नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) महाराष्ट्र में पिछले साल हुये विधानसभा चुनाव में धांधली के दावों को खारिज करते हुए निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने शनिवार को कहा कि मतदाताओं से अनुकूल चुनाव परिणाम नहीं मिलने के बाद चुनाव निकाय को बदनाम करना पूरी तरह बेतुका काम है।
चुनाव आयोग के सूत्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के लिखे उस लेख पर जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र राज्य विधानसभा चुनाव में ‘मैच फिक्सिंग’ का आरोप लगाया है।
सूत्रों ने कहा कि किसी के द्वारा प्रसारित कोई भी गलत सूचना चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों की बदनामी तथा चुनाव कर्मचारियों का मनोबल तोड़ने वाला होता है, जो इस बड़ी कवायद के लिए अथक परिश्रम करते हैं।
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र की मतदाता सूची को लेकर लगाए गए निराधार आरोप कानून के शासन का अनादर है।
इस बात को रेखांकित करते हुए कि ‘मैच फिक्स’ चुनाव किसी भी लोकतंत्र के लिए ‘जहर’ है, गांधी ने लिखा कि जो पक्ष धोखा देता है वह खेल जीत सकता है, लेकिन वह संस्थानों को नुकसान पहुंचाता है और जनता के भरोसे को तोड़ता है।
कांग्रेस नेता ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कथित चुनावी अनियमितताओं को चरणबद्ध तरीके से रेखांकित किया जिसमें फर्जी मतदाताओं को जोड़ने, मतदान प्रतिशत को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जाने, फर्जी मतदान की सुविधा प्रदान करने और बाद में सबूत छिपाए जाने के आरोप शामिल हैं।
लेकिन इन दावों को खारिज करते हुए सूत्रों ने रेखांकित किया कि महाराष्ट्र चुनाव में सुबह सात बजे से शाम छह बजे के बीच मतदान केंद्रों पर पहुंचे 6,40,87,588 (6.4 करोड़ से अधिक) मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि औसतन हर घंटे लगभग 58 लाख वोट डाले गए।
सूत्रों ने कहा कि औसत रुझान के अनुसार, हो सकता है कि अंतिम दो घंटों में लगभग 1.16 करोड़ मतदाताओं ने मतदान किया हो।
निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘इसलिए दो घंटे में मतदाताओं द्वारा 65 लाख वोट डालना औसत प्रति घंटे मतदान के रुख से बहुत कम है।’’
सूत्रों ने बताया कि मतदान प्रत्येक मतदान केंद्र पर उम्मीदवारों या राजनीतिक दलों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्त किए गए मतदान एजेंटों की मौजूदगी में हुआ।
उन्होंने बताया कि कांग्रेस उम्मीदवारों या उनके अधिकृत एजेंटों ने अगले दिन रिटर्निंग अधिकारियों और चुनाव पर्यवेक्षकों के समक्ष जांच के समय किसी भी तरह के असामान्य मतदान के बारे में ‘कोई पुख्ता आरोप’ नहीं लगाया था।
चुनावी आंकड़ों में कथित हेराफेरी के मुद्दे पर सूत्रों ने कहा कि महाराष्ट्र सहित भारत भर में मतदाता सूचियां जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार तैयार की जाती हैं।
कानून के अनुसार, चुनाव से ठीक पहले या हर साल एक बार मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन किया जाता है और इसकी अंतिम प्रति सभी राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों को सौंप दी जाती है।
महाराष्ट्र चुनाव के लिए मतदाता सूची को अंतिम रूप देने के बाद, 9,77,90,752 (9.77 करोड़ से अधिक) मतदाताओं के मुकाबले, प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (संबंधित जिलाधिकारी) के समक्ष केवल 89 अपीलें दायर की गईं और द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी (राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी) के समक्ष केवल एक अपील दायर की गई।
निर्वाचन आयोग के पदाधिकारी ने कहा, ‘‘इसलिए यह पूरी तरह स्पष्ट है कि 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कराने से पहले कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल को कोई शिकायत नहीं थी।’’
भाषा संतोष रंजन
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