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Monday, 7 October, 2024
होमदेशप्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल ने प्रकाशकों पर रॉयल्टी के रूप में कम भुगतान करने का आरोप लगाया

प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल ने प्रकाशकों पर रॉयल्टी के रूप में कम भुगतान करने का आरोप लगाया

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नयी दिल्ली, नौ मार्च (भाषा) प्रख्यात हिंदी लेखक-कवि विनोद कुमार शुक्ल ने बुधवार को अपने प्रकाशकों पर उन्हें वर्षों तक कम भुगतान करने का आरोप लगाया।

शुक्ल की कविताएं, कहानियां और उपन्यास वर्षों से हिंदी पाठ्यक्रम का हिस्सा रहे हैं।

रायपुर के 86 वर्षीय लेखक का एक स्थानीय चैनल द्वारा लिया गया एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी पोस्ट किया जा रहा है, जिसमें शुक्ल वाणी प्रकाशन और राजकमल प्रकाशन जैसे हिंदी प्रकाशन समूहों से उनके उपन्यास ‘‘नौकर की कमीज’’ और ‘‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’’ सहित लोकप्रिय पुस्तकों से प्राप्त रॉयल्टी के बारे में बात करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

शुक्ल ने आरोप लगाया कि जहां वाणी ने उन्हें पिछले 25 वर्ष में केवल 1.35 लाख रुपये का भुगतान किया है, वहीं राजकमल उन्हें छह पुस्तकों के लिए वार्षिक लगभग 14 हजार रुपये का भुगतान करते हैं।

इस बीच राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक कुमार माहेश्वरी ने एक बयान में कहा कि प्रकाशन ने शुक्ल के साथ बैठक के जरिए मुद्दों को सुलझाने का वादा किया है।

हालांकि, माहेश्वरी ने इस बात से इनकार किया कि उनकी ओर से लेखक के साथ कोई गलतफहमी थी।

बयान में कहा गया है, ‘‘विनोद कुमार शुक्ल जी हिन्दी के एक सम्मानित लेखक हैं। उन्होंने हमेशा हम पर भरोसा किया है और हमने हमेशा उनका सम्मान किया है। ऐसा कोई मामला नहीं है जहां हमने उनके पत्रों या उनकी कॉलों का जवाब नहीं दिया हो। उन्होंने हमें कभी कोई पत्र नहीं भेजा जिसमें उन्होंने हमें अपनी कोई भी पुस्तक प्रकाशित न करने के लिए कहा। पिछले साल जून में उनकी लघु कथाओं का एकमात्र संग्रह ‘महाविद्यालय’ प्रकाशित करने के लिए हमारा उनके साथ एक अनुबंध था … यह पिछले सप्ताह प्रकाशित हुआ था।’’

राजकमल प्रकाशन ने बयान में कहा, ‘‘इस पुस्तक से पहले, हमने हमेशा विनोद कुमार शुक्ल जी को अग्रिम रायल्टी भेजी है। यह पहली बार था कि उन्होंने ‘महाविद्यालय’ के लिए अग्रिम रॉयल्टी नहीं मांगी और हमने इसे उनके विश्वास के रूप में देखा। यह पहली बार है कि हम सोशल मीडिया के माध्यम से अविश्वास के मुद्दे के बारे में सुन रहे हैं।’’

बार-बार कॉल और मैसेज करने के बावजूद वाणी की ओर से कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं मिली।

शुक्ल के लेखन के कई प्रशंसकों में से एक लेखक-अभिनेता मानव कौल उनसे हाल में रायपुर में एक वृत्तचित्र की शूटिंग के दौरान मिले थे और इस मुद्दे को उजागर करने वाले वह पहले व्यक्ति थे।

अपने पिता की ओर से ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए, शुक्ल के बेटे शाश्वत गोपाल शुक्ल ने कहा कि उन्हें कम रॉयल्टी दिये जाने के बारे में तब पता चला जब उनके पिता कौल से मिले। कौल के इंस्टाग्राम पर पोस्ट के बाद, उनके कई छात्रों और युवा लेखकों ने अपने संदेहों की पुष्टि की है।

शाश्वत ने फोन पर कहा, ‘‘लगभग एक सप्ताह पहले मानव कौल जी पिता से मिलने रायपुर आए थे और यहां कुछ समय बिताया था। उन्होंने बातचीत के दौरान रॉयल्टी के बारे में पूछा। पिता ने कहा कि उन्हें औसतन उनकी तीन पुस्तकों के लिए वाणी प्रकाशन से लगभग 6,000 रुपये मिलते हैं। यदि आप पिछले 25 वर्षों में प्राप्त रॉयल्टी का औसत रखते हैं, तो यह लगभग 5,500 रुपये प्रतिवर्ष आता है। राजकमल ने औसतन, छह पुस्तकों के लिए प्रतिवर्ष 14 हजार रुपये का भुगतान किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता चार-पांच साल से उनसे अनुरोध कर रहे हैं कि उनकी कुछ किताबें प्रकाशित न करें क्योंकि उनमें ‘प्रूफ’ संबंधी गलतियां हैं लेकिन कोई जवाब नहीं था। वे नए संस्करण भी निकालते रहते हैं।’’

यह पूछे जाने पर कि विवाद सामने के बाद क्या कोई प्रकाशक उनके पिता के पास पहुंचा, शाश्वत ने कहा कि उन्हें वाणी से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है, लेकिन अशोक माहेश्वरी ने उन्हें यह कहते हुए संदेश भेजा था कि वह इस महीने के अंत तक रायपुर में लेखक से मिलेंगे।

कौल ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में इस मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए लेखक के साथ तस्वीरें भी पोस्ट की थीं।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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