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Friday, 20 December, 2024
होमदेशएडिटर्स गिल्ड ने MP पुलिस को थाने में 8 लोगों का 'अपमान' करने के लिए लगाई फटकार

एडिटर्स गिल्ड ने MP पुलिस को थाने में 8 लोगों का ‘अपमान’ करने के लिए लगाई फटकार

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का कहना है कि स्थानीय प्रशासन की 'पत्रकारों को डराने' की 'बढ़ती प्रवृत्ति' बेहद परेशान करने वाली है और इसे रोकने की जरूरत है.

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नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य भाजपा नेताओं के खिलाफ कथित रूप से विरोध और नारेबाजी करने के आरोप में एक स्थानीय पत्रकार सहित आठ लोगों को कथित रूप से हिरासत में लिए जाने और उन पर हमला करने की कड़ी निंदा की.

कथित घटना की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से वायरल हुई थी. यह तस्वीर 2 अप्रैल को ली गई थी और इसमें कुछ अर्ध-नग्न पुरुषों को एक पुलिस स्टेशन के अंदर एक साथ खड़े हुए दिखाया गया है.

एडिटर्स गिल्ड ने अपने बयान में कहा, ‘पुलिस और स्थानीय प्रशासन का पत्रकारों पर खुलेआम हमला करना और डराने-धमकाने की बढ़ती प्रवृत्ति बेहद परेशान करने वाली है और इसे रोकने की जरूरत है.’

इसमें कहा गया है, ‘किसी भी स्वतंत्र रिपोर्टिंग को दबाने के प्रयास में पत्रकारों, स्ट्रिंगरों और जिला पत्रकारों के साथ अक्सर अमानवीय व्यवहार किया जाता है, जो गंभीर चिंता का विषय है.’


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यहां पढ़ें क्या कहा एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने:

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, 2 अप्रैल, 2022 को मध्य प्रदेश की पुलिस द्वारा एक स्थानीय पत्रकार के साथ-साथ सिविल सोसाइटी के कुछ सदस्यों को गिरफ्तार, निर्वस्त्र और अपमानित करने के तरीके से स्तब्ध और आक्रोशित है. सिविल सोसाइटी के एक अन्य सदस्य की गिरफ्तारी के विरोध और संबंधित समाचार कवरेज के खिलाफ एक स्थानीय पत्रकार कनिष्क तिवारी, एक थिएटर कलाकार की गिरफ्तारी के विरोध को कवर कर रहे थे, जिसने कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक और उनके बेटे के खिलाफ कुछ टिप्पणी की थी.

इस खबर में चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस ने पत्रकार और कार्यकर्ताओं की तस्वीरें खींची और उन्हें शर्मसार करने और अपमानित करने के लिए सोशल मीडिया पर प्रसारित किया.

हालांकि, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुलिस को निलंबित कर दिया है और इस जघन्य मामले की जांच के आदेश दिए हैं लेकिन पुलिस और स्थानीय प्रशासन की पत्रकारों पर बेरहमी से हमला करने और डराने-धमकाने की यह बढ़ती प्रवृत्ति बेहद परेशान करने वाली है और इसकी जांच की जरूरत है.

7 अप्रैल को ओडिशा में एक अन्य घटना में बालासोर जिले में पुलिस ने कथित हमले के बाद एक पत्रकार को अस्पताल के बिस्तर पर जंजीर से बांध दिया.

पत्रकार लोकनाथ देलाई ने हालांकि दावा किया है कि उन्हें पुलिस द्वारा भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग और उनके मामलों में विभिन्न अनियमितताओं के जवाब में गिरफ्तार किया गया था.

किसी भी स्वतंत्र रिपोर्टिंग को दबाने के प्रयास में पत्रकारों, स्ट्रिंगरों और जिला पत्रकारों के साथ अक्सर पुलिस द्वारा अमानवीय व्यवहार किया जाता है, वह गंभीर चिंता का विषय है.

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से पत्रकारों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों के खिलाफ पुलिस की ज्यादतियों का तत्काल संज्ञान लेने और सभी स्तरों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान करने के लिए सख्त निर्देश जारी करने का आग्रह किया है, साथ ही कहा कि राज्य की सत्ता का दुरूपयोग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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