जयपुर, 14 जुलाई (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि जनप्रतिनिधियों को खुद के बजाए हमेशा जनता के लिए सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि समावेशी विकास के लिए प्रयास और जनहित में कार्य करना सभी विधायकों का कर्तव्य है।
मुर्मू ने यहां राजस्थान विधानसभा में अपने विशेष संबोधन में यह बात कही।
राष्ट्रपति ने कहा कि कंप्यूटर व आधुनिक प्रौद्योगिकियों के इस दौर में जनता को सदन की सारी कार्यवाही की जानकारी रहती है।
उन्होंने कहा, ‘‘ये युग कंप्यूटर का युग है। यह युग आधुनिक प्रौद्योगिकियों से चलता है। आज यहां (सदन) क्या चल रहा है उसे सब देखते हैं, समझते हैं। इसलिए मैं सभी जनप्रतिनिधियों से गुजारिश करना चाहती हूं कि अपने आचार विचार में उन्हें जनता के लिए सोचना चाहिए….।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ केवल मैं और मेरा सोचने से देश की या समाज की या राज्य की उन्नति नहीं होगी। इसलिए जनप्रतिनिधि को हमेशा जनता के लिए, राज्य के लिए सोचना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों पर ही हमारे संविधान के आदर्श निर्धारित किए गए हैं। न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के ये संवैधानिक आदर्श सभी विधायकों के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत होने चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘स्वाधीनता के बाद मोहनलाल सुखाड़िया से लेकर भैरों सिंह शेखावत जैसे जन-सेवकों ने संवैधानिक आदर्शों के अनुरूप राज्य स्तर के कानून बनाने में तथा समावेशी और कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में प्रभावी नेतृत्व दिया। समावेशी विकास और जन-हित में कार्य करने की इस परंपरा को मजबूत बनाना सभी विधायकों का कर्तव्य है।’
उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि कानून बनाते समय जनता की वर्तमान जरूरतों और व्यापक जनहित का ध्यान रखें।
राष्ट्रपति ने राजस्थान के समग्र विकास एवं राज्य के सभी निवासियों के स्वर्णिम भविष्य की मंगलकामना की। उन्होंने विश्वास जताया कि राजस्थान विधानसभा के सभी सदस्य जनकल्याण व राज्य के विकास के लिए निरंतर कार्यरत रहेंगे तथा संसदीय प्रणाली की गरिमा को बढ़ाते रहेंगे।
अपने संबोधन की शुरुआत राजस्थान भाषा में करते हुए राष्ट्रपति ने कहा,’
माण, सम्माण और बलिदान सू रंगी राजस्थान की धोरा री धरती रा निवासियां न घणी शुभकामनाएं।’
उन्होंने कहा कि सन 1952 में राजस्थान विधान-सभा का गठन हुआ। तब से लेकर आज तक इस विधान-सभा द्वारा 71 वर्षों का गौरवशाली इतिहास रचा गया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के लिए यह विशेष गौरव की बात है कि वर्तमान संसद के दोनों सदनों की अध्यक्षता राजस्थान विधानसभा के पूर्व विधायकों द्वारा की जा रही है।
उप-राष्ट्रपति के रूप में राज्य-सभा के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ तथा लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला राजस्थान में विधान-सभा सदस्य रह चुके हैं।
राजस्थान के आतिथ्य सत्कार की सराहना करते हुए उन्होंने कहा,’अतिथि को देवता समझने की भारतीय भावना का बहुत अच्छा उदाहरण राजस्थान के स्नेही लोग प्रस्तुत करते हैं। राजस्थान में लोकप्रिय गीत ‘पधारो म्हारे देस’ में अभिव्यक्त अतिथि सत्कार की भावना को यहां के लोगों ने अपने व्यवहार में ढाला है। राजस्थान के लोगों के मधुर व्यवहार और प्रकृति तथा कलाकृतियों के मनमोहक आकर्षण के कारण देश विदेश के लोग यहां बार-बार आना चाहते हैं।’
मुर्मू ने कहा कि राजस्थान के उद्यमी लोगों ने राज्य से और देश से बाहर जाकर वाणिज्य और व्यापार के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रभावशाली पहचान बनाई है।
इससे पहले राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपने संबोधन में विधायकों से सदन की मर्यादा को कायम रखते लोकतंत्र के सशक्तिकरण के लिए कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विधायिका यदि प्रभावी रूप में कार्य करती है तो उसका सीधा असर कार्यपालिका पर पड़ता है और कालांतर में इससे जनता के हित से जुड़े मुद्दों, विकास कार्यों, जनकल्याण योजनाओं को धरातल पर लाते हुए उनका बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सकता है।
राज्यपाल मिश्र, विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने राष्ट्रपति मुर्मू की विधानसभा पहुंचने पर अगवानी की।
राष्ट्रपति मुर्मू ने बाद में राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम जी मंदिर में पूजा-अर्चना की। उनके साथ राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र और देवस्थान मंत्री शकुंतला रावत भी थीं। राष्ट्रपति जयपुर से वायु सेना के विशेष हेलीकॉप्टर से खाटू श्यामजी पहुंचीं।
भाषा पृथ्वी कुंज रंजन
रंजन
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.