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Saturday, 16 November, 2024
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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सिखों के लिए आठ सीटें आरक्षित होनी चाहिए: एपीएससीसी

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श्रीनगर, 17 फरवरी (भाषा) परिसीमन आयोग के मसौदा प्रस्ताव पर अपना विरोध व्यक्त करते हुए, सर्वदलीय सिख समन्वय समिति (एपीएससीसी) ने बृहस्पतिवार को मांग की कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कम से कम आठ सीटें सिख समुदाय के लिए आरक्षित की जानी चाहिए।

एपीएससीसी के अध्यक्ष जगमोहन सिंह रैना ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘अगर जम्मू कश्मीर विधानसभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 16 सीटें आरक्षित की जा सकती हैं, तो केंद्र शासित प्रदेश के सिखों के लिए कोई सीट आरक्षित क्यों नहीं की जा सकती?’’

रैना ने दावा किया कि सिख समुदाय के लिए कम से कम आठ सीटें आरक्षित की जा सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू और कश्मीर में कई सिख बहुल निर्वाचन क्षेत्र हैं। इनमें कश्मीर क्षेत्र में बटमालू, बारामूला और त्राल, जम्मू क्षेत्र में गांधी नगर, आर. एस. पुरा, सुचेतगढ़, नौशेरा और विजयपुर शामिल हैं। इन सीटों को सिखों के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए ताकि वे यह महसूस कर सकें कि उन्हें सही मायने में सशक्त बनाया गया है।’’

एपीएससीसी अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि परिसीमन आयोग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा निर्धारित एजेंडे पर काम कर रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि इससे पहले नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) ने अपने वोट बैंक के हिसाब से निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण किया था।

रैना ने कहा, ‘‘क्योंकि परिसीमन आयोग की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश करते हैं, इसलिए हमें बहुत उम्मीद थी कि इस बार न्याय होगा। आरक्षण नहीं होने का मतलब यह है कि सत्ता में बैठे लोग चाहते हैं कि समुदाय के सदस्यों को अपना प्रतिनिधि चुनने का कोई मौका न दिया जाए। पारंपरिक राजनीतिक दल अपने निहित स्वार्थों के अनुसार राजनीति कर रहे हैं और वे सामान्य लोगों और विशेष रूप से समुदाय के सदस्यों की परवाह नहीं करते हैं।’’

एपीएससीसी अध्यक्ष ने कहा कि प्रद्युम्न सिंह आजाद, एच. एस. बाली, सुरिंदर सिंह और हरबंस सिंह आजाद जैसे सिख नेताओं ने पूर्व में गांधी नगर, तंगमार्ग और बारामूला से विधानसभा चुनाव जीता था।

उन्होंने कहा कि यह आयोग की जिम्मेदारी है कि वह सिखों सहित सभी समुदायों की भावनाओं और आकांक्षाओं को पूरा करे। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि मसौदा रिपोर्ट में आवश्यक सुधार किए जाएं ताकि यह पूरी कवायद सार्थक हो सके।

भाषा

देवेंद्र नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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