नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिये कुल 1.04 लाख करोड़ रूपये आवंटित किये गए हैं जो वित्त वर्ष 2021-22 के बजट अनुमान में 93,224 करोड़ रूपये और संशोधित अनुमान में 88,001 करोड़ रूपये थे ।
संसद में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महामारी से बाध्य होकर स्कूलों को बंद किये जाने के कारण बच्चों को शिक्षा में होने वाले नुकसान का भी जिक्र किया ।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि कौशल विकास कार्यक्रमों और उद्योगों के साथ भागीदारी को नई दिशा दी जाएगी, जिससे कुशलता के आयामों को लगातार बढ़ावा मिलेगा तथा स्थायित्व और रोजगार की क्षमता भी बढ़ेगी।
वित्त मंत्री ने नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) को प्रगतिशील औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने, विश्वस्तरीय गुणवत्तापूर्ण सर्वसुलभ शिक्षा देने के लिए एक डिजिटल विश्वविद्यालय स्थापित करने, गिफ्ट सिटी में विश्वस्तरीय विदेशी विश्वविद्यालय स्थापित करने तथा वर्चुअल प्रयोगशालाओं एवं डिजिटल सामग्रियां तैयार करने की भी घोषणा की।
सीतारमण ने कहा कि डिजिटल इकोसिस्टम फॉर स्किलिंग एण्ड लाइवलीहुड- द डीईएसएच- स्टेक ई-पोर्टल शुरू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस पोर्टल का उद्देश्य नागरिकों को इस प्रकार सशक्त बनाना है कि वे ऑनलाइन प्रशिक्षण के माध्यम से अपने कौशल का विकास कर सकें।
उन्होंने कहा कि इसके तहत एपीआई आधारित विश्वसनीय कौशल मान्यता प्रदान की जाएगी और उसी के अनुसार भुगतान भी किया जाएगा जिससे नागरिक रोजगार और उद्यमिता परक अवसर का लाभ प्राप्त कर सकें।
सीतारमण ने कहा, ‘‘ विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों के माध्यम से ‘ड्रोन शक्ति’ की सुविधा प्रदान करने और ड्रोन-एएस-ए-सर्विस (डीआरएएएस) के लिए स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जाएगा। सभी राज्यों के चुनिंदा आईटीआई संस्थानों में कौशल विकास के लिए अपेक्षित पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे।’’
उन्होंने बताया कि देशभर के विद्यार्थियों को उनके द्वार पर व्यक्तिगत तौर पर पहुंच के साथ विश्वस्तरीय गुणवत्तापूर्ण सर्वसुलभ शिक्षा देने के लिए एक डिजिटल विश्वविद्यालय स्थापित किया जायेगा ।
सीतारमण ने कहा कि इस महामारी से बाध्य होकर स्कूलों को बंद किये जाने के कारण बच्चे विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों और अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गो से आने वालों को लगभग दो वर्ष तक औपचारिक शिक्षा से वंचित होना पड़ा है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘ इनमें से अधिकतकर बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। हम अनुपूरक शिक्षा दिये जाने और शिक्षा के लिये आगे बढ़ने वाला तंत्र स्थापित करने की जरूरत को स्वीकार करते हैं ।’’
वित्त वर्ष 2022-23 में स्कूली शिक्षा के लिये आवंटन 63,449.37 करोड़ रूपये रखा गया है जो वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में करीब 9,000 करोड़ रूपये अधिक है।
समग्र शिक्षा अभियान के लिये 37,383.36 करोड़ रूपये आवंटित किया गया है जो पिछले वर्ष के बजट के आवंटन की तुलना में 6000 करोड़ रूपये अधिक है।
केंद्रीय विद्यालय के लिये 7,650 करोड़ रूपये और जवाहर नवोदय विद्यालयों के लिये 4,115 करोड़ रूपये आवंटित किया गया है।
वित्त वर्ष 2022-23 में शिक्षा मंत्रालय के तहत उच्च शिक्षा विभाग को 40,828 करोड़ रूपये आवंटित किया गया है जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 6.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
सीतारमण ने कहा कि इस उद्देश्य से पीएम ई विद्या के ‘एक कक्षा एक टीवी चैनल’ कार्यक्रम को 12 टीवी चैनलों से बढ़ाकर 200 टीवी चैनल तक किया जायेगा ।
उन्होंने कहा कि इससे सभी राज्य 1-12 तक की कक्षा के छात्रों के लिये अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में अनुपूरक शिक्षा प्रदान कर सकेंगे ।
उन्होंने कहा कि व्यावसायिक पाठ्यक्रम के तहत अत्यंत महत्वपूर्ण चिंतन कौशल को बढ़ावा देने और रचनात्मकता को स्थान देने के लिये वर्ष 2022-23 में विज्ञान एवं गणित में 750 वर्चुअल प्रयोगशालाओं और समकालिक शिक्षण परिवेश के लिये 75 कौशल ई-प्रयोगशालाएं स्थापित की जायेंगी।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि इंटरनेट, मोबाइल, फोन, टीवी, रेडियो पर डिजिटल शिक्षकों के माध्यम से वहां बोली जाने वाली भाषा में उच्च गुणवत्ताप्रद ई-सामग्रियां तैयार की जायेंगी।
उन्होंने बताया कि अध्यापकों को गुणवत्ताप्रद ई-सामग्री तैयार करने में पठन-पाठन के डिजिटल उपकरणों से सशक्त बनाने और सुसज्जित करने तथा बेहतर शिक्षण परिणाम प्राप्त करने के लिए एक प्रतिस्पर्धापरक तंत्र की स्थापना की जाएगी।
शहरी योजना डिजाइन में भारत केंद्रित ज्ञान विकसित करने का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) अन्य संस्थाओं में शहरी योजना से संबंधित पाठ्यक्रमों में सुधार लाने, गुणवत्ता बढ़ाने और पहुंच कायम करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा।
भाषा दीपक दीपक माधव
माधव
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