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Thursday, 25 April, 2024
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एडिटर्स गिल्ड का कहना है कि ब्रॉडकास्टर्स को सतर्क रहना चाहिए, कमजोर समुदायों को निशाना न बनाएं

कानपुर के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क गई थी, क्योंकि दो समुदायों के सदस्यों ने एक टीवी परिचर्चा के दौरान भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी के विरोध में दुकानों को बंद करने के प्रयासों के तहत पत्थरबाजी की थी और पेट्रोल बम फेंके थे.

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नई दिल्ली: कुछ समाचार चैनल के गैर-जिम्मेदाराना रवैये के कारण राष्ट्रीय विवाद के बदतर होने और दो समुदायों के बीच न पाटे जा सकने वाली खाई बनने को संज्ञान में लेते हुए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने बुधवार को उन्हें (चैनल को) एक पल ठहरकर सतर्क रहते हुए इस बात पर विचार करने को कहा कि उन्होंने कानपुर हिंसा के दौरान सिर्फ दर्शकों की संख्या (टीआरपी) और लाभ बढ़ाने के लिए क्या किया है?

ईजीआई ने प्रसारकों और पत्रकार निकायों द्वारा कड़ी सतर्कता बरतने का आह्वान करते हुए कहा कि कानपुर में हिंसा की हालिया घटना ने देश को ‘अनावश्यक शर्मिंदगी’ का कारण बना दिया है. इसने कहा कि अगर उन समाचार चैनल को धर्मनिरपेक्षता को लेकर देश की संवैधानिक प्रतिबद्धता और पत्रकारिता की नैतिकता एवं भारतीय प्रेस परिषद के दिशानिर्देशों के प्रति जागरूक किया जाता, तो इससे बचा जा सकता था.

गौरतलब है कि शुक्रवार की नमाज के बाद कानपुर के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क गई थी, क्योंकि दो समुदायों के सदस्यों ने एक टीवी परिचर्चा के दौरान भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी के विरोध में दुकानों को बंद करने के प्रयासों के तहत पत्थरबाजी की थी और पेट्रोल बम फेंके थे.

संपादकों के निकाय ने एक बयान में कहा, ‘एडिटर गिल्ड ऑफ इंडिया उन राष्ट्रीय समाचार चैनल के गैर-जिम्मेदाराना रवैये से परेशान है, जो जानबूझकर ऐसी परिस्थितियां पैदा कर रहे हैं जो कमजोर समुदायों को उनके और उनकी मान्यताओं के प्रति नफरत फैलाकर निशाना बनाती हैं.’

ईजीआई ने कहा कि कानपुर में एक दंगा हुआ और अपेक्षित रूप से, इसे लेकर कई देशों की ‘अभूतपूर्व तीखी प्रतिक्रिया’ सामने आई, क्योंकि ये देश सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ताओं की टिप्पणियों से आहत थे. इसने आगे कहा कि उन देशों के गुस्से भरे बयानों में मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के बारे में सवाल खड़े किये गये हैं.

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ईजीआई ने कहा, ‘इस घटना से देश को अनावश्यक शर्मिंदगी से बचाया जा सकता था, यदि कुछ टीवी चैनल धर्मनिरपेक्षता को लेकर देश की संवैधानिक प्रतिबद्धता के साथ-साथ पत्रकारिता की नैतिकता और पीसीआई की ओर से जारी दिशानिर्देशों के प्रति जागरूक होते, जिसे परिषद ने हिंसक साम्प्रदायिक स्थिति से निपटने के लिए जारी किया है.’

इसके बजाय, इनमें से कुछ चैनल दर्शकों की संख्या और लाभ बढ़ाने के इच्छुक थे और ‘रेडियो रवांडा’ के मूल्यों से प्रेरित थे, जिसका भड़काऊ प्रसारण इस अफ्रीकी राष्ट्र में नरसंहार का कारण बना था.

संपादकों के निकाय ने कहा, ‘ईजीआई मांग करता है कि ये चैनल (ऐसी चीजों को) विराम दें और विभाजनकारी एवं विषाक्त माहौल को वैध ठहराकर जिस राष्ट्रीय विवाद को बदतर बनाया है, उस पर एक आलोचनात्मक नज़र डालें. इस प्रकार के कृत्यों से दो समुदायों के बीच की खाई न पाटने योग्य बन गई है.’


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