चंडीगढ़: नरेंद्र मोदी सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच दिल्ली की सीमाओं पर जारी गतिरोध के बीच, आयकर (आईटी) विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) किसान नेताओं और उनके समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई करने में लगे हैं.
किसानों का समर्थन कर रहे, कम से कम छह आढ़तियों और ग्रामीण कमीशन एजेंट्स पर पिछले हफ्ते पंजाब में आयकर विभाग की टीमों के छापे के बाद, किसान नेताओं ने अब आरोप लगाया है कि ईडी आंदोलन का समर्थन कर रहे गायकों और एक्टर्स को, निशाना बनाने जा रही है.
क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के कार्य समूह सदस्य, डॉ दर्शन पाल ने सोमवार को दिप्रिंट से कहा कि उन्हें जानकारी मिली थी कि जो गायक अपने गीतों, भाषणों, और कविताओं से आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं उन्हें ईडी निशाना बना रही है.
उन्होंने कहा, ‘पहले आयकर के छापे और अब ये हो रहा है. ये बेहद निंदनीय है और हम भारत सरकार को चेतावनी देते हैं कि अगर वो हमारे समर्थकों को इस तरह निशाना बनाएगी तो इससे कोई समाधान नहीं निकलेगा, बल्कि कलह और बढ़ेगी’.
ईडी अर्थशोधन निवारण अधिनियम और विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) की प्रवर्तन एजेंसी है. शनिवार को अपनी विदेशी मुद्रा विंग के ज़रिए, उसने विदेशी मुद्रा प्रबंध के संभावित उल्लंघन के मामले में पूर्व किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (उग्राहन) महासचिव, सुखदेव सिंह कोकरी कलां के निजी बैंक खाते में प्राप्त हुए दान के पैसों की जानकारी मांगी.
ईडी में उच्च पदस्थ सूत्रों ने पुष्ट किया कि कुछ गायक और अदाकार ख़ासकर किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे एनआरआईज उनकी निगाह में थे.
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ईडी के स्कैनर पर रंजीत बावा
एक लोकप्रिय पंजाबी गायक रंजीत बावा जो कई महीनों से आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं, ईडी का एक निशाना लगते हैं.
पिछले महीने, जालंधर स्थित बीजेपी नेता अशोक सरीन हिक्की ने ईडी में एक शिकायत दर्ज कराई थी कि बावा के संदिग्ध नार्कोटिक्स डीलर गुरदीप सिंह रानो के साथ रिश्ते थे.
7 नवंबर को पंजाब पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स की लुधियाना इकाई ने, रानो को तीन अन्य लोगों के साथ नार्कोटिक्स की कथित तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. हिक्की ने अपनी शिकायत के साथ, बावा का रानो के साथ एक फोटो भी संलग्न किया था.
ये गिरफ्तारी, 27 अक्टूबर को आंदोलन पर बावा की पहली एल्बम– कड़वा सच– की रिलीज़ के, क़रीब दो हफ्ते बाद हुई.
उनका अगला गीत पंजाब बोलदा, जो किसानों के आंदोलन पर ही था, 8 दिसंबर को रिलीज़ किया गया, और तुरंत हिट हो गया, जिसके यूट्यूब पर 1.3 करोड़ व्यूज़ दर्ज हो चुके हैं. सोमवार को बावा ने आंदोलन पर एक और गीत, फातेह आ का पोस्टर रिलीज़ किया.
ईडी के सूत्रों ने कहा कि बावा की फाइल पर ‘सक्रिय विचार’ चल रहा था. उन्होंने आगे कहा कि बावा के अलावा कुछ किसान नेता और उनके कुछ समर्थक भी, फेमा के संभावित उल्लंघनों के चलते एजेंसी की निगाह में थे.
एजेंसी में एक सूत्र ने कहा, ‘उन गायकों और अदाकारों के लेन-देन जो एनआरआईज़ हैं और आंदोलन के समर्थन में आ गए हैं ईडी की निगाह में हैं’.
जब दिप्रिंट ने टिप्पणी के लिए बावा से संपर्क किया, तो उनकी टीम के एक सदस्य ने कहा कि वो सिंगर के जवाब के साथ उससे संपर्क करेंगे. उनका जवाब प्राप्त होने पर इस ख़बर को अपडेट कर दिया जाएगा.
आढ़तियों पर छापे, विदेशी धन की जांच
पिछले एक हफ्ते में ईडी और आयकर विभाग ने किसानों और उनके समर्थकों के खिलाफ क़दम उठाए हैं.
बीकेयू (उग्राहन) महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने दिप्रिंट से कहा कि बठिंडा ज़िले के उनके गांव कोकरी कलां में, पंजाब एवं सिंध बैंक के मैनेजर को, ईडी के विदेशी मुद्रा विभाग से एक ईमेल प्राप्त हुआ जिसमें 7 लाख रुपए के विदेशी धन का ब्यौरा मांगा गया, जो उनके खाते में आया था.
कलां ने दिप्रिंट को बताया, ‘पत्र में कहा गया कि चूंकि प्राप्तकर्ता कोई पंजीकृत संस्था नहीं थी, इसलिए प्राप्त की गई रक़म भेजने वाले को लौटा देनी चाहिए. शनिवार को मैनेजर ने मुझे बुलाकर वो पत्र दिखाया’. उन्होंने आगे कहा, ‘आज (सोमवार) मुझे फिर बुलाया गया और कहा गया कि अगर मैं बैंक को, भेजने वाले की पासपोर्ट डिटेल्स और पता बता दूं, तो उस पैसे को रखा जा सकता है’.
6 दिसंबर क बीकेयू (उग्राहन) ने एक सार्वजनिक अपील जारी करके आंदोलन के लिए वित्तीय योगदान मांगे थे. दान के रूप में विदेशी प्राप्तियां, वही निजी व्यक्ति और संस्थाएं हासिल कर सकते हैं, जो विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम के तहत पंजीकृत हों.
4 दिसंबर को, कम से कम छह कमीशन एजेंट्स के दफ्तरों पर, आयकर अधिकारियों की ओर से छापे मारे गए. किसान इन कार्रवाइयों को आंदोलन का समर्थन कर रहे आढ़तियों को डराने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं.
पंजाब किसान यूनियन के अध्यक्ष रुलदू सिंह मानसा ने, शनिवार को सिंघू बॉर्डर पर हुई एक प्रेस वार्ता में कहा, ‘आढ़तिए और किसान क़रीबी सहयोग से काम करते हैं. आंदोलन के लिए वो पैसे और अनाज से हमारी मदद कर रहे हैं. उनके यहां छापेमारी करके सरकार उन्हें परेशान कर रही है. ये बहुत ही निंदनीय है’.
मानसा ने ऐलान किया कि पंजाब और दूसरी जगह के किसानों को अपना विरोध जताने के लिए, आयकर अधिकारियों और उनके दफ्तरों का घेराव करना चाहिए.
पंजाब आढ़तिया एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय कालरा ने जिनके यहां छापेमारी हुई दिप्रिंट से कहा कि 14 दिसंबर को उन्हें पहली बार आयकर विभाग से नोटिस मिले थे और एक हफ्ते में जवाब मांगा गया था. उन्होंने कहा, ‘लेकिन उस अवधि के पूरा होने से पहले ही हमारे ठिकानों पर आयकर अधिकारियों के छापे पड़ गए जो कम से कम 50-60 सीआरपीएफ जवानों के साथ आए थे’.
कालरा ने बताया कि शनिवार तक, पटियाला और एसबीएस नगर के पांच अन्य आढ़तियों पर भी छापे पड़ चुके थे. उन्होंने आगे कहा कि इसके विरोध स्वरूप पंजाब की सभी मंडियां, मंगलवार से शुक्रवार (22 दिसंबर से 25 दिसंबर) तक बंद रहेंगी.
लेकिन बीजेपी इन सुझावों को ख़ारिज करती है कि ईडी और आयकर की कार्रवाइयां बदले की भावना से हो रही हैं.
पंजाब बीजेपी प्रवक्ता विनीत जोशी ने दिप्रिंट से कहा, ‘कोई आंदोलन में शामिल है या नहीं, उसका इस बात से कोई लेना देना नहीं है कि हर किसी को देश का क़ानून मानना होता है’.
‘उसके अलावा आयकर विभाग या ईडी की कोई भी कार्रवाई, बिना सोचे समझे नहीं होती. इसमें एक प्रक्रिया होती है, जिसमें कई हफ्ते लगते हैं’.
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