नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत में 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान ‘लोकतंत्र को कुचलने’ का प्रयास किया गया था।
उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसा कोई और उदाहरण खोजना मुश्किल है, जहां लोगों ने लोकतांत्रिक तरीकों से ‘तानाशाही मानसिकता’ को हराया।
रेडियो पर प्रसारित अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को भी सराहा। उन्होंने ‘इन-स्पेस’ की स्थापना का जिक्र किया, जो अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों के लिए अवसरों को बढ़ावा दे रहा है।
आपातकाल की 47वीं बरसी के एक दिन बाद उसके बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि उस दौरान जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता सहित सभी अधिकार छीन लिए गए थे तथा न्यायपालिका व मीडिया समेत सभी संस्थाओं पर शिकंजा कस दिया गया था।
देश में 25 जून 1975 को आपातकाल लागू करने की घोषणा की गई थी, जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। 21 मार्च 1977 को आपातकाल हटा लिया गया था।
मोदी ने कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा, “आपातकाल के दौरान सभी अधिकार छीन लिए गए थे। इन अधिकारों में संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार भी शामिल था। उस समय भारत में लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास किया गया था। देश की अदालतों, सभी संवैधानिक संस्थाओं, प्रेस, सबको नियंत्रण में ले लिया गया था।”
उन्होंने कहा कि सेंसरशिप इतनी सख्त थी कि बिना मंजूरी के कुछ भी प्रकाशित नहीं किया जा सकता था।
प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे याद है, जब प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार जी ने सरकार की तारीफ करने से इनकार कर दिया था, तब उन्हें प्रतिबंधित कर दिया गया था, रेडियो पर उनके गाने बजने बंद हो गए थे ।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि कई प्रयासों, हजारों गिरफ्तारियों और लाखों लोगों पर अत्याचार के बावजूद लोकतंत्र में भारतीयों का विश्वास नहीं डगमगाया।
मोदी ने कहा, “सदियों से हमारे भीतर बसे लोकतांत्रिक मूल्यों, हमारी रगों में बहने वाली लोकतंत्र की भावना की आखिरकार जीत हुई।”
उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने लोकतांत्रिक तरीकों से आपातकाल से छुटकारा पाया और लोकतंत्र को बहाल कराया।
प्रधानमंत्री ने कहा, “लोकतांत्रिक तरीकों से तानाशाही मानसिकता को हराने का दुनिया में ऐसा उदाहरण मिलना मुश्किल है।”
उन्होंने कहा, “आपातकाल के दौरान मुझे भी देशवासियों के संघर्ष का साक्षी बनने और उसमें योगदान देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज जब देश अपनी आजादी के 75 वर्षों का जश्न मना रहा है, तब हमें आपातकाल के काले दौर को नहीं भूलना चाहिए। आने वाली पीढ़ियां भी इसे न भूलें।”
अंतरिक्ष क्षेत्र में जारी कार्यों के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि स्टार्ट-अप की संख्या अब सौ से अधिक हो गई है।
उन्होंने कहा, “ये सभी स्टार्ट-अप उन विचारों पर काम कर रहे हैं, जिनके बारे में या तो पहले कभी सोचा नहीं गया था या फिर जिन्हें निजी क्षेत्र के लिए असंभव माना जाता था।”
मोदी ने कहा कि अग्निकुल और स्काईरूट जैसी कंपनियां प्रक्षेपण वाहन विकसित कर रही हैं, जो अंतरिक्ष में छोटे उपकरण ले जाएंगी। उन्होंने अन्य उदाहरण भी दिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नए विचारों पर काम करने वाले इनमें से कई छात्र देश के छोटे शहरों से ताल्लुक रखते हैं।
खिलाड़ियों की हालिया उपलब्धियों के लिए उनकी तारीफ करते हुए मोदी ने कहा कि नीरज चोपड़ा ने कुओर्टाने खेलों में खराब मौसम परिस्थितियों में भी स्वर्ण पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया।
उन्होंने कहा, ”यह जोश आज के युवाओं की पहचान है। स्टार्ट-अप से लेकर खेल जगत तक भारत के युवा नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। हाल ही में हुए खेलो इंडिया युवा खेलों में भी हमारे खिलाड़ियों ने कई कीर्तिमान स्थापित किए। आपको यह जानकर अच्छा लगेगा कि इन खेलों में कुल 12 रिकॉर्ड तोड़े गए। इतना ही नहीं, महिला खिलाड़ियों के खाते में 11 रिकॉर्ड दर्ज हुए।”
मोदी ने कहा, “खेलो इंडिया युवा खेलों की एक और खास बात बहुत-सी ऐसी प्रतिभाओं का उभरना रहा है, जो बेहद साधारण परिवार से आते हैं। इन खिलाड़ियों ने सफलता के इस मुकाम तक पहुंचने के लिए अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है। उनकी सफलता में उनके परिवार और माता-पिता की भी बड़ी भूमिका रही है।”
उन्होंने कहा, “श्रीनगर के आदिल अल्ताफ, जिन्होंने 70 किलोमीटर की साइक्लिंग स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता, उनके पिता सिलाई का काम करते हैं और उन्होंने अपने बेटे के सपनों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, जबकि एक अन्य खिलाड़ी एल धनुष के पिता चेन्नई में बढ़ई हैं।” प्रधानमंत्री ने कुछ अन्य उदाहरण भी दिए।
उन्होंने आइजोल में चित्ते लुई नदी को साफ करने और पुडुचेरी के समुद्री तट से कचरा हटाने के लिए शुरू की गई ‘अपशिष्ट से धन’ की भी सराहना की।
मोदी ने कहा, “अगर हमारा पर्यावरण स्वच्छ है, हमारे पहाड़ और नदियां, हमारे समुद्र स्वच्छ रहते हैं तो हमारा स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। आपको मुझे ऐसे प्रयासों के बारे में लिखते रहना चाहिए।”
उन्होंने देशभर में मानसून के आगमन का जिक्र करते हुए जल संरक्षण की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
भाषा पारुल नरेश
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