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रविवार, 11 मई, 2025
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एल्गार मामला: नवलखा ने दिल्ली में स्थायी रूप से रहने की अदालत से अनुमति मांगी

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मुंबई, 29 अप्रैल (भाषा) एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने यह कहते हुए विशेष अदालत से दिल्ली में स्थायी रूप से रहने की अनुमति मांगी है कि उन्हें मुंबई में ‘‘स्थिर जीवनशैली बनाए रखना बेहद मुश्किल’’ लग रहा है।

नवलखा ने कहा कि वह शहर में अपनी बुनियादी जरूरतों, यथा- भोजन और घर के किराये, को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, क्योंकि वह ‘बेरोजगार हैं और आर्थिक रूप से दोस्तों एवं परिवार पर निर्भर’’ हैं।

दिल्ली के स्थायी निवासी 72-वर्षीय नवलखा को अप्रैल 2020 में इस मामले में गिरफ्तार किया गया था।

उच्चतम न्यायालय ने उन्हें मई 2024 में जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। उनकी जमानत की एक शर्त थी- ‘‘राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत की अनुमति के बिना मुंबई छोड़ना’’।

हाल ही में अधिवक्ता वहाब खान के जरिये दायर अपनी अर्जी में नवलखा ने अदालत से उसके क्षेत्राधिकार से बाहर दिल्ली में स्थायी रूप से रहने की अनुमति मांगी है।

अर्जी में कहा गया है, ‘‘जमानत पर रिहा होने के बाद, वह अपने साथी के साथ मुंबई में किराये पर रह रहे हैं। समय के साथ, उनके लिए बढ़ते वित्तीय बोझ से निपटना अलाभकारी और मुश्किल हो गया है।’’

याचिका में कहा गया है कि आरोपी ‘‘घर का किराया, खान-पान, यात्रा आदि जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, क्योंकि वे दोनों अपनी बचत से गुजारा कर रहे हैं।’’

अर्जी के अनुसार, याचिकाकर्ता-आरोपी और उसके साथी को अदालत में लंबित मामले के कारण लगभग चार महीने तक मुंबई में आवास खोजने के लिए संघर्ष करना पड़ा।

नवलखा ने कहा कि जब अदालत ने उन्हें दो महीने के लिए दिल्ली जाने की अनुमति दी थी, तब उन्होंने उन पर लगाई गई सभी शर्तों का पूरी शिद्दत से पालन किया था।

याचिका में कहा गया है कि गिरफ्तारी से पहले, नवलखा दिल्ली में एक प्रतिष्ठित पत्रकार थे।

याचिका के अनुसार, ‘‘मुंबई में रहने के दौरान, याचिकाकर्ता-आरोपी बेरोजगार रहा है और आर्थिक रूप से दोस्तों और परिवार पर निर्भर रहा है। समय के साथ, उसके लिए मुंबई में एक स्थिर जीवन शैली को कायम रखना बेहद मुश्किल हो गया है।’’

नवलखा का दावा है कि दिल्ली में रहते हुए वह अपने परिवार और सहकर्मियों से फिर से जुड़ पाएंगे, जो उन्हें अपना रोजगार फिर से स्थापित करने में मदद कर सकते हैं।

नवलखा ने एक अन्य कारण भी दिया है, जिसमें ‘लंबे समय से लंबित मुकदमे का सामना करना प्रमुख है’’, जिसके लिए वित्त की आवश्यकता है और इसके लिए रोजगार एवं आर्थिक रूप से स्थिर होना महत्वपूर्ण था।

मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश चकोर भाविस्कर ने नवलखा की याचिका पर एनआईए से जवाब तलब किया है।

यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि अगले दिन पुणे के बाहरी इलाके में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई।

इस मामले में कुल सोलह कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है।

भाषा

सुरेश माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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