों से करीब 50 करोड़ रुपये नकद, 5.08 करोड़ रुपये से अधिक के सोने के आभूषण और कथित रूप से आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए हैं, तब से पार्थ चटर्जी की सहयोगी अर्पिता मुखर्जी एसएससी घोटाले में एक प्रमुख नाम रही हैं. उसे 23 जुलाई को चटर्जी के साथ गिरफ्तार किया गया था.

चार्जशीट के अनुसार, वह कम से कम 2012 से टीएमसी नेता की करीबी सहयोगी रही है, लेकिन उसने एजेंसी को बताया कि उसने ‘अपनी और अपनी मां की सुरक्षा के डर’ के कारण ‘सच्चा खुलासा’ नहीं किया है.

चार्जशीट के अनुसार, उसने आरोप लगाया है कि सभी नकदी और सोना पार्थ चटर्जी के हैं और वह इस खुलासे पर विचार करने के लिए अदालत के समक्ष एक औपचारिक आवेदन दायर करना चाहती है.

ईडी का कहना है कि अपनी जांच के दौरान उसे चटर्जी द्वारा 22 फरवरी 2022 को जारी एक पत्र भी मिला, जो मुखर्जी की एक बच्चे को गोद लेने के विचार से जुड़ा था.

पत्र में कहा गया है कि चटर्जी अर्पिता मुखर्जी के ‘करीबी दोस्त’ थे और उन्हें एक बच्चा गोद लेने पर उन्हें ‘कोई आपत्ति नहीं’ थी.

इस बारे में पूछे जाने पर चटर्जी ने जांच अधिकारी से कहा कि वह उनसे संपर्क करने वालों को जन प्रतिनिधि के तौर पर सर्टिफिकेट जारी करते थे.

जांच से पता चला है कि चार्जशीट के अनुसार मुखर्जी के पास 31 जीवन बीमा पॉलिसियां थीं जिनमें चटर्जी को नॉमिनी बनाया गया था. इसमें यह भी कहा गया है कि दोनों सिंगापुर और थाईलैंड की यात्रा कर चुके हैं और कई मौकों पर गोवा के आलीशान होटल लीला में रुके थे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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