नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2022 के मंगलूरु बम धमाके के आरोपी के बैंक खाते में जमा रकम को जब्त कर लिया है. आरोप है कि इस खाते का इस्तेमाल आरोपी ने अपने ISIS हैंडलर से पैसे लेने के लिए किया था.
ईडी के प्रवक्ता ने बुधवार को बताया कि इस खाते का इस्तेमाल कई अवैध गतिविधियों के लिए किया गया, जैसे, आईईडी (इम्प्रोवाइज़्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बनाने के लिए सामान की ऑनलाइन खरीद, मैसूर शहर में छिपने के लिए ठिकाने किराए पर लेना और तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में अलग-अलग जगहों की रेकी करना.
एक समय इस खाते में 3 लाख रुपये से ज़्यादा की रकम आई थी, जिसमें से आतंकियों ने 2 लाख रुपये से अधिक खर्च कर दिए थे. यह रकम आरोपी मोहम्मद शरीक और उसके साथियों, जिनमें सैयद यासिन भी शामिल है, तक पहुंचाई गई थी.
यह खाता तब ईडी के रडार पर आया जब कर्नाटक पुलिस ने शिवमोगा जिले के निवासी शरीक उर्फ प्रेमराज के खिलाफ मंगलूरु के कंकनाडी रेलवे स्टेशन के पास 20 नवंबर 2022 को हुए आईईडी धमाके के मामले में केस दर्ज किया.
घटनास्थल से लोकल पुलिस को एक प्रेशर कुकर, 9-वोल्ट की बैटरियां और आईईडी बनाने में इस्तेमाल होने वाले सर्किट मिले थे. बाद की जांच में पुलिस ने मैसूर स्थित शरीक के किराए के कमरे से केमिकल्स, मशीनी उपकरण और इलेक्ट्रिकल सामान बरामद किए.
कुछ दिनों बाद यह केस राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपा गया. अपनी चार्जशीट में NIA ने बताया कि शरीक एक प्रेशर कुकर में छिपाकर बनाए गए आईईडी को धर्मस्थल स्थित मंजुनाथ मंदिर के बाहर लगाने जा रहा था.
हालांकि, टाइमर गलती से 90 मिनट की बजाय 9 सेकंड पर सेट हो गया, जिससे बम रास्ते में ही फट गया और शरीक 40 फीसदी तक झुलस गया.
फिलहाल, सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं और उन पर मुकदमा चल रहा है.
ऑनलाइन डीआईवाई क्लासेस से आतंकी साजिश
मंगलूरु धमाके से कुछ महीने पहले, शिवमोगा पुलिस ने शरीक, यासिन और मुनीर अहमद उर्फ माज़ के खिलाफ केस दर्ज किया था. आरोप था कि तीनों ने मिलकर ISIS की विचारधारा फैलाने की साजिश रची थी.
एफआईआर के मुताबिक, तीनों भारत में शरिया कानून लागू करना चाहते थे क्योंकि उनका मानना था कि भारत को असली आज़ादी कभी मिली ही नहीं. उन्होंने विस्फोटक सामग्री जमा की थी और यासिन के घर के बाहर एक बम धमाका भी किया था.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 15 नवंबर, 2022 को इस मामले में केस दर्ज किया—यह मंगलूरु IED धमाके से सिर्फ 5 दिन पहले की बात है, जिसमें शरीक गलती से खुद ही घायल हो गया था.
NIA के मुताबिक, ‘कर्नल’ नाम के कोडनेम वाले एक ISIS हैंडलर ने इन तीनों समेत कर्नाटक के कम से कम 9 अन्य युवाओं को कट्टरपंथी बनाया था. उसने उन्हें Wickr और Telegram जैसे ऐप के जरिए IED बम बनाना सिखाया और संवेदनशील ठिकानों की रेकी कैसे करनी है.
इन ठिकानों में पावर सब-स्टेशन, रेलवे, टेलीफोन एक्सेस पॉइंट और हिंदू समुदाय से जुड़े बिज़नेस और इंडस्ट्री शामिल थे.
इस हैंडलर ने पैसों की लेन-देन के लिए क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल किया, जिसे बेचकर Fino Payments Bank में बनाए गए फर्जी बैंक खातों में पैसे डाले गए.
इसी रास्ते से आरोपियों को 2.86 लाख रुपये मिले, जबकि 41,680 रुपये नकद में PoS (पॉइंट ऑफ सेल) एजेंट्स से इकट्ठा किए गए. ये पैसे IED बम बनाने के लिए सामान खरीदने, मैसूर और अन्य जगहों पर ठिकाने किराए पर लेने और तमिलनाडु, केरल व कर्नाटक में रेकी के लिए इस्तेमाल किए गए.
धमाके में घायल होने के बाद जब शरीक को अस्पताल में भर्ती कराया गया, तो उसके बैग से पुलिस ने 39,228 रुपये नकद बरामद किए. वहीं यासिन के बैंक अकाउंट में बचे 29,176 रुपये ईडी के निर्देश पर फ्रीज़ कर दिए गए.
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