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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशED ने बताया, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच के दौरान रॉबर्ट वाड्रा ने लंदन स्थित संपत्ति का 'रेनोवेशन' कराया

ED ने बताया, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच के दौरान रॉबर्ट वाड्रा ने लंदन स्थित संपत्ति का ‘रेनोवेशन’ कराया

पीएमएलए मामले में दायर एजेंसी की सप्लीमेंट प्रोसिक्यूशन की शिकायत में वाड्रा को फरार हथियार डीलर और भगोड़े संजय भंडारी से जोड़ा गया है, जिसमें कहा गया है कि लंदन की संपत्ति 'अपराध से की गई कमाई' है.

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नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर कथित तौर पर बिचौलिया और फरार हथियार डीलर संजय भंडारी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लंदन की संपत्ति का नवीनीकरण कराने और उसमें रहने का आरोप लगाते हुए एक पूरक अभियोजन शिकायत दर्ज की है.

जांच से पता चला कि भंडारी के पास “कई अघोषित विदेशी आय और संपत्तियां थीं, जिनमें 12 ब्रायनस्टन स्क्वायर, लंदन और 6 ग्रोसवेनर हिल कोर्ट, लंदन सहित कई संपत्तियां भी शामिल थीं.”

केंद्रीय एजेंसी ने इन संपत्तियों को “अपराध से की गई आमदनी” बताया है.

एजेंसी ने एक बयान में कहा, “प्रवर्तन निदेशालय ने 21/11/2023 को संयुक्त अरब अमीरात स्थित एनआरआई, चेरुवथुर चकुट्टी थम्पी (सी.सी. थम्पी), और यूके नागरिक के सुमित चड्ढा, के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत एक पूरक अभियोजन शिकायत विशेष न्यायालय (पीएमएलए), राउज़ एवेन्यू, नई दिल्ली में दर्ज की है. विशेष न्यायालय ने इसका संज्ञान 22/12/2023 को लिया.”

जून 2020 में, भंडारी और उनकी तीन ऑफशोर संस्थाओं और दो अन्य आरोपियों संजीव कपूर और अनिरुद्ध वाधवा के खिलाफ अभियोजन शिकायत दर्ज की गई थी.

ईडी के बयान में कहा गया है कि, “यू.के. में सक्षम प्राधिकारी ने भी संजय भंडारी के प्रत्यर्पण का आदेश दिया है और उन्होंने यू.के. के माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष प्रत्यर्पण आदेश को चुनौती देते हुए एक अपील दायर की है. इस मामले में, संजय भंडारी की 26.55 करोड़ रुपये की संपत्ति भारत में अटैच थी. ”

एजेंसी ने कहा कि जांच से पता चला है कि थम्पी “वाड्रा का करीबी सहयोगी” है.

यह आरोप लगाया, “वाड्रा ने न केवल सुमित चड्ढा के माध्यम से लंदन के 12 ब्रायनस्टन स्क्वायर में उपरोक्त संपत्ति का नवीनीकरण किया, बल्कि उसी में रहे भी. थम्पी ने फ़रीदाबाद में ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा खरीदा और एक-दूसरे के साथ वित्तीय लेनदेन किया. आगे की जांच प्रगति पर है.”


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केस में क्या क्या हुआ

ईडी ने काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिरोपण अधिनियम, 2015 की धारा 51 के तहत आयकर (आईटी) विभाग की 2018 की शिकायत के आधार पर भंडारी और अन्य के खिलाफ जांच शुरू की है.
अभी आरोप तय नहीं किए गए हैं क्योंकि भंडारी को भारत में “घोषित अपराधी” घोषित किया गया है और जिसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गए हैं, उसका प्रत्यर्पण किया जाना बाकी है. इस मामले के संबंध में एजेंसी ने पहले भी वाड्रा से पूछताछ की थी.

थम्पी और वाड्रा के बीच कथित संबंध 2020 में सामने आया जब ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत थम्पी की गिरफ्तारी के बाद एनआरआई व्यवसायी और वाड्रा के बीच संबंध पाए जाने का दावा किया.

इस जांच का केंद्र में वो संपत्ति है जो मध्य लंदन में ब्रायनस्टन स्क्वायर पर स्थित है, जिसके बारे में एजेंसी का दावा है कि यह 2009 से ही वाड्रा की ओर से थम्पी की कंपनी समेत विभिन्न कंपनियों के पास है. कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए शासन के दौरान दो पेट्रोलियम और रक्षा सौदों में कथित रिश्वत ली गई.

ईडी के अनुसार, यह संपत्ति वाड्रा द्वारा “लाभकारी रूप से नियंत्रित” की जा रही है – वह “प्रॉक्सी” के तौर पर इसके मालिक हैं.

मामला 2008 का है

ईडी ने गुजरात के दहेज में एक विशेष आर्थिक क्षेत्र में एक पेट्रो-केमिकल कॉम्प्लेक्स की जांच शुरू की, जिसे ओएनजीसी ने 2008 में बनाने का फैसला किया था. उस साल दिसंबर में, ओएनजीसी ने परियोजना का एक हिस्सा सैमसंग इंजीनियरिंग को सौंपा, जिसने बदले में परामर्श सेवाओं के लिए संजय भंडारी की दुबई स्थित फर्म सैंटेक इंटरनेशनल एफजेडसी को काम दिया.

सैमसंग ने कथित ‘किकबैक’ के हिस्से के रूप में जून 2009 में सैनटेक को लगभग 5 मिलियन डॉलर का भुगतान किया था.
भंडारी के सैनटेक ने जून 2009 में वर्टेक्स प्राइवेट लिमिटेड से संपत्ति – 12 ब्रायनस्टन स्क्वायर लंदन खरीदी.

ईडी के अनुसार, सैनटेक ने वोर्टेक्स को £1.9 मिलियन हस्तांतरित किए और बाद में उसके सभी शेयर थम्पी-नियंत्रित स्काई लाइट इन्वेस्टमेंट्स एफजेडई दुबई द्वारा खरीद लिए गए.

ईडी ने आरोप लगाया कि वाड्रा, उनके सहायक मनोज अरोड़ा, भंडारी और चड्ढा द्वारा किए गए कथित मेल से पता चलता है कि 2010 में वाड्रा की ओर से आलीशान संपत्ति का लगभग £66,000 की लागत से नवीनीकरण किया गया था.

ईडी का आरोप है कि भंडारी ने 2010 में इस संपत्ति को 1.9 मिलियन पाउंड में मेफेयर एफजेडई शारजाह, दुबई को उसी खरीद राशि पर बेच दिया. संपत्ति के शुरुआती सौदे के समय वर्टेक्स को प्राप्त राशि जून 2010 में फिर से सैनटेक को हस्तांतरित कर दी गई.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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