चंडीगढ़ : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को पंजाब के व्यवसायी गौतम मल्होत्रा को दिल्ली आबकारी नीति 2021-2022 के कथित मनी-लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया है. उन पर कार्टेलाइजेशन का आरोप है.
गौतम फरीदकोट से शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के पूर्व विधायक दीप मल्होत्रा के बेटे हैं, जो पंजाब में एक स्थापित शराब कारोबारी हैं और ओएसिस समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (एमडी) हैं, जो शराब के निर्माण और वितरण में काम करती है.
गौतम अपने बड़े भाई गौरव के साथ ओएसिस ग्रुप में निदेशक हैं.
उन्हें आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व का करीबी कहा जाता है, जो वर्तमान में पंजाब और दिल्ली में सत्ता में है, गौतम हाल ही में खबरों में रहे हैं.
पिछले साल अक्टूबर में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आबकारी नीति मामले में उनके गृहनगर फरीदकोट समेत पंजाब में उनकी संपत्तियों पर छापा मारा था. ईडी ने मामले में दिल्ली के जोर बाग स्थित शराब वितरण कंपनी इंडोस्पिरिट ग्रुप के एमडी समीर महेंद्रू को गिरफ्तार किए जाने के कुछ दिनों बाद छापेमारी की थी.
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पिछले महीने, ग्रामीणों द्वारा 6 महीने के लंबे विरोध के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने फिरोजपुर की ज़ीरा तहसील के मंसूरवाल गांव में मल्होत्रा की शराब बनाने वाली इकाई को बंद करने का आदेश दिया, जिन्होंने कहा था कि यूनिट, मालब्रोस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, प्रदूषण का कारण बन रही है.
मल्होत्रा मालब्रोस फैक्ट्री के भी निदेशक हैं. वह अंबाला और मध्य प्रदेश के इंदौर में ओएसिस ग्रुप की डिस्टिलरी चलाने के अलावा, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के शराब बाजार का प्रबंधन करते हैं.
दूसरी ओर, गौरव पंजाब स्थित शराब के खुदरा, थोक और डिस्टिलेशन चलाने का प्रबंधन करते हैं. कंपनी का पहला डिस्टिलेशन प्लांट गौतम के दादा स्वर्गीय ओम प्रकाश मल्होत्रा ने 2001 में इंदौर के पास शुरू किया था.
1987 में स्थापित ओएसिस ग्रुप, पांच अनाज-आधारित डिस्टिलरी और पांच बॉटलिंग प्लांट चलाता है, जिसमें सालाना 20 करोड़ बल्क लीटर का संयुक्त ग्रेन स्पिरिट प्रोडक्शन होता है.
ज़ीरा शराब प्लांट
ज़ीरा फ़ैक्टरी मामले में, तीन सप्ताह पहले बंद करने की घोषणा के बावजूद फ़ैक्टरी के बाहर डेरा डाले प्रदर्शनकारी अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं, क्योंकि वे घोषणा के समर्थन में पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय से आधिकारिक आदेशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
गांव वालों ने ईकाई को बंद करने के लिए, पिछले साल जुलाई में फ़ैक्टरी गेट पर प्रदर्शन शुरू किया था, यह आरोप लगाते हुए कि नजीदीकी एरिया में प्लांट से निकलने वाले रिसाव से पानी, हवा और मिट्टी प्रदूषित हो रही है.
कुछ महीने बाद प्रदर्शन शुरू हो गया, फ़ैक्टरी मैनेजमेंट इकाई के फिर से खोले जाने के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट चला गया था.
हाईकोर्ट के आदेशों के बाद, फिरोज़पुर प्रशासन ने पिछले दिसंबर में प्रदर्शनकारियों को फैक्टरी के मुख्य गेट के बाहर शिफ्ट करने की कोशिश की थी. इसके कारण पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़पें हुईं और तीन दिनों के दौरान, भारतीय किसान यूनियन के विभिन्न गुटों के समर्थन और संसाधनों की मदद से भीड़ सैकड़ों से बढ़कर हजारों हो गई.
ज़ीरा साझा मोर्चा के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया था कि आप सरकार जमीन स्तर पर और कोर्ट में फैक्टरी मैनेजमेंट की मदद कर रही है.
उच्च न्यायालय के आदेशों जिसमें पंजाब सरकार को कारखाने के मालिक के नुकसान के मुआवजे के तौर पर अदालत की रजिस्ट्री में 20 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा गया, जिसे राज्य ने चुनौती नहीं दी.
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