नई दिल्लीः त्रिपुरा में पुलिस द्वारा पत्रकारों सहित 102 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने विरोध जताया है. ईजीआई ने लिखा की त्रिपुरा सांप्रदायिक हिंसा के बारे में लिखने पर और रिपोर्टिंग करने पर पत्रकारों खिलाफ ऐक्शन लिए जाने से उसे गहरा धक्का लगा है.
एक पत्रकार श्याम मीरा सिंह द्वारा लगाए आरोप का जिक्र करते हुए ईजीआई ने ट्विटर पर जारी पत्र में कहा है कि ‘त्रिपुरा इज़ बर्निंग’ ट्वीट करने पर उनके खिलाफ यूएपीए के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि यह बात बहुत ही परेशान करने वाली बात है कि इस तरह के कड़े कानून का प्रयोग सिर्फ सांप्रदायिक हिंसा के बारे में रिपोर्ट करने और विरोध करने पर लगाया जा रहा है.
The Editors Guild of India is deeply shocked by the Tripura Police’s action of booking 102 people, including journalists, under the coercive Unlawful Activities (Prevention) Act, for reporting and writing on the recent communal violence in the state. pic.twitter.com/bkDssiqOXK
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) November 7, 2021
बता दें कि त्रिपुरा पुलिस ने कथित तौर पर राज्य में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर पोस्ट डालने पर शुक्रवार को 102 सोशल मीडिया यूज़र्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था. इसमें 68 ट्विटर अकाउंट्स, 32 फेसबुक अकाउंट्स और दो यूट्यूब अकाउंट्स शामिल थे.
एफआईआर पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है और खास बात यह है कि शिकायतकर्ता उसी पुलिस स्टेशन में तैनात एक उप निरीक्षक तपन चंद्र दास हैं. एफआईआर यूएपीए की धारा-13, आईपीसी की धारा- 153ए, 153-बी, 469, 471,503, 504 और 120-बी के तहत दर्ज की गई.
इस मामले में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पत्रकारों जैसे श्याम मीरा सिंह, आरिफ शाह और सीजे वर्लेमन इत्यादि के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. दिप्रिंट द्वारा प्राप्त की गई एफआईआर की कॉपी में कहा गया है कि ‘इन अकाउंट्स के जरिए मन-गढंत पोस्ट, कमेंट और बयानों के माध्यम से दो धार्मिक समूहों और समुदायों में दुश्मनी बढ़ाने और सार्वजनिक शांति को भंग करने की कोशिश की गई है. त्रिपुरा पुलिस और त्रिपुरा सरकार की छवि को खराब करने के लिए अफवाहों को फैलाने की कोशिश की गई है.’
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