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मंगलवार, 24 जून, 2025
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हिंसा प्रभावित मणिपुर से पश्चिम बंगाल के लोगों को निकालने के लिए प्रयास जारी: ममता

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(फाइल तस्वीर के साथ)

कोलकाता, छह मई (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को कहा कि हिंसा प्रभावित मणिपुर में फंसे राज्य के लोगों को निकालने के प्रयास जारी हैं।

पूर्वोत्तर राज्य में हिंसक झड़पों पर चिंता व्यक्त करते हुए बनर्जी ने मुख्य सचिव एच के द्विवेदी से स्थिति की निगरानी करने और फंसे हुए लोगों को निकालने के प्रयास करने का आग्रह किया।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर से हमें जिस तरह के संदेश मिल रहे हैं, उससे गहरी पीड़ा हुई है। मैं मणिपुर के लोगों और देश के विभिन्न हिस्सों के अन्य लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हूं, जो अब वहां फंसे हुए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बंगाल सरकार लोगों के साथ प्रतिबद्धता से खड़ी है और मणिपुर सरकार के साथ समन्वय से वहां फंसे लोगों को निकालने के लिए हर संभव प्रयास करने का फैसला किया है। मुख्य सचिव को पूरी प्रक्रिया की निगरानी करने तथा लोगों की मदद करने का निर्देश दिया गया है। हम हर समय लोगों के साथ हैं। सभी से शांति बनाए रखने का आग्रह करते हैं।’’

बनर्जी ने सहायता मांगने वालों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी उपलब्ध कराए। मणिपुर में फंसे पश्चिम बंगाल के लोगों की कुल संख्या फिलहाल उपलब्ध नहीं है।

अधिकारियों ने कहा कि मणिपुर में हुई जातीय हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है। वहीं गैर आधिकारिक सूत्रों के अनुसार हिंसा में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं और 150 से अधिक घायल हुए हैं।

इस बीच, इंफाल घाटी में शनिवार को जनजीवन सामान्य होता नजर आया क्योंकि दुकानें एवं बाजार फिर से खुले और सड़कों पर कार भी चलती दिखीं।

अधिकारियों ने बताया कि सभी प्रमुख क्षेत्रों और सड़कों पर सेना की अतिरिक्त टुकड़ियों और केंद्रीय पुलिस बल के जवानों की तैनाती के साथ सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है।

मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी।

कुल आबादी में मेइती समुदाय करीब 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासियों में नगा और कुकी शामिल हैं और आबादी में इनकी संख्या करीब 40 प्रतिशत है और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

भाषा अमित पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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