उदयपुर: उदयपुर में एक हिंदू टेलर की दो मुसलमान व्यक्तियों के हाथों नृशंस हत्या के एक दिन बाद, उसका शव उसकी दुकान के पास सूरजकुंड सर्कल ले जाया गया. यहां से कन्हैया लाल के शव को अशोक नगर श्मशान घाट ले जाया गया.
करीब 200 लोगों की भीड़ जमा हो गई, जिनमें बहुत से ‘जय श्री राम’ और ‘देश के गद्दारों को’ नारे लगा रहे थे. कुछ लोग इधर उधर घूमकर इलाके की कुछ गाड़ियों पर भगवा झंडे लगा रहे थे.
शवयात्रा में अधिकतर समय अंतिम संस्कार का पारंपरिक मंत्र ‘राम नाम सत्य है’ सुनाई नहीं दिया.
मंगलवार को कड़े कर्फ्यू के बाद शहर के बहुत से हिस्से बंद रहे, जहां सड़कों पर एक भयानक खालीपन छाया हुआ था, हालांकि पुलिस और आरएएफ कर्मी तैनात किए गए थे. उदयपुर ज़िले के धानमंडी, घंटाघर, हाथीपोल, अंबामाता, सूरजपोल, भूपालपुरा और सवीना इलाकों में कर्फ्यू लागू किया गया था, जो सब मुस्लिम-बहुल इलाके हैं.
शहर में ज़िला एवं सत्र न्यायालय के बाहर करीब 50 वर्दीधारी वकीलों ने हत्या के खिलाफ प्रदर्शन किया और नारेबाज़ी की. एक वकील जयराज सिंह साहू ने दिप्रिंट से कहा, ‘जब तक दोनों व्यक्तियों को सज़ा नहीं मिल जाती और उन्हें फांसी पर नहीं चढ़ा दिया जाता, हम किसी भी मुसलमान की नुमाइंदगी नहीं करेंगे और उनके मुकदमे नहीं लड़ेंगे’.
एक रेस्टोरेंट मालिक हेमंत गोस्वामी ने कहा कि वो मुसलमानों को भोजन पेश नहीं करेगा.
इसी बीच युवा लोगों को भगवा झंडे लिए हुए शहर में घूमते देखा जा सकता था.
जिस सड़क पर कन्हैया लाल की दुकान थी, उसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. तेली के दोस्त और सहायक ईश्वर गौड़ को, जो हमले में घायल हो गया था, एमबी अस्पताल के न्यूरोसर्जरी वॉर्ड में भर्ती कराया गया है. डॉक्टरों का कहना है कि उसकी हालत स्थिर है.
जब दिप्रिंट की टीम अस्पताल पहुंची तो वहां मौजूद तेली समुदाय के सदस्यों ने राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के खिलाफ रोष व्यक्त किया और आरोप लगाया कि जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्य घटना के बाद से लगातार उनके साथ संपर्क में बने हुए हैं, वहीं स्थानीय विधायक, सांसद और कांग्रेसी नेता मौके से पूरी तरह गायब हैं.
एडवोकेट और उदयपुर में तेली समाज के ज़िला अध्यक्ष कैलाश साहू ने कहा, ‘अगर किसी मुसलमान की हत्या हो जाती तो कांग्रेस पार्टी सबसे आगे होती, लेकिन यहां वो हमसे बात करने भी नहीं आए हैं’.
कन्हैया लाल तेली की कथित तौर पर दो मुसलमानों ने पूर्व बीजेपी प्रवक्ता नुपूर शर्मा के समर्थन में एक सोशल मीडिया पोस्ट करने के लिए हत्या कर दी, जिन्हें पैगंबर मोहम्मद पर उनकी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए निलंबित कर दिया गया था. पुलिस द्वारा मोहम्मद रियाज़ अत्तारी और गौस मोहम्मद की पहचान किए जाने के बाद, दोनों अभियुक्तों को मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया.
अपराध की कथित तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की गईं, जहां दो व्यक्तियों को बड़ी छुरियां दिखाकर अपराध की ज़िम्मेवारी लेते और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकी देते देखा जा सकता था.
गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को केस अपने हाथ में लेने के लिए कहा है और एनआईए की एक टीम पहले ही दिल्ली से उदयपुर पहुंच चुकी है.
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शिकायत और जवाबी शिकायत
ऐसा नहीं था कि टेलर ने अपने ऊपर हमले की अपेक्षा नहीं की थी.
कन्हैया लाल ने 15 जून को शहर के धानमंडी पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज कराई थी और अपनी जान को खतरे की आशंका जताई थी. अपनी शिकायत में कन्हैया लाल ने दावा किया, ‘मुझे पता चला है कि अगर मैं अपनी दुकान खोलता हूं, तो मेरी जान लेने का प्रयास हो सकता है’. शिकायत की एक प्रति दिप्रिंट के पास है.
अपनी शिकायत में मृतक ने विस्तार से बताया था कि कैसे उसका पड़ोसी नाज़िम अहमद और पांच अन्य व्यक्ति, 10 जून के बाद से उसकी दुकान के चक्कर लगा रहे थे और उसे दुकान खोलने नहीं दे रहे थे.
11 जून को कन्हैया लाल के पड़ोसी नाज़िम अहमद ने भी उसी पुलिस थाने में, शर्मा के समर्थन में उसकी सोशल मीडिया पोस्ट के लिए टेलर के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी.
कन्हैया लाल ने फिर दावा किया था कि वो पोस्ट उसने नहीं बल्कि उसके बेटे ने डाली थी और नाज़िम को ये बात मालूम थी.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, कन्हैया लाल की शिकायत पर नाज़िम की पुलिस के हाथों गिरफ्तारी के बाद, दोनों के बीच सुलह हो गई थी.
उसी के अनुरूप नाज़िम ने एक लिखित बयान देकर कहा कि उन्होंने अपने मतभेद खत्म कर लिए हैं. दिप्रिंट के पास नाज़िम की ओर से दर्ज शिकायत और समझौते के उसके बयान दोनों की कॉपियां हैं.
लेकिन, पुलिस सूत्रों और चश्मदीदों के अनुसार, इस सबके बाद नाज़िम ने कन्हैया लाल को फिर धमकी दी थी. लेकिन उदयपुर पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार ने दिप्रिंट से कहा कि नाज़िम और मंगलवार की घटना के बीच ‘कोई संबंध नहीं है’.
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उबलता असंतोष
पुलिस सूत्रों के मुताबिक अभियुक्त अत्तारी राजसमंद ज़िले की पंचायत समिति भीम का निवासी है, जबकि उसका सहायक गौस मोहम्मद भीलवाड़ा के आसिंद कस्बे का रहने वाला है. दोनों व्यक्ति उदयपुर के किशनपोल में एक साझा कमरे में रहते थे, जिस जगह को खाजा पीर कहा जाता है. अत्तारी एक वेल्डर का काम करता था, जबकि दूसरा व्यक्ति एक छोटी सी मस्जिद की देखभाल करता था.
पुलिस सूत्रों ने ये भी बताया कि दोनों अभियुक्त भी 10 दिन पहले, नुपूर शर्मा के समर्थन में कन्हैया लाल की पोस्ट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने पुलिस थाने आए थे.
उदयपुर के एक पार्षद हिदायतुल्लाह ने कहा कि इस तरह की घटना बस होने के इंतज़ार में थी क्योंकि पुलिस आवश्यक कार्रवाई नहीं कर रही थी.
उन्होंने कहा, ‘9 जून को मैंने एसपी के पास एक शिकायत दर्ज कराई थी और 3-4 अकाउंट्स की पहचान की थी जिनमें नुपूर शर्मा के बयान को शेयर किया गया था. मुझे डर था कि इससे तनाव फैल सकता था और मैं पुलिस से इन पोस्ट्स को हटवाने का अनुरोध कर रहा था लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी’.
मंगलवार की घटना के बाद एक पुलिस अधिकारी ने दावा किया, ‘उदयपुर में तनाव को तुरंत कम कर दिया गया था, जिसके लिए फौरन ही कर्फ्यू लगा दिया गया और दोनों अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया. प्रदर्शनकारी मुख्य रूप से मुआवज़े और कन्हैया लाल के बेटों के लिए नौकरियों की मांग कर रहे थे, जिसकी सरकार ने पुष्टि कर दी है और साथ ही 32 लाख रुपए के मुआवज़े का ऐलान भी कर दिया है. इससे दंगे-जैसी स्थिति पर तुरंत लगाम लग गई’.
एक बीजेपी सदस्य पारस सिंघवी ने कहा, ‘अगर परिवार चाहता है कि हम प्रदर्शन करें तो हम ऐसा करेंगे. पहले हमें शांति के साथ अंतिम संस्कार संपन्न कराना है’.
(मनीषा मोंडल के इनपुट्स के साथ)
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