बेंगलुरु, 18 दिसंबर (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बेलगावी जिले में एक महिला को निर्वस्त्र करने और उससे मारपीट करने के मामले में स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई जारी रखते हुए सोमवार को समाज के लिए सामूहिक जिम्मेदारी तय करने का आह्वान किया।
मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी वराले के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने कहा, ‘‘यह ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ नहीं है। यह बेटियों को बचाने के लिए ‘बेटा पढ़ाओ’ है। जब तक आप लड़के को नहीं बताएंगे, आप इसे हासिल नहीं कर पाएंगे। लड़की स्वाभाविक रूप से दूसरी महिला का सम्मान करेगी। लड़के को यह बताना होगा कि वह महिला का सम्मान करे और उसकी रक्षा करे।’’
उच्च न्यायालय ने 12 दिसंबर को हुक्केरी तालुका में 42 वर्षीय महिला को कथित तौर पर बिजली के खंभे से बांधने, निर्वस्त्र करने और उसके साथ मारपीट करने की घटना की खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया।
महिला के साथ कथित बर्बरता उसके बेटे के उसी गांव की अनुसूचित जनजाति समुदाय की एक लड़की के साथ भाग जाने के बाद की गई।
उच्च न्यायालय ने अपनी सुनवाई में ऐसे मामलों में सामूहिक जिम्मेदारी तय करने की जरूरत बताई।
अदालत ने कहा, “कुछ सामूहिक जिम्मेदारी वाले कदम उठाने होंगे, जो इतिहास में लॉर्ड विलियम बेंटिक ने उठाए थे। अपराधियों की हरकत नहीं, बल्कि मौके पर खड़े लोगों की निष्क्रियता ज्यादा खतरनाक है। मूकदर्शक बनकर खड़े ये लोग हमलावर को नायक बना देंगे।”
उच्च न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा कि लॉर्ड विलियम बेंटिक ने अपराधियों को शरण देने वाले गांवों पर सामूहिक जुर्माना लगाया था।
इसने उल्लेख किया कि गांव का केवल एक व्यक्ति महिला के बचाव में आया।
दलीलों के दौरान अदालत ने जानना चाहा कि ग्रामीण मूकदर्शक क्यों बने रहे, क्या वे ‘पुलिस’ से डरते हैं?
उच्च न्यायालय ने सोमवार को अपने आदेश में कहा कि जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) ने पीड़िता के पुनर्वास के लिए 50,000 रुपये का अंतरिम मुआवजा दिया था, जिसमें से 50 प्रतिशत निकालने की अनुमति दी गई थी और अन्य 50 प्रतिशत सावधि जमा खाते में रखने की अनुमति दी गई थी।
चिकित्सा अधिकारी से परामर्श करने के बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला को छह से आठ महीने तक इलाज की आवश्यकता है। इसने डीएलएसए के आदेश को संशोधित किया और पूरी मुआवजा राशि बिना शर्त जारी करने का आदेश दिया।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री राहत कोष से महिला के बैंक खाते में पांच लाख रुपये जमा किए गए हैं और कर्नाटक महर्षि वाल्मिकी अनुसूचित जनजाति विकास निगम ने पीड़िता को बेलगावी के चुलकी गांव में दो एकड़ 3 गुंटा जमीन आवंटित की है।
इसने कहा, ‘हम पीड़िता को सांत्वना देने के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा उठाए गए इन कदमों की सराहना करते हैं।’
अदालत ने मामले को जनवरी के तीसरे सप्ताह में अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
भाषा
नेत्रपाल संतोष
संतोष
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