कोच्चि (केरल), चार फरवरी (भाषा) श्रमजीवी पत्रकारों के एक संगठन, मलयालम समाचार चैनल ‘मीडियावन’ के संपादक और उसके कुछ कर्मचारियों ने चैनल के प्रसारण पर रोक लगाने के केंद्र सरकार के हालिया फैसले के खिलाफ केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
केरल श्रमजीवी पत्रकार संघ (केयूडब्ल्यूजे), ‘मीडियावन’ के संपादक प्रमोद रमन और चैनल के कुछ कर्मचारियों ने केंद्र के 31 जनवरी के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं हैं। उच्च न्यायालय ने तीन फरवरी को ‘मीडियावन’ का संचालन करने वाली माध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड द्वारा चैनल के प्रसारण पर रोक के खिलाफ दायर याचिका के साथ इन दोनों याचिकाओं को सात फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
उच्च न्यायालय ने दो फरवरी को केंद्र का फैसल सात फरवरी तक के लिए रोक दिया था और समाचार चैनल को सुरक्षा मंजूरी से इनकार करने से संबंधित गृह मंत्रालय (एमएचए) की फाइलें भी मांगी थीं।
केयूडब्ल्यूजे और ‘मीडियावन’ के पत्रकारों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जाजू बाबू ने उच्च न्यायालय में दलील दी है कि यदि केंद्र का फैसला रद्द नहीं किया गया तो चैनल के सैकड़ों कर्मचारी आजीविका से वंचित हो जाएंगे।
बाबू ने तीन फरवरी को अदालत को बताया था कि चैनल या उसके कर्मचारियों को सुने बिना इसे प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया गया। पत्रकार संगठन और चैनल के कर्मचारियों ने दलील दी है कि किसी भी अनुमति या अधिनियम अथवा नियमों के उल्लंघन का कोई आरोप नहीं लगाया गया है और इसलिए केंद्र की कार्रवाई ‘‘अवैध और असंवैधानिक’’ है।
माध्यमम की याचिका पर दो फरवरी को सुनवाई के दौरान केंद्र ने उच्च न्यायालय को बताया था कि गृह मंत्रालय ने खुफिया सूचनाओं के आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर ‘मीडियावन’ को सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। केंद्र ने यह भी कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंता होने पर सुरक्षा मंजूरी से इनकार करने के कारणों का खुलासा करने की जरूरत नहीं है।
गृह मंत्रालय ने अदालत से यह भी कहा था कि जहां राष्ट्रीय सुरक्षा का संबंध है, वहां बिना कोई नोटिस या कारण बताए प्रसारण की अनुमतियां रद्द की जा सकती हैं। दूसरी ओर, चैनल ने दलील दी कि गृह मंत्रालय की मंजूरी केवल नई अनुमति/लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय आवश्यक थी, नवीनीकरण के समय नहीं।
भाषा सुरभि अनूप
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