नयी दिल्ली, 16 फरवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत के लोगों की ऊर्जा जरूरतें अगले 20 वर्षों में दोगुनी हो जाने की उम्मीद है। साथ ही, उन्होंने विकसित देशों से वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर अपने वादों को पूरा करने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री ने 21वें विश्व सतत विकास सम्मेलन (डब्ल्यूएसडीएस-22) के उदघाटन भाषण में कहा कि पर्यावरणीय धारणीयता केवल जलवायु न्याय से ही हासिल की जा सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लोगों की ऊर्जा जरूरतें अगले 20 वर्षों में दोगुनी हो जाने की उम्मीद है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह ऊर्जा उपलब्ध कराने से इनकार करना लाखों लोगों को जीने से मना करने जैसा होगा। सफल जलवायु कार्रवाई के लिए पर्याप्त वित्त उपलब्धता की भी जरूरत है। इसके लिए, विकसित देशों को वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर अपने वादे पूरे करने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र रूपरेखा समझौता (यूएनएफसीसीसी) के तहत वादों को पूरा करने में यकीन करता है।
मोदी ने कहा, ‘‘हम यूएनएफसीसीसी के तहत किये गये अपने सभी वादों को पूरा करने में दृढ़ विश्वास रखते हैं। हमने ग्लासगो में हुए सीओपी-26 के दौरान भी अपनी आकांक्षाओं से अवगत कराया था। ’’
उन्होंने कहा कि धारणीयता के लिए समन्वित कार्रवाई की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे प्रयासों ने इस अंतरनिर्भरता को मान्यता दी है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के जरिए, हमारा लक्ष्य एक सूर्य, एक विश्व,एक ग्रिड है। हमे हर समय हर जगह एक विश्वव्यापी ग्रिड से स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करने की जरूरत है। ’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत बहुत ही विविधताओं वाला देश है, जहां विश्व की आठ प्रतिशत प्रजातियां हैं। ’’
मोदी ने कहा, ‘‘भारत का क्षेत्रफल विश्व की कुल भूमि का 2.4 प्रतिशत ही है लेकिन यहां विश्व की आठ प्रतिशत प्रजातियां हैं। इस पारिस्थितिकी का संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है। हम अपने संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क को मजबूत कर रहे हैं।
डब्ल्यूएसडीएस-2022 तीन दिवसीय सम्मेलन है, जिसका आयोजन 100 से अधिक देशों की भागीदारी के साथ ‘द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट’ (टेरी) कर रहा है। यह 18 फरवरी को संपन्न होगा।
मोदी ने कहा कि पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर और अब प्रधानमंत्री के तौर पर 20 वर्षों के उनके नेतृत्व के दौरान पर्यावरण और धारणीय विकास उनके द्वारा मुख्य रूप से ध्यान दिये जाने वाले क्षेत्र रहे हैं।
उन्होंने 1972 के स्टॉकहोम संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सम्मेलन का जिक्र करते हुए कहा कि तब से काफी कुछ कहा गया है लेकिन थोड़ा सा ही किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने लोगों द्वारा हमारे ग्रह को नाजुक कहते सुना लेकिन हमारी धरती नाजुक नहीं है। हम नाजुक हैं। धरती, प्रकृति के प्रति हमारे वादे भी जोखिम में हैं। 1972 से, पिछले 50 वर्षों में काफी कुछ कहा गया है। थोड़ा ही किया गया है। लेकिन भारत में हमने बात करने के साथ-साथ काम भी किया है।’’
प्रधानंत्री ने कहा, ‘‘हम किसानों को सौर पैनल लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, उनका उपयोग करें और अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेचें।’’
उन्होंने कहा कि सौर पंप लगाने और मौजूदा पंप को सौर ऊर्जा चालित बनाने के प्रयास बढ़ा दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती पर जोर दिया जा रहा है जिससे धारणीय और समता को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि एलईडी बल्ब वितरण योजना सात साल से चलाई जा रही है और इसने 220 अरब यूनिट से अधिक बिजली बचाने में मदद की।
मोदी ने राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का भी जिक्र किया, जिसका उद्देश्य हरित हाइड्रोजन का उपयोग करना है।
भाषा
सुभाष पवनेश
पवनेश
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