नई दिल्ली : भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में विपक्षी दलों के गठबंधन के संक्षिप्त नाम इंडिया के इस्तेमाल के खिलाफ एक याचिका का जवाब देते हुए कहा कि वह राजनीतिक गठबंधनों को विनियमित नहीं कर सकता है.
ईसीआई ने कहा, “उत्तर देने वाले प्रतिवादी (ईसीआई) का गठन भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत संसद, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यालयों के सभी चुनावों के संचालन के निरीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण के लिए किया जाता है.”
उसके अधिकार का इस्तेमाल संसद द्वारा पारित कानून के अनुसार किया जाना है, हालांकि उत्तर देने वाले प्रतिवादी के पास किसी भी कानून की गैरमौजूदगी में चुनाव से संबंधित मामलों को रेग्युलेट करने का अधिकार है.
ईसीआई ने आगे कहा, “उत्तर देने वाले प्रतिवादी को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (“आरपी अधिनियम”) की धारा 29ए के संदर्भ में किसी राजनीतिक दल के निकायों या व्यक्तियों के एसोसिएशन को रजिस्टर करने का अधिकार दिया गया है.”
विशेष रूप से, राजनीतिक गठबंधनों को आरपी अधिनियम या संविधान के तहत रेग्युलट संस्थाओं के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है.
इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर केंद्र, ईसीआई और कई विपक्षी राजनीतिक दलों से जवाब मांगा था, जिसमें विपक्षी राजनीतिक दलों को उनके गठबंधन के लिए संक्षिप्त नाम इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के इस्तेमाल पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
न्यायमूर्ति सतीश चंदर शर्मा और न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने गृह मंत्रालय (एमएचए), सूचना और प्रसारण मंत्रालय और भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के माध्यम से केंद्र सरकार से जवाब मांगा था और मामले को 31 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था.
हालांकि, इस मामले में, अदालत ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, टीएमसी, आरएलडी, जेडीयू, समाजवादी पार्टी, डीएमके, आम आदमी पार्टी, जेएमएम, एनसीपी, शिवसेना (यूबीटी), राजद, अपना दल (कामेरावाड़ी), पीडीपी, जेकेएनसी, सीपीआई, सीपीआई (एम), एमडीएमके, कोंगनाडु मक्कल देसिया काची (केएमडीके), विदुथलाई चिरुथिगल काची, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, केरल कांग्रेस (जोसेफ), केरल कांग्रेस (मणि) और मनिथानेया मक्कल काची (एमएमके) समेत याचिका पर नामित विपक्षी दलों से भी जवाब मांगा था.
याचिकाकर्ता गिरीश उपाध्याय ने अधिवक्ता वैभव सिंह के माध्यम से कहा कि कई राजनीतिक दल अपने गठबंधन के लोगो के तौर पर राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो भोलेभाले नागरिकों की सहानुभूति पाने और वोटों हासिल करने का एक रणनीतिक कदम है और एक उकसाने या चिंगारी देने के उपकरण के तौर पर है, जिससे इससे राजनीतिक नफरत पैदा हो सकती है जो अंततः राजनीतिक हिंसा को जन्म देगी.
याचिकाकर्ता ने कहा कि इंडिया इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस का संक्षिप्त रूप है, जो अगले साल के चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए 26 दलों के नेताओं द्वारा घोषित एक विपक्षी मोर्चा है.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि राजनीतिक दल दुर्भावनापूर्ण इरादे से संक्षिप्त नाम इंडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं जो न केवल हमारे देश में बल्कि विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्मों पर भी हमारे महान राष्ट्र यानी भारत की सद्भावना को कम करने के फैक्टर के रूप में काम करेगा.
याचिका में कहा गया है कि हालांकि भारत शब्द का इस्तेमाल भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया द्वारा एक संक्षिप्त शब्द के रूप में किया जाता है, लेकिन इसके पूर्ण रूप (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) में नहीं किया जाता है, तो इससे भोलभाले नागरिकों के बीच भ्रम की भावना पैदा होगी, अगर गठबंधन यानी इंडिया 2024 के आम चुनाव में हार जाता है तो इसे इस तरह पेश किया जाएगा कि समग्र रूप से भारत हार गया है, जिससे देश के भोलभाले नागरिकों की भावना फिर से आहत होगी, इससे देश में राजनीतिक हिंसा हो सकती है.
याचिका में कहा गया है कि इन राजनीतिक दलों का काम आगामी 2024 के आम चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष मतदान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिससे नागरिकों को बेवजह हिंसा का सामना करना पड़ सकता है और देश की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है.
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