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Monday, 25 November, 2024
होमदेशलेखक विनोद कुमार शुक्ल का प्रकाशकों पर रॉयल्टी कम देने का आरोप, पब्लिशर ने कहा- उनसे बात करेंगे

लेखक विनोद कुमार शुक्ल का प्रकाशकों पर रॉयल्टी कम देने का आरोप, पब्लिशर ने कहा- उनसे बात करेंगे

रायपुर के 86 वर्षीय लेखक का एक स्थानीय चैनल द्वारा लिया गया एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी पोस्ट किया जा रहा है.

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नई दिल्ली: प्रख्यात हिंदी लेखक-कवि विनोद कुमार शुक्ल ने बुधवार को अपने प्रकाशकों पर उन्हें वर्षों तक कम भुगतान करने का आरोप लगाया. वहीं पब्लिशर्स ने उनकी बात नकारा है, और उनसे मिलकर बात करने और मसले का समाधान करने की बात कही है.

शुक्ल की कविताएं, कहानियां और उपन्यास वर्षों से हिंदी पाठ्यक्रम का हिस्सा रहे हैं.

रायपुर के 86 वर्षीय लेखक का एक स्थानीय चैनल द्वारा लिया गया एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी पोस्ट किया जा रहा है, जिसमें शुक्ल वाणी प्रकाशन और राजकमल प्रकाशन जैसे हिंदी प्रकाशन समूहों से उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ सहित लोकप्रिय पुस्तकों से प्राप्त रॉयल्टी के बारे में बात करते हुए दिखाई दे रहे हैं.

शुक्ल ने आरोप लगाया कि जहां वाणी ने उन्हें पिछले 25 वर्षों में केवल 1.35 लाख रुपये का भुगतान किया है, वहीं राजकमल उन्हें छह पुस्तकों के लिए सालाना लगभग 14 हजार रुपये का भुगतान करते हैं.

इस बीच राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक कुमार माहेश्वरी ने एक बयान में कहा कि प्रकाशन ने शुक्ल के साथ बैठक के जरिए मुद्दों को सुलझाने का वादा किया है.

बयान में कहा गया है, ‘विनोद जी हमारे लेखक परिवार में एक सम्मानित और बड़े हैं. उनकी इच्छाओं का सम्मान करना हमारे लिए सर्वोपरि है. उनकी इच्छा हमारी आज्ञा है. वह अचानक हमारे साथ असहज क्यों महसूस करने लगे, यह जानने के लिए कि हम उनसे मिलेंगे और बात करेंगे और भविष्य में हम उनकी बात का पालन करेंगे.’

जब इस संबंध में टिप्पणी के लिए वाणी प्रकाशन से संपर्क किया गया, तो उनकी ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

शुक्ल के लेखन के कई प्रशंसकों में से एक लेखक-अभिनेता मानव कौल उनसे हाल में रायपुर में एक वृत्तचित्र की शूटिंग के दौरान मिले थे और इस मुद्दे को उजागर करने वाले वह पहले व्यक्ति थे.

अपने पिता की ओर से ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए, शुक्ल के बेटे शाश्वत गोपाल शुक्ल ने कहा कि उन्हें कम रॉयल्टी दिये जाने के बारे में तब पता चला जब उनके पिता कौल से मिले. कौल के इंस्टाग्राम पर पोस्ट के बाद, उनके कई छात्रों और युवा लेखकों ने अपने संदेहों की पुष्टि की है.

शाश्वत ने फोन पर कहा, ‘लगभग एक सप्ताह पहले मानव कौल जी पिता से मिलने रायपुर आए थे और यहां कुछ समय बिताया था. उन्होंने बातचीत के दौरान रॉयल्टी के बारे में पूछा. पिता ने कहा कि उन्हें औसतन उनकी तीन पुस्तकों के लिए वाणी प्रकाशन से लगभग 6,000 रुपये मिलते हैं. यदि आप पिछले 25 वर्षों में प्राप्त रॉयल्टी का औसत रखते हैं, तो यह लगभग 5,500 रुपये प्रतिवर्ष आता है. राजकमल ने औसतन, छह पुस्तकों के लिए प्रतिवर्ष 14 हजार रुपये का भुगतान किया है.’

उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता चार-पांच साल से उनसे अनुरोध कर रहे हैं कि उनकी कुछ किताबें प्रकाशित न करें क्योंकि उनमें ‘प्रूफ’ संबंधी गलतियां हैं लेकिन कोई जवाब नहीं था. वे नए संस्करण भी निकालते रहते हैं.’

यह पूछे जाने पर कि विवाद सामने के बाद क्या कोई प्रकाशक उनके पिता के पास पहुंचा, शाश्वत ने कहा कि उन्हें वाणी से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है, लेकिन अशोक माहेश्वरी ने उन्हें यह कहते हुए संदेश भेजा था कि वह इस महीने के अंत तक रायपुर में लेखक से मिलेंगे.

कौल ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में इस मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए लेखक के साथ तस्वीरें भी पोस्ट की थीं.


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पब्लिशर्स का जवाब- ‘हम मिलकर उनसे बात करेंगे’

वहीं राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक ने अशोक कुमार माहेश्वरी ने शुक्ल का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जवाब दिया है. राजकमल प्रकाशन जवाब दिप्रिंट के पास भी है. प्रकाशक ने कहा कि, ‘विनोद कुमार शुक्ल जी राजकमल प्रकाशन के सम्मानित लेखक हैं. उनका विश्वास हमारे प्रति रहा है. हम उनकी हर बात मानते आए हैं. उन्होंने हमें कभी ऐसा कोई पत्र नहीं भेजा, जिसमें अपनी कोई किताब वापस लेने की बात की हो. फोन पर भी कभी ऐसी कोई बात नहीं की. उन्होंने अपने इकलौते कहानी संग्रह ‘महाविद्यालय’ के प्रकाशन का अनुबंध पिछले साल जून में हमसे किया और उसके जल्द प्रकाशन का आग्रह भी करते रहे. जो पिछले सप्ताह प्रकाशित होकर प्रेस से आया है. ‘महाविद्यालय’ के छपने से पहले और उसके बाद भी उसके कवर और प्रोडक्शन के बारे में विनोद जी और उनके सुपुत्र शाश्वत गोपाल शुक्ल की सराहना ही मिली है’

‘मेरे कार्यकाल में प्रकाशित इस किताब से पहले, विनोद जी को लगभग सभी किताबों के लिए एडवांस रॉयल्टी जाती रही है. यह पहली बार हुआ जब उन्होंने ‘महाविद्यालय’ के लिए एडवांस रॉयल्टी की बात नहीं की. हमने इसे उनके विश्वास के रूप में देखा. अविश्वास की बात पहली बार सोशल मीडिया के माध्यम से आई है.’

प्रकाशक ने कहा, ‘विनोद जी की किताबें हिंदी में राजकमल प्रकाशन के अलावा आधार प्रकाशन और वाणी प्रकाशन से छपी हैं। आधार से उनकी कुल पाँच किताबें थीं, जिनमें से एक ‘महाविद्यालय’ (कहानी संग्रह) को विनोद जी ने जून, 2021 में राजकमल को दिया, यह मार्च, 2022 में छपी है.’

उन्होंने कहा, ‘नौकर की कमीज’ का पेपरबैक संस्करण राजकमल से छपा है. पिछले 10 वर्षों में इसके कुल पाँच संस्करण प्रकाशित हैं. हर संस्करण 1100 (ग्यारह सौ) प्रतियों का रहा है. जिसका ब्योरा नियमित रूप से रॉयल्टी स्टेटमेंट में जाता रहा है. इसका ई-बुक भी राजकमल ने किंडल पर जारी किया हुआ है, जिसकी रॉयल्टी विनोद जी को जाती रही है.’

माहेश्वरी ने कहा, ‘हम हमेशा कहते रहे हैं कि कोई भी लेखक हमारे यहां से प्रकाशित अपनी किताब का स्टॉक कभी भी चेक कर सकता है. जब चाहे, किताब की पूरी बिक्री का लेखाजोखा जांच सकता है.’
‘विनोद जी हमारे लेखक परिवार के बुजुर्ग और प्रतिष्ठित सदस्य हैं. उनकी इच्छा का सम्मान हमारे लिए हमेशा सर्वोपरि है. वे जो चाहते हैं, हम वही करेंगे. हमारी तरफ से वे बंधन और परेशानी जैसी स्थिति एकाएक क्यों महसूस करने लगे, यह जानने के लिए हम उनसे मिलकर बात करेंगे. आगे वे जैसा कहेंगे, वही होगा.’
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