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रविवार, 11 मई, 2025
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ईडी ने एमनेस्टी इंडिया से जुड़े संगठनों के खिलाफ धनशोधन का आरोप पत्र दाखिल किया

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नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा एमनेस्टी इंडिया और उसके पूर्व प्रमुख आकार पटेल के खिलाफ फेमा के तहत 61.72 करोड़ रुपये के जुर्माने का नोटिस जारी करने के एक दिन बाद एजेंसी ने शनिवार को कहा कि उसने संगठन और कुछ अन्य संस्थाओं के खिलाफ धनशोधन का आरोप पत्र दाखिल किया है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने सिलसिलेवार ट्वीट में धनशोधन के आरोपों को ‘‘पूरी तरह असत्य’’ बताते हुए कहा कि ‘दमनकारी कानूनों के तहत अपने आलोचकों पर शिकंजा कसना मौजूदा केंद्र सरकार में आम बात हो गई है।’

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एआईआईपीएल), इंडियंस फॉर एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट (आईएआईटी) और अन्य के खिलाफ बेंगलुरु की एक अदालत में अभियोजन शिकायत दर्ज कराई गई है। ईडी ने एक बयान में कहा कि अदालत ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लिया है और आरोपी को समन जारी किया है।

ईडी ने आरोपियों के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी का संज्ञान लेने के बाद धनशोधन का मामला दर्ज किया था। इसके बाद एजेंसी ने विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए), 2010 के कथित उल्लंघन और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया।

ईडी ने कहा, ‘‘2011-12 के दौरान एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (एआईआईएफटी) को एमनेस्टी इंटरनेशनल, ब्रिटेन से विदेशी योगदान प्राप्त करने के लिए एफसीआरए, 2010 के तहत अनुमति दी गई थी।’’

जांच एजेंसी ने आगे कहा, ‘‘प्रतिकूल प्रविष्टियों के आधार पर इस इकाई को दी गई अनुमति/पंजीकरण बाद में रद्द कर दिया गया।’’ ईडी ने कहा कि इसके बाद एफसीआरए मार्ग से बचने के लिए 2013-14 और 2012-13 में दो नई संस्थाओं- एआईआईपीएल और आईएआईटी-का गठन किया गया और इन संस्थाओं को सेवा निर्यात और एफडीआई की आड़ में विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई।

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने सफाई देते हुए एक ट्वीट में कहा, ‘‘हम दोहराते हैं कि वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय जांच एजेंसी ईडी का यह आरोप पूरी तरह असत्य है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ‘धन शोधन’ में शामिल था।’’

एमनेस्टी इंडिया इंटरनेशनल ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा है, ‘‘ईडी की दुर्भावनापूर्ण मंशा इस तथ्य से स्पष्ट है कि कानूनी नोटिस एमनेस्टी और आकार पटेल तक पहुंचने से पहले ही उसने कई प्रेस विज्ञप्तियां जारी की हैं। यह न्याय के नैसर्गिक सिद्धांतों के विपरीत है।’’

मानवाधिकार समूह ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘सितंबर 2020 से एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बैंक खाते पर रोक रहने से पूर्व कर्मचारियों और कई अदालती मामलों में वकीलों को उनकी सेवाओं के लिए बकाया का भुगतान करने का भी कोई साधन नहीं हैं।’’

एमनेस्टी ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के सदस्य के रूप में भारत को मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और संरक्षण में उच्चतम मानकों को बनाए रखने की जरूरत है। इसके विपरीत, दमनकारी कानूनों के तहत झूठे आरोपों के माध्यम से अपने आलोचकों पर शिकंजा कसना मौजूदा सरकार में आम बात हो गई है।’’

भाषा आशीष संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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